गोआ का सामने बेहतरीन मौका है
भाजपा फिर से गोआ में सरकार बना रही है। प्रमोद सावंत करिश्माई मुख्यमंत्री नही है हम सबके बीच के ही लगते है सरल सपाट बोलने वाले। गोआ की जीत में भाजपा के साथ प्रमोद सावंत को भी श्रेय मिलना चाहिये। चुनाव से पहले के 4-5 महीने आसान नही थे सरकार में 4.6-8 साल मलाई खाने वाले कई मंत्रियों और विधायकों ने पार्टी छोड़कर अपने अपने उल्लू सीधा करने की कोशिश की।
यह ठीक है कि ममता बनर्जी की टीएमसी केजरीवाल की आप ने भाजपा की राह आसान बनाई । कांग्रेस का नुकसान अधिक बड़ा हुआ।
मुझे याद है अपने 3 साल के गोआ प्रवास के दौरान मैं देखता था प्रमोद सावंत से अधिक मीडिया में माइकल लोबो के बतौर मन्त्री बयान छपते थे प्रमोद सावंत के कम । कई बार लगता था लोबो मुख्यमंत्री या सावंत। लेकिन सावंत की चोट सही समय पर होती थी लोबो को रोज छपने के चस्का था । लोबो के समीकरण गड़बड़ा गये नही तो वो फिर मंत्री बनते। मुझे उम्मीद है अब भाजपा उन्हें किसी भी स्थिति में वापस नही लेगी।
वैसे फतोरदा के विधायक विजय सरदेसाई सबसे अधिक छपने वाले नेता थे ऐसा मुझे लगता था । सरकार का कोई भी बयान आये उसका विरोध बयान अगले दिन अखबारों में होता था। उन्होंने मीडिया पर अच्छा प्रभाव कायम किया था। अपनी सीट निकालने में वो माहिर है उनका गठबंधन भी काम नही आया। वह महत्वाकांक्षी नेता है लेकिन पत्ते सही पड़ नही रहे।
कॉंग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री दिगम्बर कामथ ने मडगांव में अच्छी पैठ बना रखी है भाजपा उनका तोड़ नही तलाश कर पाई है।
इस बार करीब पूर्ण बहुमत की सरकार बनी है प्रमोद सावंत को निर्णय लेने में आसानी होगी । पिछली सरकार में कांग्रेस से टूटकर आये विधायकों का दबाब रहता था उनमें सेकुछ मन्त्री भी बने थे जिनके अपने हित थे।
गोआ में तीन साल रहने के दौरान मैंने पाया गोआ एक विश्व प्रसिद्व पर्यटन राज्य बन सकता है। लेकिन उसके लिये अगले छह महीनों में ही कड़े निर्णय लेने पड़ेंगे । शुरू में इसलिये कि जिन निर्णयों की बात में कर रहा हूँ उनका परिणाम अगले दो वर्षों में दिखने लगेगा।
पहला और सबसे कठिन निर्णय है स्थानिय टैक्सी यूनियन की दादागिरी को खत्म करना मैं जानता हूँ यह बहुत ही अधिक कठिन निर्णय है लेकिन कभी न कभी तो लेना ही पड़ेगा। प्रमोद सावंत को तमाम निजी टैक्सी कंपनियों को गोआ में शुरुआत करने की इजाजत देनी पड़ेगी। ओला ऊबर के गोआ आते ही गोआ का पर्यटन 40-50% बढ़ जायेगा।
स्थानिय टैक्सी माफ़िया ऐसा न होने देने के लिये सारी हदे पार कर सकता है। हड़ताल कर गोआ को बंधक बना सकता है । गोआ माइल्स को शुरू करने की दिक्कत प्रमोद सावंत से बेहतर कौन जानता है। लेकिन उन्हें शायद यह नही पता होगा कि गोआ माइल्स ने भी प्राइवेट टैक्सियों की माफ़िक ही पर्यटनों को लूटना शुरू कर दिया है।
उनकी जानकारी के लिये बता दूं अब आप गोआ माइल्स की टैक्सियों को सुबह 8 से 11 और शाम को 5 से 7 बजे तक के बीच नही पायेंगे यह सभी टैक्सियां प्राइवेट टैक्सियों की तरह ही काम करती है मान लीजिये आपको कोलवा से मडगांव रेलवे स्टेशन जाना है तो इस 6 किलोमीटर के प्राइवेट टैक्सी लेगी 650 रुपये, गोआ माइल्स की एप्प पर नजर आयेगा 170 रुपये करीब लेकिन टैक्सी मिलेगी नही कम से कम 2 घण्टे तक । लेकिन यदि आपके पास गोआ माइल्स के ड्राइवर का डायरेक्ट नंबर है तो वो आपसे 300-400 रुपये लेकर पहुँचा देगा। यही पर यदि ओला ऊबर होगी तो आप करीब 100 रुपये में यह सफर पूरा कर सकते है।
टैक्सी यूनियन की दादागिरी का अंदाज इस बात से ही लगा सकते है कि गोआ माइल्स की टैक्सी किसी होटल के इर्दगिर्द भी नजर आ गई तो ड्राइवर को पिटना ही है। वजह उसकी हिम्मत कैसे हो गई हमारे क्षेत्र में घुसने की।
यह ठीक है कि ओला ऊबर आने से स्थानिय टैक्सी वालो की मेहनत बढ़ेगी स्पर्धा भी बढ़ेगी लेकिन उन्हें सोचना चाहिये कि गोआ का अद्भुत विकास होगा जिसका लाभ गोआ वासियो को ही मिलेगा।
