Friday, February 21, 2025

ओपनर्स - सलामी बल्लेबाज़ों की कहानी - शिवेन्द्र कुमार सिंह


ओपनर्स - सलामी बल्लेबाज़ों की कहानी 

शिवेन्द्र कुमार सिंह 

क्रिकेट को जीवन के शुरूआती 30 वर्ष दिए है। जब क्रिकेट की बात हो किताब हो और लेखक मित्र हो तो पढ़ने और परखने में मज़ा आता है। दोस्त को ही तो बताएंगे क्या अच्छा है क्या  बेहतर किया जा सकता है। 

किताब का cover बहुत रुचिकर है ऑस्टीन कुटिन्हों ने बहुत सुन्दर कैरीकेचर बनाए है। 

किताब अमेज़न से मंगाई। मुझे लगता है किताबें पैसे से ही मंगानी चाहिए। मैं खुद भी लेखक हूं तो कोई क़िताब बिकने के बाद जब उसकी जानकारी लेखक को मिलती है तो लेखक की हिम्मत बढ़ती है सुकून मिलता है। 

जब किताब खोली पन्ने पलटे तो अजीब से हल्के पीले पेज थे जब पढ़ना शुरू किया तो पहले पेज पर हेडिंग है पेंगुइन के साथ मिलाएं पर्यावरण से हाथ - हर पृष्ठ उत्कृष्ट 

दरअसल पर्यावरण की बेहतरी के लिये सभी पेज 100% रिसाइकिल कागज़ पर मुद्रित है। पेंगुइन को बधाई शुरुआत ऐसी ही होनी चाहिए अन्य लोगों को भी ये प्रेरणा मिलनी चाहिए। 

किताब के लेखक शिवेन्द्र महाकुम्भ नगरी प्रयागराज से है। उनके परिचय पेज से पता चलता है लिखने पढ़ने वाले लोग पत्रकार होते है या लेखक, शिवेन्द्र ने 20 वर्षों से अधिक समय तक क्रिकेट को ही लिखा जिया देस में भी बिदेस में भी। बीच बीच में ओलंपिक सहित अन्य खेलो पर भी टीवी पत्रकारिता जारी थी है। ये चौथी किताब है । 

शिवेन्द्र की जिजीविषा का अंदाज़ इससे लगाया जा सकता है 1998 में स्नातक होने के 20 वर्ष बाद 2018 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से पत्रकारित में स्नातकोत्तर हुए । 20 साल बाद कोई पढ़ता है क्या। 

वैसे तो हमारे यहां अब 12 महीनों ही क्रिकेट होता रहता है या कोई अन्य खेल पर शिवेन्द्र के लिए क्रिकेट से इतर शास्त्रीय संगीत की संस्था रागगिरी से जुड़े होने के साथ इसी नाम की किताब भी लिखी है ।

इसके अलावा संगीत पर चार किताब प्रकाशित हो चुकी है। इन किताबों का अनुवाद कन्नड़,असमिया,बांग्ला, राजस्थानी, पंजाबी, कोंकणी, उर्दू,नेपाली और अंग्रेजी में भाषाओं में हुआ है। मेरे लिए क्रिकेट लेखक के विषय की ये जानकारी अद्भुत है। 

रुकिए अभी और भी है अभी टीवी 9 में डिजिटल स्पोर्टस क्षेत्र पर नजर रखते है और खेल पर ही पीएचडी भी कर रहे है। इतनी विविधता के चलते आने वाले समय में अन्य किताबें लगातार आती रहेंगी।

किताब का शीर्षक बहुत मज़ेदार है ओपनर्स - गेंद को छोड़ने व तोड़ने वाले सलामी बल्लेबाज़ों की कहानी। 

