Tuesday, May 28, 2024

I am not Guilty - Kasab. A book by Harish Sharma

I am not Guilty - Kasab 

CHAPTER ONE

On November 21, 2017, after a busy trip to China, Sweta returned to her office. She found a courier on her desk, containing a book titled I Am Not Guilty - Kasab. Seeing her name beneath the title, she smiled.

She quickly made a call. "Can I talk to HM? This is Sweta," she requested.

"Madam, please hold while I connect you," the assistant replied. Shortly, HM was on the line. "Hello, Sweta! How was your trip? Hope you found some exciting things in China."

"The trip was fantastic, sir, and I received your surprise courier," Sweta answered.

"Finally! After years of waiting and numerous challenges, the truth will be revealed through this book," HM said.

"I appreciate your faith in my memory, especially since we lack concrete proof of my conversation with Kasab. It’s essential this doesn’t come across as a fictional biography, though I trust our country will grasp its significance," Sweta responded.

"Best of luck with your first book. Let me know the launch date; I'll try to attend," HM offered.

"Thank you, sir. It means a lot that you’ll be there to face any controversy with me," Sweta replied.

After hanging up, Sweta browsed through the book, reminiscing about the incident from five years ago.

Later, she visited Kavita's office. "Well done, Sweta! The discussion went well, I presume?" Kavita asked.

"I hope there's no hidden camera here," Sweta half-joked.

"You can trust me," Kavita reassured her.

"The interview exceeded my expectations. If the book captures even 30 to 40% of our conversation, I'll be surprised. I plan to head home to Delhi tonight," Sweta said.

However, Kavita's phone rang, and she received new instructions. "Looks like you're staying another day," she told Sweta with a smile.

"No problem, but how about joining me for dinner tonight?" Sweta suggested.

"Sure, I'll come by at 8," Kavita agreed.

At 8 PM, they were having soup in Sweta’s room when they were interrupted by a knock. Sweta peered through the peephole to see four police officers.

CHAPTER TWO

Surprised, Sweta whispered to Kavita, "Quick, change into this shirt," handing her one. Confused but compliant, Kavita changed in the bathroom.

Sweta opened the door. "It's just a routine check," the officers explained.

Kavita reappeared, greeting the senior officer. "Hello, Amit! Everything okay?" she asked.

After a brief conversation, Kavita relayed to Sweta, "They're going to take everything for inspection but will return it by tomorrow."

Although annoyed, Sweta kept her composure. After the officers left, taking her possessions, they handed her a packet with new clothes and toiletries.

Once alone, Kavita signaled to Sweta to remain silent, suggesting the presence of a hidden recorder. Sweta nodded and whispered, "Let's continue with our dinner."

The next morning, Sweta returned home to find all her items had been returned as promised.

She then took two days off work to document her conversation with Kasab in detail, aware that memories might fade over time.

CHAPTER THREE

On the second day of writing, Sweta received a call from HM’s office, requesting her presence. At the meeting, HM congratulated her, "Your detailed recollections will make for an extraordinary biography."

Sweta, feeling somewhat resentful of the unexpected monetary offer, remained silent.

"I know you're upset, but it's a routine procedure. Try to take it easy," HM said, misunderstanding her silence.

"Thank you, sir. I must get back to work," Sweta replied, eager to leave.

As she exited, HM’s secretary handed her an envelope filled with money. Sweta immediately returned it, saying, "Please, if there’s any reward, let it come after the book is published."

She left the office with her principles intact, ready to face whatever reactions the publication of her book might provoke.

Harish Sharma 

harishsharma1@gmail.com

Spot fixing No Ball 2 crore my new book

Spot Fixing - "No Ball 2 Crore": A Tale of Triumph and Tribulation

At just 18, Siddh, an exceptionally talented cricketer, bursts onto the international scene, dazzling as he helps his team clinch victory against England, the world's top cricket team, in his first two test matches. His performances earn him the Man of the Match awards and ignite hope for a series sweep.

But Siddh’s rising star is abruptly tarnished. After the second test, allegations of spot-fixing thrust him into a scandal. England, fearing a blow to their prestigious cricket heritage and eager to protect their image after ruling his country for over 200 years, sees Siddh as a threat.

In a desperate move to safeguard their legacy, they orchestrate a plot that lands Siddh in a courtroom. Despite the gravity of his actions, the judge, swayed by Siddh's youth and potential, hands down an unusual sentence—exile to a remote island for a year.

Isolated and stripped of his career, Siddh faces the ultimate test of survival and redemption.

Will he find a way back to the sport he loves? Can he play for his nation once more?

Dive into this gripping saga of sport, betrayal, resilience, and redemption, where every emotion plays out against the backdrop of the game that defines nations.

