Monday, July 11, 2022

40 दिन सुबह 3 बजे ध्यान


आज मुझे 40 दिन 3 बजे सुबह ध्यान करते हुए हो गए है। ऐसा नही है मैं पहले ध्यान नहीं कर रहा था या सुबह 3 बजे नही उठ रहा था लेकिन ऐसा लगातार नही हो पा रहा था कभी आईपीएल के मैच देखने लगा तो कभी कोई फिल्म या सीरीज तो कभी 11 बजे कभी 12 रात सोना होता तो स्वाभाविक है सुबह 5, 6 सुबह उठना होता था। उस समय ध्यान करने में वो आनन्द नही आता जो सुबह तीन बजे मुझे आता था। 

इसलिए जून 1 से प्रण लिया सुबह 3 बजे उठकर ही ध्यान करना है 40 दिन का ध्येय रखा। मुझे खुशी है मैं सफल रहा। ऐसा नही है इन 40 दिनों में ऐसी स्थिति न आई हो मैं अपने नियमित समय 9 बजे ही सो गया हूं, मुझे याद आता है चार मौके ऐसे आए जब मैं 11 बजे सोया एक रात तो 1 बजे सोया लेकिन उठा तीन बजे ही, और ध्यान किया। ध्यान पर विस्तार से बात करने और उसके लाभ बताने से पहले बताता हूं शुरुआत कैसे हुई। 

2015 में अचानक मेरा मन और दिमाग मेरे स्थायी जमे जमाए काम फिल्म पीआर से ऊब गया। कुछ ही दिन बाद मैने ऐसा ही किया भी। मुझे समझ नही आ रहा था ऐसा मैने क्यों किया। कमाई का कोई स्थाई साधन तो था नही सिवाय इसके जितने पैसे की जरूरत पड़ती थी उतने पैसे मेरे एक अकाउंट में आ जाते थे। कैसे उसके लिए मेरा ब्लॉग पढ़िए लिंक नीचे दिया है।


अपना काम बंद करने के बाद मुझे मेरी बेटी ने एक किताब भेंट की Autobiography of a Yogi - paramhans Yogananada, उस समय तक मैं किताब नही पढ़ता था इस किताब को मैं एक बार में ही पढ़ गया, इस किताब का बहुत असर पड़ा। तभी मेरी परिचित प्रसिद्ध सूफी गायिका रागिनी रेनू ने मुझे दी मैजिक पढ़ने को दी उसके बाद Dr Brian Weiss only Love is real दी।


मेरे पास समय था मैंने सभी किताबे पढ़ ली अब किताब पढ़ने का चस्का लग गया। मैंने परमहंस योगानंद की किताब हिंदी में भी पढ़ी। उस किताब को मैं अभी तक 6 बार पढ़ चुका हूं। मुझे लगता है यदि आपने वो किताब और श्री मद भगवद गीता नही पढ़ी तो जीवन में कुछ रिक्तता है।


 उसके बाद मुझे ध्यान लगाने की प्रेरणा मिली, यूट्यूब पर कई वीडियो देखे मेडिटेशन से सम्बन्धित और जो सही लगा शुरू कर दिया 2015 में ही। धीरे धीरे ध्यान और अध्यात्म के प्रति रुझान बढ़ने लगा। 

कई बार लगा इस विषय में पहले क्यों नहीं पता लगा लेकिन जो कार्य जब होना होता है तभी होता है। लगातार किताबे पढ़ने से अब किताब लिखने का मन किया लेकिन क्या लिखे कुछ समझ नही आ रहा था। 

उस दौरान हम मुम्बई में ही थे, बेटी हैदराबाद में पढ़ रही थी। सब ठीक चल रहा था। बेटी को मिलने हैदराबाद गए तो कुछ दिन बाद ही बेटी बेहद बीमार पड़ गई। रात तीन बजे उसे लेकर हॉस्पिटल भागे। डॉक्टरों ने जवाब दे दिया। लेकिन मुझे पूर्ण विश्वास था कुछ नही होगा। 19 दिन बाद वो वापस घर आई। अगले दिन ध्यान में था तब एहसास हुआ जो घटना चक्र 2015 से शुरू हुआ उसकी वजह ही थी सही समय पर बेटी के साथ होना और उसका बचाव, सब पहले से लिखा था। हमें ईश्वर ने माध्यम बनाया।