मुझे तो इस शीर्षक पर दो नाम याद आते है सुनील गावस्कर और वीरेन्द्र सहवाग 

जिस किताब की प्रस्तावना सचिन तेंदुलकर ने लिखी हो तो कुछ तो बात होगी। वैसे सचिन ने सटीक लिखा मेरे लिए ओपनिंग का कोई एक फिक्स फार्मूला नहीं है।

किताबें लिखने का आइडिया ऐसे ही आता है जैसे शिवेन्द्र को विराट की ओपनिंग बल्लेबाजी देखकर आया। उनके अनुसार जीत की मंज़िल पर पहुंचने के लिए ओपनर्स ही पहली सीढ़ी होते है ।इस किताब में मैंने मंजिल तक पहुंचने वाली सीढ़ी के पहले किरदार को खंगालने का प्रयास किया है। 

पहले आधे घंटे धैर्य - गावस्कर, 

बल्लेबाजी की शुरुआत करना सबसे बड़ी चुनौती है -  बायकॉट 

ऑस्ट्रेलिया के चार्ल्स बैनरमैन पहले सलामी बल्लेबाज थे पहला रन पहला अर्धशतक पहला शतक पहला डेढ़ा शतक और पहले रिटायर्ड हर्ट बल्लेबाज। पहले टेस्ट को जीत भी ऑस्ट्रेलिया । पहले मैच का दिन था 15 मार्च 1877 ।

सबकुछ तो लिखना संभव नहीं है उसके लिए तो किताब ही पढ़नी पड़ेगी। लेकिन है बहुत शानदार, तीन ग्रेस भाइयों का इंग्लैंड के लिए एक साथ खेलना। क्रिकेट को जानने वाले जानते है डब्ल्यूजी ग्रेस का नाम इंग्लैंड के पहले शतकवीर ओपनर्स 4.11 घंटे में 152 रन ये रिकार्ड टूटा नहीं है अभी । प्रथम श्रेणी में ग्रेस के आंकड़े है 870 मैच 54000 रन 124 शतक।

टेस्ट खेलने वाली तीसरी टीम कौन सी थी, ओलम्पिक में कब हुआ टेस्ट क्रिकेट, फ्रांस भी ओलम्पिक में क्रिकेट टेस्ट खेलनी वाली टीम थी, द मास्टर किस सलामी बल्लेबाज को बुलाया जाता था, कौन सा बल्लेबाज शतक बनाकर आउट हो जाता था जिससे दूसरे बल्लेबाज बेटिंग कर पाए, कौन सी चौथी टेस्ट टीम थी, पहला तिहरा शतक, भारत के खिलाफ ऐसा सलामी बल्लेबाज जो विश्व युद्व में फ्लाइट लेफ्टिनेंट था, भारत का पहला चर्चित ओपनर, ऐसा ओपनर जो ग्लव्स नहीं पहनता था, इन सब प्रश्नों को जानने के लिए किताब को अमेजन से मंगा लीजिए।

ओपनर लेन हटन, एसजी बार्न्स, वीनू मांकड़ परेशान न हो वीनू ने पांच शतक बतौर ओपनर ही बनाये थे, ब्रैडमैन की टीम का ओपनर, पंकज राय, पाकिस्तान के मोहम्मद भाई, कौन खिलाड़ी था जिसने 16 घंटे बल्लेबाजी की 337 रन बनाएं, चार दशक तक ऑस्ट्रेलियन क्रिकेट में कौन जमा रहा था, वेस्टइंडीज के सलामी बल्लेबाज़ों की कहानियां, न्यूज़ीलैंड का ऐसा बल्लेबाज जिसने तीन ही शतक लगाए वो भी भारत के खिलाफ, कहानी ग्लेन टर्नर की जैसे सारे जवाब इसी किताब का हिस्सा है। 

डेनिस एमिस का नाम तो सुना होगा वेस्टइंडीज की टीम के सामने अड़े रहे,बिल लारी की कहानी, 20 साल की उम्र में भारत के बुधी कुंदरन 1960 से 1967 तक विकेट कीपर सलामी बल्लेबाज थे, टेस्ट में 430 गेंदों में 302 रन बनाने वाले टेस्ट ओपनर थे वेस्टइंडीज केलारेंस रोव,

ग्रीनिज, मोहसिन खान,सादिक मोहम्मद, माजिद खान, ग्लेन टर्नर बतौर ओपनर क्या सोचते थे ?