Thursday, May 16, 2024

Law of attraction The real truth

Law of attraction The real truth 

बेटी पत्नी काफी समय से के रहे थे दूसरो के motivational videos देखते रहेगें अपने विडियो बनाकर लोगो को प्रेरित कर सकते हो तो करते क्यों नही। 

हिम्मत ही नहीं पड़ रही थी लेकिन सोचा जब लिखे की तारीफ मिल जाती है तो बोलने की भी कुछ तो मिल ही जायेगी।

अब लगा शुरुआत कभी तो करनी है तो आज से अच्छा दिन क्या हो सकता है 14 मई 1995 हमारी शादी की सालगिरह। न न शादी के 29 साल की बात नही कर रहा हूं ।

यह वीडियो पूर्णतया motivational है और topic है law of attraction चाहत का कानून, मैं इस विषय को कुछ अन्य नाम भी देता हूं art of attraction, love of attraction, ब्रह्माण्ड का आकर्षण, attraction of universe.

इस विषय पर लाखों नही तो हजारों वीडियो यूटयूब पर मिल जायेंगे । कम से कम 50 ऐसे expert मिल जायेंगे जिनको देख सुन पढ़कर मैंने जाना कि law of attraction क्या है । अब आसान तरीका तो ये था मैं सबको सुनकर उनकी best बातों को मिलाकर आसानी से एक वीडियो बना लेता ।

लेकिन मुझे वास्तविक वीडियो बनाना है अपने अनुभवो के वीडियो से शुरुआत करते है । जो लोग सुन रहे है देख रहे है उन्हे भी लगेगा अरे ये तो मेरा ही अनुभव है मेरे साथ भी तो ऐसा ही हुआ था हुआ है। 

तो सुनिए पढ़िए मेरे अनुभव आपके अनुभव बरेली में जन्मा पला बढ़ा । उस समय तो न पता था, उस समय क्या, यूटयूब आने के  8/10 बाद भी यह motivational ज्ञान आम लोगो को पता था अब ऐसा तो है नही कि उस समय law of attraction नही था लेकिन हम अनजाने में ब्रह्माण्ड से ईश्वर से वो पा जाते थे। जो ओशो को या उन जैसे ज्ञानियों को सुन पाते थे तो वो उनकी सुनी बातो को कैसे लेते थे पता नही, क्या ऐसे ही जैसे आज हम ओशो को सुनकर महसूस करते है।

आज सोचता हूं उस काल खण्ड में जाता हूं तो पता चलता है अरे यही तो law of attraction, बचपन में हम सरल होते है बिना किन्तु परंतु के, यही law of attraction का सबसे बड़ा नियम है । कुछ छोटी छोटी चाहत के नियम की बात बताता हूं।

पहला love of attraction था, cricket खेलते थे उस समय दिमाग में आता था मैं अपने स्कूल में मोहल्ले में सबसे बेहतरीन खिलाड़ी बन जाऊं करीब 400/500 लोग तो थे ऐसे थे जो साथ खेलते थे और खेलते खेलते मैं उनमें से बेहतर होता गया । 

8/10 साल का रहा होऊंगा जब बरेली स्टेडियम जाना शुरू किया वहां बड़ी उम्र के खिलाड़ियों को देखकर लगता यह मुझसे बेहतर है अपने best friend अभय को देखकर हमेशा दिल दिमाग कहता यह मुझसे बेहतर खिलाड़ी है तो वो हमेशा रहा।

उस समय भी आज भी स्पोर्ट्स कॉलेज लखनऊ में चुना जाना बहुत कठिन होता था पहले चार पांच शहर में ट्रायल होते थे जिसमे चार पांच हज़ार बच्चे आते थे उनमें से 25 / 30 का चुनाव होता था लखनऊ स्पोर्ट्स कॉलेज में ट्रायल के लिए और हमारे समय में 1977- 1980  बहुत खुर्राट यानि सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट गुरु थे अरुण भारद्वाज वो कोच नही होते तो टेस्ट खेलते पक्का खेलते। 

वो हमारा ट्रायल ले रहे थे ग्राउंड में अपने अपने शहर के 13/14/15 उम्र के 1000/1500 खिलाड़ी तो रहे होगें। मैं उस समय भी जानता था मैं सर्वश्रेष्ठ नही हूं लेकिन दिल दिमाग में एक बात बैठा ली selection तो कोई रोक नही सकता होकर रहेगा। अब ये बैठ गया तो बैठ गया ।

ट्रायल में गुरुजी ने मुश्किल से 3 गेंद बैटिंग कराई और 3 गेंद फिकवाई होगी तब भी पूरा भरोसा था मैं तो चुन लिया गया हूं।  और पहली list declare हुई तो उसमे पहले चार खिलाड़ियों में मेरा नाम था मजे की बात थी मैदान में उपस्थित पिताजी भी सिर्फ एक ही बात कह रहे थे हरीश तेरा चुना जाना पक्का है यानि आज के अनुसार एक ही चीज के लिए दो लोग अनजाने में law of attraction करने में लगे थे।

चुनाव के बाद अन्य खिलाड़ियों के साथ खेलने से किंतु परंतु आने लगा तो अनजाने में law of attraction के भरोसे पर प्रश्न चिन्ह लगने लगे । अभय भी एक साल सीनियर था वो बिना मेहनत किए best था परिस्थिति ऐसी बनी उसे कॉलेज छोड़ना पड़ा। हमारे batch में राजदीपक भारद्वाज बहुत मेहनती खिलाड़ी था दिल दिमाग ने स्वीकार कर लिया कि वो हम में से सर्वश्रेष्ठ है ।