तब से अध्यात्म और ध्यान का समय लगातार बढ़ता गया। अब 40 दिन के ध्यान पर आता हूं। इससे पहले भी 7 , 11 दिन के संकल्प लिए थे, 7 दिन का मौन धारण भी किया। 2022 में मुम्बई वापस आने के बाद यह सिलसिला बढ़ता गया। 

आज 40 दिन का संकल्प पूर्ण होने से बहुत शान्ति मिली। इन 40 दिनों में मैं ठीक 3 बजे उठता था एक भी सेकेंड अधिक नही। आखिरी के 10 दिनों में तो अलार्म की भी जरूरत नही रही। 3 बजे उठते ही अपने बिस्तर पर ही एक छोटे तकिए पर बैठ कर ध्यान में बैठ जाता तकिए पर बैठने का लाभ यह होता है कि आपकी कमर सीधी रहती है और आपको आलस्य नही आता।


कानों में रबड़ की दो गिटक जिन्हे ईयर बड़स भी कह सकते है लगाकर इससे पंखे की आवाज और अन्य आवाज़ों पर अंकुश लग जाता। गिटक लगाते ही दिल की धड़कन साफ सुनाई देती धक धक धक धक, रबड़ की गिटक लगाने के फायदे मैंने संदीप माहेश्वरी से सीखे अब यह मत पूछना संदीप कौन है नही पता तो यूट्यूब से पूछ लीजिए। दिल की धड़कन पर ध्यान केन्द्रित कर ध्यान लगाने का भी आनन्द अद्भुत है करिए और जानिए।

20 मिनट बाद जमीन पर पैर रखने से पहले दो मंत्र पढ़ता हूं पहला - दोनो हथेली को देखकर 

कराग्रे वसते लक्ष्मी: करमध्ये सरस्वती।

 करमूले स्थित ब्रह्मा प्रात: कर दर्शनम ।। 

दूसरा  - 

ब्रह्म मुरारी त्रिपुरंतकारी भानु शशि भूमि सुतो: बुध्श्च गुरुस्चो

शुक्र: शनि राहु केतव: कुरुवंतु सर्वे मम सुप्रभातम।

उसके बाद फ्रेशअप और आंखों पर पानी के छपाके मारना, ऐसा करना बहुत जरूरी है। 2015 में मुझे चश्मा लग गया था लेकिन तब से अब तक आंखों में पानी मारने के बाद जीभ से लार को आंखों के अंदर काजल की तरह लगाने से चश्मा कभी नही लगा। 


अपने मन्दिर के भगवान का जागरण करा कर प्रणाम करता हूं। आकाश के नीचे खड़े होकर ब्रह्माण्ड को प्रणाम करता हूं कुछ मिनट आंखे बन्द कर सुनने की कोशिश करता हूं। कभी कभी कुछ सुनाई देता है जैसे बहुत सारे लोग एक साथ बाते कर रहे है। कुछ स्पष्ट सुनाई नही देता। मैं स्पष्ट सुनने की कोशिश कर रहा हुं।

 मुझे पूर्ण विश्वास है एक दिन ऐसा होगा जब मैं कुछ स्पष्ट आवाज सुन पाऊंगा कुछ सुन पाऊंगा। मैंने सुना है कृष्ण का गीता ज्ञान ब्रह्माण्ड में गूंज रहा है। मुझे पता नही मैं इतना भाग्यशाली हूं कि उन्हें सुन पाऊं। लेकिन मुझे लगता है कुछ स्पष्ट भी सुन पाऊं तो अदभुत होगा। जब ब्रह्माण्ड के खजाने से मुझे जो सुनाई देगा वो क्या होगा क्योंकि शब्द लहरी तो स्थिर नहीं होते गतिमान होने से कौन सी भाषा कौन सा ज्ञान मुझे मिलेगा उसका बेकरारी से इंतजार है मिलेगा जरूर वो आप लोगो से साझा करूंगा।

