यमी से मुलाकात
हमेशा की तरह 2.30 बजे ॐ नाद शुरू ही किया था कुछ आहट सी हुई। आँख खोली, जी हाँ पिछले कुछ महीनों से 3.30 प्रातः की जगह 2.30 जगने लगा हूँ।
अचानक बड़ी सी खुली खिड़की पर नज़र पड़ी देख कर घबरा गया वहाँ पर करीब 20/22 उम्र की बेहद खूबसूरत लड़की थी हवा में। वो खिड़की पर बैठ सकती थी। आप सोचेंगे रात को 2.30 बजे तो बाहर भी अंधेरा होगा सही है होता, लेकिन मेरी उस खिड़की के सामने एक अजीब आदमी रहता है, उसका पीछे का दरवाज़ा हमेशा खुला रहता है दरवाजे के ऊपर पीली रोशनी वाला बड़ा सा बल्ब जलता रहता है और वो जगा रहता है कभी दरवाजे पर खड़ा रहता है कभी हमारी सोसायटी में कूड़ा डालता है। ठीक 5 बजे बल्ब और दरवाज़ा बन्द हो जाता है।
उस बल्ब की रोशनी के कारण हवा में लटकी उसकी खूबसूरती साफ नजर आ रही थी। मुझे लगा कोई भूत न न भूतनी आ गई है अपने आप को चिकोटी काटी, आँख मली कही सपना तो नही।
यह देख वो बोली मैं सपना नही हकीक़त हूँ। इधर से गुजर रही थी इतनी सुबह कलयुग में कौन बेवकूफ़ ॐ नाँद कर रहा है की जिज्ञासा यहाँ ले आयी। मैंने कहा पहले तो आप बैठ जाये हवा में आपको देखकर मुझे डर लग रहा है फिर अपना परिचय दीजिये।
मेरी बात मानकर अब वो एक खूबसूरत नक्काशीदार कुर्सी पर बैठी थी लेकिन कुर्सी हवा में ही थी।
वो बोली परिचय देते ही मेरी खूबसूरती आपकी नजरों में बदसूरती में बदल जायेगी ।
मुझे लगा यार यह तो पक्का राजकुमार राव वाली फिल्म की बदसूरत खूबसूरत चुड़ैल है।
अभी मैं यह सोच ही रहा था वो बोली मैं राव वाली नही हूँ मेरा नाम यमी है।
इतनी देर बात करके मैं अब सहज हो चुका था। शुक्र था मीनाक्षी बेटी के साथ दूसरे कमरे में सो रही थी।
मैंने कहा आप आराम से अंदर बैठे खिड़की से गिर सकती है सड़क से भी कोई देखे तो उसे अजीब लगेगा हालाँकि इतनी सुबह कोई आयेगा नही ।
उसने कहा मैं यहीं ठीक हूँ फिलहाल मुझे आपके अलावा कोई नही देख सकता न सुन सकता, फिर बोली आप तो 3.30 उठते है 2.30 क्यों उठने लगे।
मैंने मन ही मन सोचा हरीश बाबू यह चुड़ैल है इसे तो वो सब भी पता होगा जो सिर्फ मुझे ही पता है, मैंने कहा तुम्हारा नाम तुम्हारी तरह ही खूबसूरत है यमी, हमारी फिल्मों में भी एक है तुम्हारी जैसी खूबसूरत नाम वाली हीरोइन यामी गौतम, मुझे अच्छी लगती है ।
यमी बोली हाँ मैंने देखी है उसकी फिल्में, अच्छी है किसी एक सीरियल से सीधे फिल्मों में अच्छी उपलब्धि है। लेकिन मैं वैसी यमी नही हूँ, न ही स्वाद वाली यमी हूँ ।
मेरी आँखों में आंखे डालती हुई बोली मैं यमराज वाली यमी हूँ।
