Thursday, October 6, 2022

आर एस एस के अंग्रेज

आरएसएस के अंग्रेज

पिताजी बंशीधर जी की डायरी से


1975 की इमरजेंसी अपने चरम पर थी संघ के अधिकारी उससे अछूते नहीं थे। लेकिन उनमें से कुछ विशेष को बाहर रहकर सांगठनिक जिम्मेदारी निभानी थी। मैं

 उसी समय की एक खास घटना बताता हूं। 

घर बरेली के नजदीक एक खास गोपनीय मीटिंग एक बड़े अधिकारी ने लेनी थी। जिन लोगो को उसमे शामिल होना था उन्हें पहले मेरे घर आकर उस स्थान का पता और समय लेना था तभी वो शामिल हो सकता था। मीटिंग नियत समय पर होनी थी। मैं भी सही समय पर पहुंच गया था । बड़ी असमंजस की स्थिती थी मीटिंग कौन लेगा। 

एक सज्जन वहां थे एकदम गोरे सफारी सूट में हैट लगा हुआ था कोई अंग्रेज थे। सभी आश्चर्य में थे संघ की इस मीटिंग में कोई अंग्रेज कैसे आ सकता है। 


उन्होंने जैसे ही बोलना शुरू किया सब आश्चर्य में रह गए वो अंग्रेज कोई और नहीं रज्जू भैया थे। रज्जू भैया क्लीन शेव्ड उनकी सदाबाहर मूछें गायब थी, हमेशा धोती कुर्ते में रहने वाले रज्जू भैया सफारी सूट में हो सकते है कल्पना से परे था। जब वो सरकार्यवाह हुए तब से कई बार सानिध्य मिलता रहा था।


जब वो मीटिंग खत्म हुई उसके बाद मेरे जीवन का विशेष क्षण आया जब निश्चित हुआ कि तीन चार लोगो के साथ रज्जू भैया मेरे घर आकर चाय नाश्ता करेंगे


आपातकाल में यह प्रसाद मुझे मिला इतने बड़े महानुभाव के चरण मेरे घर में पड़े। मैने अवश्य इस या किसी जन्म में अच्छे कर्म किए होंगे जो मेरे जैसे सामान्य व्यक्ति के घर में प्रसिद्ध लोग आते रहे।