तो सावंत जी यह निर्णय लीजिये इस निर्णय से पर्यटन का इतना विकास होगा जिसकी कल्पना भी नही कर सकते आप।
दूसरा अमूल चूल परिवर्तन करना है आपको गोआ के नेटवर्क में सुधार करने का। एक भी मोबाइल कंपनी का नेटवर्क ऐसा नही है जो सही से कम करता हो। हम साउथ गोआ रहते थे देश मे काम करने वाली किसी भी कम्पनी की इंटरनेट सेवा यहाँ उपलब्ध नही है। एयरटेल, जिओ, टाटा, ज़ी कोई नही । प्राइवेट स्थानिय कम्पनियों के रेट इतने अधिक है कि क्या बताऊँ। हम 1400 रुपये महीना देते थे साथ ही बीएसएनएल इंटरनेट सेवा भी ले रखी थी 800 रुपये महीने में कि एक नेटवर्क खराब हो जाये तो दूसरा काम आ सके। प्राइवेट वाला 5-7 दिन तो खराब रहता ही था।
स्थानिय लोग किसी भी नेटवर्क को घुसने ही नही देते उनका मानना है मोबाइल टॉवर लगने से ग्लोबल वार्मिग की शिकायतें बढ़ेंगी प्रदूषण बढेगा। हालाँकि कई बार मुख्यमंत्री ने बयान दिया कि बहुत से टॉवर लगाने की इजाजत दी गई है और सभी टॉवर सरकारी जमीन पर लगेंगे। हमनें तो सिर्फ बयान ही पढ़े टॉवर या कोई सुविधा तो देखी नही।
जितने भी बीच है उनका सौंदर्य करण और पर्यटकों को सुविधा के तमाम इंतजाम करने की संभावना हमेशा है इसके लिये मुख्यमंत्री को किसी विदेशी बीच को देखना चाहिए। इससे उन्हें आइडिया लगेगा कि क्या नया किया जा सकता है। मैंने अपनी न्यूज़ीलैंड यात्रा के दौरान वहाँ के बीच के सौंदर्यीकरण ओर सुविधाओं को देखा था वो अकल्पनीय था।
पणजी में माण्डवी नदी में खड़े कई कैसिनो शिप को कहीं ले जाने की बात पिछले कई सालों से पढ़ता रहा हूँ लेकिन मुझे लगता है स्थिति यहीं रही तो बहुत जल्दी यह कैसिनो स्वतः ही बंद हो जायेंगे उसकी वजह है एंट्री फीस के रूप में ली जाने वाली रकम जो 3 से 6-7 हज़ार तक है। आज के डिजिटल युग में एंट्री फीस का कोई मतलब नही है पचासियों कैसिनो खेल आपके मोबाइल पर उपलब्ध है जो फ्री में है और उनकी तमाम लुभावनी स्कीम भी लगातार आती रहती है। सरकार और कैसिनो मालिकों को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिये यह ठीक है इन कैसिनो से बहुत अधिक रेवेन्यू सरकार को मिलता है लेकिन उसका लाभ पर्यटकों को भी मिलना चाहिए। जहाँ तक मुझे याद है विदेशों के कैसिनो में एंट्री फ्री नही है।
गोआ के लोगो को बहुत अधिक विकास पसन्द नही है मुझे याद है एक मेडिकल कालेज खुलने का इतना अधिक विरोध गाँव वालों ने किया कि उसे कही और ले जाना पड़ा। वो अभी तक अधर में ही है।
रोजगार की समस्या हमेशा से किसी भी सरकार के लिये सबसे बड़ी समस्या है लेकिन गोआ के लिये अन्य सरकारों से भी बड़ी है। cag के मुताबिक गोआ सरकार पर करीब 23 हज़ार करोड़ से अधिक का कर्ज है । कमाई का सबसे बड़ा साधन mining पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिबंध लगा रखा है जिसकी कमाई को गोआ की life line कहाँ जाता है। केन्द्रीय सरकार के हस्तक्षेप के बाद कुछ सम्भवनाये बन सकती है लेकिन पिछले कुछ सालों से कुछ हुआ नही।
गोआ को आसानी से आई टी का बेहतरीन क्षेत्र बनाया जा सकता है लेकिन स्थानिय लोग ऐसा होने नही देंगे वजह वही प्रदूषण । सबको सरकारी नोकरी चाहिए सरकार चाह कर भी ऐसा करने की स्थिति में नही है कर्ज में डूबी सरकार अन्य लोगो को नोकरी देकर अपने कर्ज में इज़ाफ़ा ही करेगी। गोआ के लोगो को चिन्ता इसलिये भी बहुत अधिक नही है कि पंजाब की तरह यहाँ भी अधिकतर परिवारों में एक दो जन विदेशों में स्थापित है। रही सही कसर टैक्सी से पूरी हो जाती है कई परिवार ऐसे है जिनके पास 8-10 टैक्सी होना साधारण बात है।
नोकरी की चिन्ता बहुत नही है यहाँ यदि वो होती तो प्रदूषण के नाम पर हर चीज में व्यवधान न पैदा करते।
उत्तर गोआ और दक्षिण गोआ के आवागमन को आसान बनाने के लिए सरकार को गोआ मैट्रो के लिए कोशिश करनी चाहिए अभी से शुरू करने की माँग करेंगें तो 5 - 7 साल तक ऐसा होना सम्भव होगा लेकिन समस्या वही आयेगी स्थानिय लोगो का विरोध।
हरीश शर्मा
मुम्बई से।