मैं डरा नही बल्कि मुस्कराते हुए बोला यमराज वाली यमी, मैंने तो अभी तक यमराज के नाम पर काले भैंसे पर इंसान को जिसके दो सींग भी होते है को बैठे देखा है। मैंने क्या अधिकतर सारे लोग ऐसे ही यमराज को जानते है, मुकुट भी लगा होता है ।
यमी बोली आपकी गलती नही पहले मैं भी ऐसा ही मानती थी। ऐसे ही होते भी थे लेकिन समय बदल रहा है, समय के हिसाब से ब्रह्मांड ने विचार किया जिन्दगी भर बेचारा इन्सान 2 बटा चार में लगा रहता है आखिरी समय में तो खुशी खुशी आये। यमराज को देखकर ही मर जाता है आदमी मरने से पहले। लिहाजा अब बदलाव किये गये है ।
अब मैं पहली बार घबराया मेरे सामने फ़िल्म सी रील चलने लगी यार अभी तो 2020 में लिया कर्ज चुकाना है, 10 /12 किताबें लिखनी है, फिल्में बनानी है, अपना नाम रोशन करना है अभी तो कोई जानता ही नही, रिनी की शादी करनी है, अम्मा की इच्छा मकान बनाने की और एम एस यानि मीनाक्षी शर्मा के लिये फार्म हाउस बनाना है, कितने ही काम बाकी है। खूब सारा पैसा कमा कर दान करना है ज़रूरतमंदों को।
फिर मुझे याद आया इसने बोला था यहाँ से गुजर रही थी ॐ नॉद सुनकर रुक गई, घबराओं मत तुम्हारा नम्बर नही आया है मैंने सोचा।
मैंने यमी को देखा, वो बोली बदल गया न अंदाज़ मुझ जैसी खूबसूरत को देखने का, मरने की घबराहट होने लगी, यह काम फिल्में बनाना, रिनी की शादी, फार्महाउस, सब याद आने लगा । इतना समय दिया तब कुछ नही बस सुबह उठे भागा दौड़ी की ।
सारा दिन मोबाइल और नेटफिलक्स पर गोट, अमेज़न पर फिल्में, टीवी पर ख़बरें या चीखती चिल्लाती बहस, वहाँ अपना समय खराब करने की बजाय कुछ गंभीरता से करते, हम भी सोचते इसे रहने दो अभी अच्छा काम कर रहा है। लेकिन नही, आपको हरीश 4/5 साल समय दिये थे कुछ करने के लिये।
मैंने कहा लिखी न चार किताब, बाकी लिखना और प्लानिंग चालू है अब मोबाइल गोट यानि गेम ऑफ थ्रोन या खबरों और बहस से कुछ मसाला मिलता ही है ना अपनी किताबों के लिये।
यमी बताओ, मुझे कोई बीमारी नही 56 की उम्र में भी रोज 10 किलोमीटर दौड़ना, वॉक करना, इतनी जल्दी उठना, ध्यान, ॐ ,पाठ आदि करना, यह सब देखते हुए मुझे लगता है आप गलत पते पर आ गई है। मेरी उम्र ही क्या है अभी सिर्फ 56, मैं नही जा रहा आपके साथ।
यमी मुस्कराई बोली हमें पूछने की जरूरत नही होती पंडित जी, जो आपने चीजें बताई ध्यान सेहत आदि वो सब हर इन्सान की जरूरत है। यह ठीक है, 56 तक एकदम स्वस्थ, ध्यान, शांति कितने लोग कर पाते है, 2% भी नही, तब हमारे पास बहाना होता है बीमारी के नाम पर ले जाने का । लेकिन हमें भी तो स्वस्थ लोग चाहिये।
मुझे लगा बहस करना बेकार है। पूछा कितना समय है मेरे पास, उसने कलाई देखी मैंने देखा कोई घड़ी तो थी नही लेकिन कलाई पर ही समय साफ नजर आ रहा था। बोली यह नई तकनीक है आप लोगों के यहाँ भी आने वाली है जल्द, लेकिन आप नही देख पायेंगे । हाँ आपके पास 45 मिनट है। उसके चेहरे पर रहस्मयी मुस्कराहट थी।