इस धरा और ब्रह्माण्ड में अद्भुत भण्डार है इतना कि आप जितना लेना चाहे प्राप्त कर सकते है। थोड़ा आसान नही है पर असम्भव भी नहीं है। लगातार प्रयास करते रहना पड़ेगा। 

उसके बाद मैं वापस अपने कमरे में आकर दोनो रबड़ गिटक कान में लगाकर ध्यान में बैठ जाता हूं। तीन मिनट से ध्यान की शुरु हुई प्रक्रिया तीन घंटे तक पहुंच गई है । पहले 40 मिनट सिर्फ ध्यान में होता हूं। विशेष यह जब से ध्यान शुरू किया है खासकर पिछले दो वर्षो से मुझे सपने नही आते । सबकुछ साक्षात ध्यान में ही नजर आता है। 

मुझे ध्यान में ही दिखता है जो दिखना है। मुझे कई बार लगता है मैं अपने शरीर में ही नही हूं। तीन दिन पहले दो बच्चे एक लड़का एक लड़की करीब 7, 8 वर्ष उम्र के मेरे पास आए, मैंने दोनों की उंगलियां थामी और हम आकाश में उड़ चले । हम लोग करीब 15 मिनट तक ब्रह्माण्ड में रहे। वापस आते समय पृथ्वी पर पहुंचने से पहले दोनों बच्चे गायब हो गए, उससे पिछले दिन मैंने देखा मेरे सामने वाली सोसाइटी की एक बच्ची 9,10 वर्ष की व्हील चेयर पर है उसे देख मुझे अपनी बेटी भी याद आई। 

मैंने ध्यान में ही महाकाल से पूछा क्यों प्रभु इतनी छोटी बच्ची व्हील चेयर पर, मुझे महसूस हुआ मेरी बंद आंखों से जार जार आंसू बह रहे है । प्रभु मुस्कराए ध्यान से चले गए । क्या कहना चाहते थे समझ नही पाया। कई बार ऐसा हुआ ध्यान के बाद जब मैं अपनी हाथ घड़ी देखता हूं उस पर मुझे 800,1000 स्टेप हो चुके होते नजर आते है । जबकि सुबह मैं बमुश्किल 50, 100 स्टेप ही चलता होऊंगा। मैं कहां जाता हूं मुझे पता नही। 

नही आप गलत समझ रहे है मैं नींद में नही चलता कभी। मेरी पत्नी और बेटी को कभी नही लगा मैं नींद में चलता हूं। 9 बजे प्रति रात्रि निद्रा और 3 बजे उठना अब नियम बन गया है। 8 बजे मैं अपने कमरे में जाकर 11 बार मार्जरी आसन करता हूं जिसे बिल्ली गाय मुद्रा भी कहते है। उसके बाद वज्रासन पर 21 बार ॐ नांद और 21 बार अनुलोम विलोम कर 15 मिनट का ध्यान कर सोता हूं। जैसे ही अपने बिस्तर पर 9 बजे लेटता हूं। मुश्किल से 5 मिनट के अंदर नींद के आगोश में चला जाता हूं ।

सुबह 40 मिनट जो पहला ध्यान करता हुं उसमे अधिकतर आती जाती सांस पर ध्यान लगाता हूं । उस दौरान अपने आज्ञा चक्र यानि दोनो आंखों के बीच का स्थान पर कभी अग्नि लौ, कभी ॐ, कभी निराकार शिव को ले आता हूं। जितनी देर तक चाहता हूं वो प्रतीक विद्यमान रहता है।

 लेकिन अधिकतर ध्यान शून्य अंधकार निराकार भाव ही रहता है सांसों और कृष्ण कहे अनुसार नाक के अग्रभाग पर ध्यान केन्द्रित करने आता जाता रहता हूं ध्यान सीमित नहीं है इसका विशाल स्वरूप है जितना करेंगे उतने ही पैठते जायेंगे। मेरी बातें अजीब लग सकती है लेकिन वो सब वही है जो अनुभव करता रहा हूं। 

पहले ऐसा नही था बहुत संघर्ष किया अभी भी ध्यान भटक जाता है और यह सतत प्रक्रिया है। हमेशा चलती रहेगी। लेकिन एक बार जब ध्यान में आप रम जाते है तो अद्भुत आनन्द आता है। 