आईए वनडे की बात करते है पहला वनडे पांच जनवरी 1971 को हुआ था इंग्लैंड ऑस्ट्रेलिया के बीच 40 ओवर मैच 46000 दर्शक, इंग्लैंड के 190 रन आस्ट्रेलिया के 191 रन। होल्ड ऑन था तो टेस्ट ही लेकिन बरसात तीन दिन होती रही तो 40 - 40 का मैच खेला गया जिसने वनडे की नींव पड़ी। 

सिर्फ बायकॉट ने 36 वनडे खेले अपने समय के खिलाड़ियों में,

1975 पहला वनडे विश्वकप का एलान लेकिन क्या आपको पता है 1973 में वूमेंस वर्ल्डकप हो चुका था। 

गावस्कर की 174 गेंद 36 रन की पारी तो सबको पता है सात जून 1975 टीम इंग्लैंड लॉर्ड्स का मैदान इंग्लैंड ने बनाए 60 ओवर में 334 रन इंग्लैंड जीती 202 रन से, पहला वर्ल्डकप वेस्टइंडीज ने जीता था सबको पता है। इस वनडे का एक रिकार्ड पचास साल बाद भी बरकरार है। 

किस्से 1979 विश्वकप के, वनडे खिलाड़ियों का आगाज़ उनके किस्से, ग्राहम गूच 4290 वनडे रन आठ शतक बेहतरीन सलामी बल्लेबाज होते थे। 

1983 विश्वकप के विषय में तो सारी कहानियां पता ही है उस समय के किस्से कहानियों को पढ़िए आनन्द आयेगा। सुरिंदर खन्ना ने भी कुछ बेहतरीन पारी खेली है इस किताब से ही पता चला। श्रीकांत की चर्चा होना स्वाभाविक है।

1983 विश्वकप के बाद एक और अलग तरह का विश्वकप टाइप था बेसन हेजेस कप उसके विषय में अवश्य पढ़िए। गावस्कर का बल्ला हाथ से छूटना और दिल्ली टेस्ट मैच में वनडे जैसी पारी 128 गेंद 121 रन।

किताब में ऐसे बहुत से मैच और ओपनर्स का जिक्र है जिनकी याद हमें नहीं है। 1987 के विश्वकप जो भारत में हुआ था को पढ़ना बहुत सी नई जानकारी हमें मिलती है। गावस्कर ने इस विश्वकप में 300 रन बनाएं थे जिसकी जानकारी बहुत कम लोगों को होगी।एक मैच में तो गावस्कर ने एक ओवर में 21 रन भी बनाएं थे।

इससे आगे वनडे के विषय में शिवेन्द्र ने जानकारी जुटाने में खासी मशक्कत की है। अलग अलग देश की ताक़त कमज़ोरी को अच्छे से नापा तोला गया है।  श्रीलंका के विषय में खूब जानकारी है मिसाल के तौर पर भारत ने टेस्ट में बनाए 537 रन पारी घोषित श्रीलंका ने बनाए 952 रन 6 विकेट पर। नहीं पता था ना मुझे तो याद नहीं था।

17 फरवरी 2005 से टी 20 की शुरुआत हुई । यह मैच आस्ट्रेलिया न्यूजीलैंड के बीच। ऑस्ट्रेलिया ने बनाए 214 रन, पॉन्टिंग ने 55 गेंद पर 98 रन बनाए। न्यूजीलैंड ने बनाए 170 रन।