मैंने कहा ठीक है मैं घर वालो को बता देता हूँ कि कैसे क्या सब करना है मेरे बाद। यमी बोली नही वो सब की इजाज़त नही है ।
मैंने कहा ok pl मुझे हम दोनों की बातचीत मोबाइल पर ही लिखने दो क्या पता यही इतना पसंद आये लोगो को कि मैं प्रसिद्ध हो जाऊँ। हमारे पास समय भी है ।
यमी ने कान पर हाथ रखा कुछ सेकेंड को अपनी झील सी आंखे बंद की जैसे किसी से बात कर रही हो। फिर बोली ठीक है लिख लो लेकिन सहेजना सही से, आपके माध्यम से ही पहली बार लोगों का यमराज वाला भ्रम भी टूटेगा।
मैंने तुरंत मोबाइल चालू किया पूछा यमी जी लिखने की जहमत क्यो उठानी है। मेरा मोबाइल आधुनिक है हमारी बात रिकॉर्ड कर लेता हूँ आपको तो पता ही है, एमएस अच्छा लिखती है कुछ दिन बाद बढ़िया लेख पंजाब केसरी में आ जायेगा।
यमी बोली यहीं समस्या है आप लोगो की उंगली पकड़ाओ पौंचा पकड़ने में देर नही लगाते, जाते जाते भी मीनाक्षी की चिन्ता ।
मैंने कहा आई लव हर टू मच, मेरी आँखें भीग गई ।
यमी ने देखा बोली भावनात्मक भयादोहन। चलो कोई नही जो करना है करो। मैंने कहा पास आ जाती या मैं आ जाता तो आवाज साफ रिकॉर्ड हो जाती।
यमी ने आंखे झपकाई यानि अपने पास आने को कहा,
मेरे दिमाग में फालतू का क्या ख्याल आया इसको धक्का दे दु ?
वो बोली मैं गिरती नही, उड़ती हूँ, इतने में उड़ गई, मैंने देखा वो सामने का पूरा चक्कर लगा कर वापस आकर वही फिर बैठ गई।
मैंने कहा सॉरी इन्सान हूँ न अपनी फितरत से बाज थोड़े ही आऊँगा। मैंने मोबाइल रिकॉर्डिंग ऑन की ।
आप मुझे डरा रही है न, आपने कहा था ॐ सुनकर रुक गई थी ?
यमी मुस्कराई बोली ऐसे में भी यादाश्त बहुत तेज है। सही है अभी आपका समय नही आया है। आप अपने पर्यन्त काम खत्म कर लीजिए आपके पास पर्याप्त समय है।
मैं खुश हो गया बोला आपको तो सब पता ही है कुछ देर बात ही कर लेते है, लेखक हूँ अच्छा और सच्चा लिखूँगा।
यमी बोली 45 मिनट है आपके पास उसके बाद मुझे जाना है।
ठीक है आपसे ही शुरू करते है यह यमी का क्या चक्कर है अब वो कमरे में अन्दर आकर अपनी कुर्सी पर बैठ चुकी थी। बोली मैं दूत हूँ प्रभु की, मुझे लोगो को मोक्ष लोक ले जाने की ज़िम्मेदारी मिली हुई है।
मैं भी तीन साल पहले इसी मनुष्य युग में थी, आपकी तरह ही पूजा पाठ करती थी, पढ़ाई भी कर रही थी। एक रात नींद में ही मुझे एक यमी ले गई। मुझे अपने कर्मो के चलते उतनी ही उम्र में मोक्ष मिल गया। अब मैं दूत बनकर जो काम मिलता है उन्हें करती हूँ।
आपको तो मोक्ष मिल गया, नरक भी तो होगा ?