आप सब से भी यह प्रार्थना है शुरू कीजिए सिर्फ 3 मिनट आंखे बन्द कीजिए, कभी भी, जरूरी नही है सुबह ही, कभी भी कहीं भी, ऐसा सिर्फ 15 दिन कीजिए, विचारों का घालमेल होगा होने दीजिए, बस तीन मिनट से पहले आंखें मत खोलिए आप पायेंगे कुछ ही दिन में सुबह ही आप ध्यान करने लगे है, समय बढ़ गया है। ध्यान करने की बैचेनी बढ़ने लगी है। 

अभी तक मुझे कुण्डलिनी जाग्रति का कोई अनुभव नहीं हुआ है । कैसे होती है मैंने कोशिश भी नही की। अपने आप हो जाए तो मुझे पता नही। 

ध्यान में मुझे एहसास होता है कि मैं यानि मेरी चेतना शरीर छोड़ने लगी है और थोड़ी बहुत देर में वापस शरीर धारण कर लेती है। कई बार जब मैं बाद में इस पर गौर करता हूं तो सोचता हूं कभी ऐसा हो गया कि मेरी चेतना शरीर छोड़ गई और वापस नही आई तो ? 

तुरन्त जवाब मिल जाता है होईहि सोई जो राम रची राखा। मैं भी इस पर पूर्ण विश्वास करता हूं जितनी सांसे ईश्वर ने दी है उससे एक कम न अधिक किसी को मिली है। आना जाना नियम है जो सबको पहले या बाद में निभाना ही होगा। उसकी अब कोई चिन्ता नही होती। एक बात और आप किसी भी जाति या धर्म के हो ध्यान को कोई फर्क नही पड़ता आपको ॐ से दिक्कत हो तो आप होम का नांद करे वैसे ओम तो अद्भुत है यह शब्द ब्रह्माण्ड की ईश्वर की देन है।

ध्यान के बाद सबसे अच्छा यह हुआ कि परिस्थिति कैसी भी हो मनस्थिति एक सी ही रहे । समभाव। ऐसा ही हुआ है। चित्त शांत हुआ है। चमत्कार होते रहते है जो समय समय पर साझा करता रहता हूं। ध्यान से एनर्जी का स्तर बहुत अधिक हो जाता है मैं 3 बजे उठकर 9 बजे ही सोता हूं दिन में कभी नही सोता ना जरुरत ही महसूस हुई। कभी आलस्य आया तो 2 मिनट आंखें बन्द की कुछ गहरी सांसें ली सब कुछ ठीक, कभी बीमार नही पड़ता, कभी थकावट नही होती, जिम में 2 घण्टे पता ही नही चलता कब हो जाते है। 


चार बजे मेरा शान्त ध्यान ॐ नांद में बदल जाता है, बैठने की मुद्रा बदल लेता हूं अब पद्मासन में होता हूं ध्यान सुखासन में करता हूं। मैं 108 मनको की माला से लम्बे गहरे ॐ नांद करता हूं, पहले तो नही लेकिन अब ॐ नांद नाभी क्षेत्र यानि मणिपुर चक्र से प्रारम्भ होते है, ॐ प्रतीक लगातार आज्ञा चक्र पर विद्यमान रहता है। इसके बाद 108 बार अनुलोम विलोम करता हूं। कोशिश यही रहती है इस बीच ॐ प्रतीक आज्ञा चक्र पर स्थिर रहे। अधिकतर सफल रहता हूं।

एक घंटे में ॐ नांद और अनुलोम विलोम करने के बाद 15/20 मिनट अपने पैर दीवार पर कमर से ऊपर रखता हूं इस क्रिया को विपरीत करणी या लेग्स अप वॉल पोज भी कहते है। इस योग की सबसे बड़ी खूबी है खून का विपरीत दिशा में दौरा होता है इस योग के फायदे आपको यूट्यूब पर मिल जायेंगे। इस योग को करने के बाद जरूरी है 5 मिनट का शवासना योग करना जिससे खून का दौरान वापस प्राकृतिक रूप में आ जाए।