2007 के टी 20  विश्व कप की धोनी की टीम की याद है आप सबको। टी 20 ने क्रिकेट के प्रति अद्भुत जुनून भरा। रही सही कसर ललित मोदी के आई पी एल ने पूरी कर दी।। मैच का हो हल्ला विदेशी खिलाड़ियों के आने से खूब बढ़ा। खुबसूरत चीयर्स लीडर मैच के बाद देर रात की पार्टियां। मैच से ज्यादा रात की पार्टियों के किस्से कहानियों की भरमार रही। 

18 अप्रेल 2008 को आई पी एल का पहना मैच कोलकाता बंगलौर के  बीच हुआ कोलकाता के ओपनर ब्रैंडन मैककुलम ने 73 गेंदों में 158 रन बना दिए । 223 रन के सामने बंगलौर की पूरी टीम 82 रन पर सिमट गई। 

बैजबाल शब्द खूब सुना होगा इंग्लैंड की टीम के साथ । वजह बताएं ब्रैंडन का निकनेम बैज है जब वो इंग्लैंड के कोच बने तो बैजबाल यानि उनकी तरह का खेल इंग्लैंड ने खेलना शुरू किया। 2024 का आईपीएल तो याद ही होगा आप सब को।

किताब में अभी तक के मैचों की खूब जानकारी है। 

सौरभ गांगुली सहवाग के किस्से तो सबको पता ही है नहीं पता तो खरीदिए ये किताब। सचिन मैथ्यू हेडन एडम गिलक्रिस्ट गौतम गम्भीर पाकिस्तान के साथ दौरों का सिलसिला पाकिस्तान के किस्से, सहवाग का मुल्तान के सुल्तान बनना, ये सब विस्तार से किताब में है। 

2000 से 2010 तक के बाद 2010 से अभी तक के ओपनिंग बल्लेबाजी के रिकॉर्ड्स कहानियां खूब है। किताब की खासियत ही है कि रिकॉर्ड्स की बात किस्सों के कारण बोर नही करती। 

2011 के विश्व कप की यात्रा ताज़ा हो जाती है पढ़कर, गब्बर का आना, रोहित का आग़ाज़ 2015 के विश्वकप के किस्से कहानियां चैम्पियंस ट्राफी चल रही है उसके किस्से रिकार्ड।

2019 में विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप शुरू हुई। उसके किस्से रिकॉर्ड्स। 197 पेज की किताब के 188 पेज पर था। सोच रहा था किताब खत्म होने को आई चेतन चौहान की कहीं कोई चर्चा नहीं है सुकून मिला जब आखिरी 9 पेज में एक और एक ग्यारह वाली जोड़ियों में गावस्कर चौहान की जोड़ी दिखी। 

1970 - 1980 दशक में गावस्कर चेतन की जोड़ी की धूम रही। 1973 की इंग्लैंड के साथ घरेलू सीरीज़ में दोनों की शुरुआत हुई थी। लेकिन टूट भी गई। 1977 में चेतन दोबारा आए। अगले चार वर्षों में दोनों ओपनर्स ने 59 परियों में 3010 रन बनाए। 

बाद में एक और भारतीय ओपनिंग जोड़ी को नाम मिला जय वीरू का, नाम वीरू तो आप जानते है जय कौन था अरे भाई सब यहीं बता दूंगा तो किताब कौन खरीदेगा। किताब खत्म हुई। 

विश्व के ओपनर्स को एक साथ पिरोना उनके रिकॉर्ड्स तलाशना उन्हें शब्दों का ज़ामा पहनाना आसान काम नहीं है। शिवेन्द्र ने ये काम बख़ूबी किया है।  

किताब का मूल्य रुपए 299 है। क्रिकेट खिलाड़ियों, शौकीन और विभिन्न पुस्तकालयों में यह किताब होना चाहिए। रिकॉर्ड्स की जांच पड़ताल के लिए जरूरी है । 

शुभकामनाओं सहित 

हरीश शर्मा