हमारे यहाँ नरक नही होता वहाँ सिर्फ मोक्ष होता है नरक के लिए हम मनुष्य युग यानि कलयुग का ही इस्तेमाल करते है। भेजते रहते है इस पृथ्वी पर बार बार, इससे अच्छा नरक कहाँ मिलेगा।
लेकिन मैंने तो पढ़ा सुना नरक में ले जाते है खोलते तेल में डाल देते है पशु पक्षियों से नुचवाते है।
सुना तो सही है वो सभी कार्य कर्मो के अनुसार पृथ्वी पर ही कराते है।
स्वर्ग क्या वास्तव में होता है मैंने प्रश्न किया ?
यमी बोली हमारे यहाँ मोक्ष होता है स्वर्ग नरक सब पृथ्वी पर होता है कर्मो के अनुसार उसे यही भोगना पड़ता है।
मैंने तो स्वामी योगी योगानन्द जी की किताब में लहरी महाशय का प्रकरण पढ़ा था। कैसे उन्हें स्वर्ग के दर्शन हुए थे, मैंने कहा।
यमी ने अपना हाथ लम्बा कर मेरे माथे पर रख दिया मुझे एक झटका सा लगा। अब मैं एक महल के सामने खड़ा था जैसे महल हम पौराणिक धारावाहिकों में देखते है। मैं महल के अन्दर गया, दोनो तरफ बहुत बड़े कमरे बने हुए थे। एक कमरे में चला गया वहाँ की हर दीवार पर ऐसा लग रहा था जैसे टीवी चल रहे है।
अचानक एक दीवार पर मैंने खुद को देखा पूरी बातचीत जो यमी से हो रही थी वो चल रही थी। यमी ने मेरे माथे पर हाथ रखने से लेकर कैसे मैं महल में आया सब मेरे सामने था।
मैं भविष्य देखने के लिए रुकना चाहता था लेकिन कोई था जो मुझे उस कमरे से बाहर ले गया। अब मैं एक बड़े से खूबसूरत हॉल में था। मुझे लगा अंगुर खाने चाहिये तुरंत एक मेज लग गई उस पर 50 तरह के अंगूर रखे थे मैंने एक अंगूर तोड़कर मुँह में रखा ही था कि मैं अपने कमरे में वापस आ गया।
यमी ने कहा अंगूर तो खा लो। मैंने अंगूर खाते हुए कहा इतना बड़ा और मीठा अंगूर मैंने आज तक नही खाया।
वो बोली मोक्ष मिलने के बाद हमारे यहाँ सभी सांसारिक वस्तुएं गौण हो जाती है कुछ खाने सोने आदि की आवश्यकता नही होती। अंगूर आदि आप जैसो के लिए होते है।
Ok यानि सब बराबर, जर जोरू जमीन का लफड़ा ही नही समस्या ही खत्म।
अच्छा यह तो बताये भगवान अल्लाह जीसस नानक देव जी यह सब होते है वहाँ ?
यमी बोली वहाँ तो एक ही है। सब उनमें ही समाये हुए है, जैसे देखना चाहो वैसे ही दिखते है।
मतलब वहाँ भी हम इंसानों की तरह अपने इष्टदेव को देखने वालों की सोच अलग अलग है ?
वो मुस्कराई बोली आप 20 पाठ करते है, सभी भगवान, नव ग्रह के, आपको पता है सब एक है, फिर भी 20 पाठ क्यों। इसी तरह से हम नही जैसे वो चाहते है वैसे हमारे सामने आते है। हम में से ही किसी के अंदर अपना रूप रखकर।
आप क्या कह रही है मुझे कुछ समझ नही आ रहा। वो बोली आयेगा । तब तक दूसरी बात करते है।
ठीक है कुछ अपने यहाँ की बात करता हूँ। जितने भी महापुरुष हुए है कोई भी वापस नही आता, तो क्या कोई भी गलती नही करता सबको मोक्ष मिल जाता है। आप मिली है किसी से, उदाहरण के लिये महात्मा गाँधी जैसे ?