इसके बाद 20 मिनट के व्यायाम 20 मिनट श्री मदभगवद गीता पाठ और 20 मिनट कुछ पढ़ता हूं।

यदि परिवार का सहयोग न मिले तो आप कुछ भी नही कर सकते ध्यान अध्यात्म भी नही, मैं खुशनसीब हूं मुझे पत्नी और बेटी का पूरा सहयोग है हो सकता है उन्हे कई बार लगता होगा यह सब ज्यादा हो रहा है लेकिन वो कुछ कहते नही, ना चाहते हुए भी तारतम्य बना लिया है, पहले हम तीनो साथ में रात में कोई फिल्म देखते या रात्रि भोज पर बाहर जाते थे वो मेरे कारण बन्द हो गया है। यदि मैं देर तक जागता हूं तो मेरा अगला दिन व्याधित होता है। मेरा साधुवाद है परिवार को।

मुझे पता है आप लोग इतनी लंबी पोस्ट पढ़ने सुनने के बाद इन्तजार कर रहे होंगे सबसे जरूरी बात आर्थिक रूप से क्या लाभ होता है ध्यान से। मैं बताता हूं। मैंने लाखों रुपए से लोगों की मदद की मदद नही यह शब्द मुझे अच्छा नहीं लगता मदद सिर्फ ईश्वर कर सकते है। आप सिर्फ सहयोग कर सकते है। 

यदि मैं हिसाब लगाऊं तो करीब 2करोड़ रूपये होंगे जो मुझे लेने है लोगो से जिनको सहयोग किया, लेकिन वो सब मित्र परिचित परिस्थित वश नही दे पा रहे है। ऐसे में पहले दिक्कत होती थी चिंता होती थी। लेकिन लगातार ध्यान करने के बाद चिन्ता खत्म हो गई। यह समझ आ गया चिन्ता या परेशान होने से पैसे आने से रहे। लेकिन मुझे पूरा विश्वास है आज नही तो कल सारे पैसे ब्याज सहित वापस आयेंगे l 

ध्यान लगाने से आर्थिक रूप से कोई जरूरी काम रुकेगा नही। समय एक सा नही रहता आर्थिक समस्याएं भी आती है लेकिन मुझे लगता है यह ध्यान का कमाल है मित्र परिचित परिवार आपकी मदद को तैयार रहते है मेरे साथ तो ऐसा ही होता है जरूरत पड़ने पर जिससे भी मदद मांगी कभी न सुनने को मिली। आप सोच रहे होंगे मदद तो अच्छा शब्द नही है मैंने ऐसा लिखा लेकिन जब आप कुछ मांगते है तो मदद सही शब्द है लेकिन जब आप किसी की समस्या का समाधान करते है तो सहयोग ही अच्छा शब्द है। 

ध्यान करने से आर्थिक सम्पन्नता भी आती है यह पक्का है यह आपके कर्मा पर निर्भर है, समय जल्दी या देर से उसी पर निर्भर है । ध्यान मदद जरूर करता है यदि आपको कुछ समझ नही आ रहा पैसे की बहुत जरूरत है आपको यह भी समझ नही आ रहा किससे मांगे तो भगवान पर विश्वास रखे और ध्यान में ब्रह्माण्ड से मांग ले महाकाल आपकी मदद करेंगे अवश्य करेंगे। मेरे साथ तो ऐसा ही होता है लोग मदद करते है ब्रह्माण्ड और महाकाल हमेशा मेरे साथ होते है । आप भी प्रयास करे विश्वास करे निराश नहीं होंगे।

जल्द ही ऐसा समय आयेगा आप पूर्ण कर्ज मुक्त होंगे आपका अपना मकान होगा गाड़ी होगी सबसे जरूरी शान्ति सुकून मिलेगा। आपका दिन शुभ हो। नमस्कार 

समय समय पर आपके साथ अपने अनुभव इस तरह की जानकारी आप तक पहुंचाता रहूंगा। आपका कोई प्रश्न हो तो बताएं कोशिश होगी सही उत्तर दे पाऊं नही देने की स्थिति में होऊंगा तो महाकाल के पास अर्जी लगा दूंगा आपको सीधा जवाब मिल जायेगा यह निश्चित है।


हरीश शर्मा