यानि law of attraction का हम में किसी को नहीं पता था लेकिन हम राज के लिए अनजाने में law of attraction नियम का पालन कर रहे थे अपने लिए नहीं। बाद में राज ने स्कूल क्रिकेट की भारतीय टीम में जगह बनाई और वेस्टइंडीज खेलने गया जिस टीम में चेतन शर्मा सबा करीम जैसे खिलाड़ी थे जो बाद में भारत के लिए खेले। अभय और राज  दुर्घटना के कारण आज हमारे बीच नही है लेकिन उनकी अमिट छाप जीवन रहने तक रहेगी।

वीडियो बड़ा होगा लेकिन कोशिश रहेगी आप बोर न हो मुझे भारी भरकम वाक्य और वैज्ञानिक शब्दो की बहुत जानकारी नही है इसलिए जो शब्द वाक्य निकल रहे है वो दिमाग की जगह दिल से निकल रहे है। 
अब मैं law of attraction के ऐसे सच्चे किस्से पर आता हूं जो मेरी पत्नी को बहुत अच्छा न लगे लेकिन इस से बड़ा law of attraction, manifestation यानि मन की अभिव्यक्ति मन का भरोसा हो नही सकता। 

शादी की उम्र हो चली थी 27/28 वैसे अधिक नहीं होती लेकिन 1990 के दशक में अधिक होती थी । अम्मा पिताजी को चिन्ता अधिक थी मुझे कई लड़कियों ने reject कर दिया था वास्तव में जितनी भी लड़कियों ने देखा था मन दिमाग यही कहता था यह ही मना कर दे और वो मना कर देती थी क्योंकि किसी को भी देखकर मन की घंटी बजती ही नही थी । 

हां मन दिमाग को एक संदेश दे दिया था शादी करूंगा सिर्फ ऐसी लड़की से जो extraordinary खुबसूरत हो दिल दिमाग सीरत से, और मुझे पता था ऐसा होगा ही। यानि law of attraction अपना काम करने लगा था। 

करीब 1992/93 में पिताजी किसी माध्यम से बरेली की एक लड़की का फोटो लाएं मुश्किल से उंगली size ka फोटो था लेकिन उसे देख कर दिल दिमाग ने कहा यही लड़की तो है जिसकी तलाश है । मेरा फोटो मेरे विषम में उन लोगो को बताया गया ।

अब जैसा होता है हरेक परिवार और लड़की का और ऐसी लड़की का जो अधिक ही खुबसूरत हो का सपना होता है लड़का डॉक्टर हो अमीर हो जीवन में सफल हो दिखने में भी स्मार्ट हो । मेरे में तो इनमे से एक भी बात नही थी वही हुआ मुझे reject कर दिया गया ।

पहली बार थोड़ी देर के लिए दिल टूटा लेकिन घर वालो को ब्रह्माण्ड को ईश्वर को एक संदेश दे दिया शादी करूंगा तो इसी लड़की से और मन दिमाग में बैठा लिया शादी तो इसी से होगी।

आज के तरह मोबाइल तो होते नही थे होते भी तो हिम्मत नही होती मैं पूछ पाता कुछ कह पाता । मैंने तो सब कुछ तीसरी शक्ति पर छोड़ दिया। आज की पीढ़ी को लगेगा शादी के लिए लड़की के लिए कोई law of attraction का इस्तेमाल करता है क्या।

मुझे कहां पता था ऐसा कोई नियम होता है वो तो आज पता है इसलिए अंदाज लगाता हूं वो law of attraction, manifestation ही रहा होगा। इन्तजार करता रहा दिल दिमाग को कहता रहा पलट लड़की का दिल दिमाग ।

एक डेढ़ साल बाद पिताजी को बोला पता करे उस लड़की के बारे में । पता चला अभी उनकी शादी नही हुई है मन दिमाग ने कहा yes ये तो होना ही था। परिस्थिति किन्तु परंतु होने के बावजूद law of attraction ने अपना कमाल दिखाया। 14 मई 1995 को वो लड़की मीनाक्षी जीवन का भाग बन गई । 

हालांकि मुझे पाना मीनाक्षी का law of attraction न था न है उनका विश्वास भी इस सब में नही है she believes in practicality and I fully respect her decision but I know the power, law of attraction law of nature law of love.

आज के लिए इतना ही मेरी अपनी सभी कहानियां पूर्णतया law of attraction manifestation power of nature से भरी हुई है । तो तीन चार वीडियो में मेरी ही ऐसी कहानी होगी तब तक मुझे शायद इतना ज्ञान हो जाएं मैं भी दार्शनिक बन जाऊं मुझे भारीभरकम शब्दो वाक्यों का ज्ञान हो जाएं। वैसे law of attraction हम सब के इर्द गिर्द ही होता है हम कितना स्वीकार कर पाते है समझ पाते है यह भी तभी होता है जब ब्रह्माण्ड चाहता है हम उसे समझे।