पहली बात वहाँ सब बराबर होते है, कोई महापुरुष नही होता कोई रूप नही होता सब बराबर है तो रूप की जरूरत ही क्या है।
राजनीति और मोह में मोक्ष कठिन हो जाता है।
यानि ?
यानि छोड़िए आगे बढ़िये। राजनीति और नेताओं की बात मत करिये मैं तो चली जाऊँगी आपको दिक्कत हो जायेगी यमी ने कहा।
बात तो सही है लेकिन मैं जो भी पूछ रहा हूँ उनके जवाब आपको कैसे पता ?
वो बोली आप क्या पूछने वाले है मुझे पहले ही पता होता है और उत्तर भी, सब सामने चल रहा होता है।
ठीक है मैं थोड़ा स्वार्थि हो रहा हूँ। अपने और अपनों के विषय में पूछता हूँ पहले मेरे विषय में ही बता दीजिये ?
यमी ने कहा पहले भी कह चुकी हूँ और यह बात तो महाकाल भी आपसे कह चुके है अपना लिखने का काम कीजिये। वही आपकी सारी चाहत पूर्ण करेगा।
लेकिन लिखने से पैसों की आमद बहुत कम है liaising करके पैसे अधिक मिल सकते है ?
आपका दोष नही है लग्न में राहु बैठा है सपने दिखाता रहता है liaising करके तो एक पैसा भी नही आया, सिर्फ खुली आँखों से सपने देखने के अलावा।
बात तो आपकी सही है लिखने पर ही ध्यान लगाता हूँ।
बेटी और मीनाक्षी के विषय में बता दीजिये ?
दोनों के सोची सब बातें होंगी, तबियत की चिन्ता नही करना है। कर्मो का फल तो भोगना ही पड़ता है। सब ठीक है, माँ को याद करते रहे। दोनों पर ही माँ का विशेष आशीर्वाद है।
पिताजी और जिनी को भी ले गए आप लोग ?
वक्त के अनुसार सबको जाना पड़ता है एक दिन, दोनो की उम्र पूरी हो गई थी। दोनों को ही मोक्ष मिल गया। अब वो प्रशिक्षण में है दूत बनने की।
पिताजी से तो मेरी मुलाकात हुई थी जाने के बाद एक सुबह ध्यान में, मुझे बता दिया था उन्होंने। लेकिन जिनी से मुलाकात नही हुई फिर कभी।
होगी भी नही वो पिछले जन्म में साधु थी, एक छोटी सी चूक ने उसे अल्प समय के लिये आप लोगो के पास भेजा था। मीनाक्षी उस साधु की बेटी थी पिछले जन्म में, इसलिए वो साधु जिनी के रूप में मीनाक्षी के पास सेवा करवाने आयी थी।
उस साधु को अब मोक्ष मिल गया है। कभी किसी दिन वो दूत साधु के भेष में मीनाक्षी को आशीर्वाद देने आयेगें। लेकिन मीनाक्षी साधु के जाने के बाद उसे पहचान पायेगी।
मुझे लगा जो यमी कह रही है मेरे सामने जैसे पर्दे पर फ़िल्म चल रही है। जिनी की याद ने मेरी आँखों में आँसू ला दिये। यह देख यमी बोली जिनी के मोक्ष मिलने से आप लोगो को खुशी होनी चाहिये। जाने वाले को याद करके आप लोग हम दूतों को बहुत तकलीफ़ में डालते हो। आप लोगो से अधिक तकलीफ़ हमें होती है क्योंकि आप लोग हमें नही देख पाते लेकिन हम तो देख पाते है।
दुःख की बात चल रही है तो मुझे अपने अग्रज बड़े भाई राजीव कटारा की याद आ रही है उन्हें भी आप ले गए। 60 वर्ष कोई उम्र होती है किसी को ले जाने की, कुछ दिन पहले ही तो बात हुई थी बहुत देर तक। वो बहुत सरल इन्सान थे वैसा व्यक्ति मैंने अपने व्यावसायिक जीवन मे नही देखा।
यमी बोली यही जीवन है, कोई जन्म लेते ही कोई जन्म से पहले, कोई प्रौढ़ होकर, कोई एकदम युवा इस दुनियाँ से चला जाता है सब बहाने ढूंढ़ते रहते है। जिसको जितनी साँसे दी गई है उसे उतनी ही मिलती है, न एक कम न एक अधिक।
यह फिलासफी तो हम सबको पता है लेकिन मोह तो खत्म नही होता।
वक्त के साथ सारे मोह होम हो जाते है। हमें याद रह जाता है वर्तमान तात्कालिक काम जो जीवन के लिए जरूरी है। आपने राजीव कटारा की बात की है तो आपको बता देती हूँ वो कुछ समय हमारे पास रहेंगे। उसके बाद उन्हें वापस पृथ्वी पर भेजा जायेगा। आप दोनों की बातचीत की रिकॉर्डिंग आपके फोन में है रखियेगा उसे, यमी बोली।
लेकिन मैंने तो कोई रिकॉर्डिंग की नही है, दूसरी बात उन्हें मोक्ष नही मिला क्या ?
यमी ने कहा पृथ्वी पर संतुलन बनाये रखने के लिये अच्छे लोगों को वापस भेजा जाता है एक अच्छा इन्सान हज़ार बुरे लोगो को संभालता है। यह अच्छे व्यक्तित्व महापुरुष बनते है जिनके उदाहरण दिये जाते है। राजीव कटारा उसी श्रेणी में है। ऐसे लोगो की ज़िम्मेदारी बहुत महत्वपूर्ण है। जब भी आप जीवन में असंतुलित हो अपनी उनकी रिकॉर्डिंग सुन लीजियेगा सुकून मिलेगा।
मुझे पता नही वो रिकॉर्डिंग कहाँ मिलेगी लेकिन इस बात पर बहस करने से कुछ आवश्यक छूट सकता है इसलिये मैंने प्रश्न किया, क्या गीता वास्तव में श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिये गये उपदेश है ?
अर्जुन तो माध्यम है, हर युग मे हरेक इन्सान को पढ़ने समझने और गढ़ने के लिये है गीता के उपदेश, लेकिन गीता को पढ़कर नही समझा जा सकता जब तक श्री राधे का संस्मरण न किया जाये। श्री कृष्ण की कृपा होने पर ही उसे समझा जा सकता है। वरना पढ़ते रहिये 100 बार हजार बार कुछ समझ नही आयेगा।
और उनका विराट रूप ?
डूब जाओ कृष्ण में, रूप दिख जायेगा, डूबते ही तो नही हो। तलाश में वृंदावन जाओगे, कहाँ कहाँ जाओगे, वो तो आप में है आपके साथ है, मैंने यमी को देखा उसकी आँखें बन्द थी तब भी उसकी आँखों से गालों पर गिरते आँसुओ को मैं स्पष्ट देख पा रहा था। उसको देख मैं भी खुद को रोक नही पाया। हम दोनों कृष्ण के नाम पर रो रहे थे।
कुछ क्षण बाद उसने अपनी डबडबाई आँखों से मुझे देखा, मुस्कराई बोली कृष्ण रहस्य है मैं दूत होकर नही समझ पाई कोशिश कर रही हूँ।
गीता की बात चल रही है हमारी भी परिचित है एक गीता श्री ?
उन्हें अपने खोल से बाहर निकलना होगा मैं नही हम, अहम नही वयम से बात बनेगी। परिमार्जित होना पड़ेगा। सम्भवनायें अच्छा संकेत दे रही है।
हमारे मित्र है हेमन्त पाण्डेय ?
सन्तुलन बनाना पड़ेगा। जहाँ से जीवन चलता है उसके प्रति ईमानदारी होना जरूरी है। वो बहुत अच्छा कर सकते है, स्थिर रहने की जरूरत है। उन्हें वो मिलेगा जिसकी तलाश में है।
एक अन्य मित्र है अजय भाष्कर ?
अच्छे इन्सान है अच्छा करना चाहते है लेकिन सम्भर्म में है, दानी व्यक्ति को दान देते समय गणित नही लगाना चाहिए। ऐसा करने से दान की परिभाषा बदल जाती है और कर्म भी। लेकिन भली सोच भलाई कराती है।
मेरा साला नाराज हो जायेगा और भाई भी यदि उनके लिए नही पूछा तो ?
और दोनों बहनें यमी बोली ?
मैंने कहा क्या क्या पुछू 45 मिनट तो बहुत कम है ।
ॐ करते रहना कोई न कोई आता रहेगा। आपकी दोनों बहनों के पास दो संत है। दोनों बबलू का कड़ा इम्तिहान चल रहा है विचलित न हो महाकाल बेड़ा पार लगायेंगे जल्द।
दो लोग बहुत परेशान है एक मेरे मित्र है जयपुर के, परिवार बिखराव पर है, दूसरे दिल्ली के, घर से कही चले गये है नाम लेना नही चाहता ?
जयपुर के मित्र महाकाल की शरण में अब आये है। जीवन में सबकुछ हमेशा रहे यह जरूरी नही अपने कर्मो के अनुसार अच्छा बुरा यहीं देखना पड़ता है।
दिल्ली के मित्र भूले हुए है जैसे ही याद आयेगा वापस आयेंगे। हमेशा किसी तलाश में रहते है, साधारण व्यक्ति नही है उन्हें समझना आसान नही है। परिवार का चिंतित होना स्वाभाविक है लेकिन यह चिन्ता पहले भी और हमेशा होना चाहिए आगे भी। गोपाल जी सब ठीक करेंगे।
कोविड 19 के विषय में कुछ बताये पूरा विश्व अस्तव्यस्त हो गया मेरे मित्र दीपक शर्मा का कहना है यह सब माँ की सीख है ?
अब तो सम्भल जाओ, सब आगे बढ़ने की होड़ में लगे है। न दिखने वाली चीज ने यह हाल कर दिया। अब तो शान्त हो जाये। दीपक सही है कैसे तो विश्व को संतुलित करना ही पड़ेगा। माँ ही तो संभालेगी, माँ ही ने तो संभाला वरना भारत को कौन सँभाल सकता है। इतनी विविधता है यहाँ, सबको नियंत्रण में रखना इन्सान के बस की बात नही।
आप भी भारत से ही थी तभी इतना कुछ जानती है प्रश्न कर मैंने यमी की तरफ देखा, लेकिन वहाँ तो कोई था ही नही, अपने फोन पर नजर डाली पूरे 45 मिनट हो चुके थे बात करते हुए।
मैंने गहरी साँस ली खुद को check किया मैं जगा हूँ या सपने में हूँ, लेकिन मैं पूर्ण रूप से जगा हुआ था। मैंने अपने फ़ोन की रिकॉर्डिंग को check किया एक बार नही कई बार लेकिन यमी से मेरी बातचीत कही नही थी लेकिन उसकी जगह मेरी और राजीव कटारा जी की बातचीत की रिकॉर्डिंग थी।
उसको सुनने के बाद मैंने सबसे पहले यह लिखना उचित समझा कहीं भूल न जाऊँ कुछ। इसे लिखने में चार घण्टे लगे मुझे।
Edit करूँ कि नही इसी उहूपुहः में हूँ फिर किसी ने कान में कहा जैसा है वैसा ही रहने दो और मैंने रहने दिया।
हरीश शर्मा