मेरे जीवन के बेहतरीन 2 साल 1978/79/80 और 37 साल बाद उन्ही साथियों से अपने कोच/ गुरुजनो से मिलना किसी सपने के साकार होने जैसा था ।13 और 14 जनवरी को हुऐ तीसरे रीयूनियन कैम्बे रिसॉर्ट्स जयपुर में यह सपना सच हुआ ।
हालांकि पिछले दो रीयूनियन में भी मैं जाना चाह रहा था पर जीवन के आपाधापी में इससे अधिक महत्वपूर्ण काम आने से अंतिम समय में जाना टलता रहा लेकिन इस बार जाने के बाद लगा इससे अधिक महत्वपूर्ण भी कुछ हो सकता है क्या । इसके लिये मैं अपनी बेटी ईहा और पत्नी मीनाक्षी का शुक्रिया भी कहना चाहूँगा हर बार यह दोनों मुझे जाने के लिये प्रेरित करते रहे है |
38/40 साल बाद अपने कॉलेज के हीरो भूपेंद्रसिंह क्रिकेट के ऐसे बेहतरीन खिलाड़ी थे कि गेंदबाज गेंद करने के बाद विकेट के सामने से हट जाता था क्योंकि उनका शॉट इतना तेज होता था कि लग गया तो दो दाँत बाहर आने में देर नही लगती।उनसे मिलना साथ में फ़ोटो खिंचवाना अपने आप में आज भी गर्व की बात है।
एथलीट प्रदीप शर्मा,फुटबॉलर गणेश काल,बॉलीबॉल के दिग्गज हरीश मोहन बंगारी और धर्मवीर सिंह,क्रिकेट के के एल तेजवानी क्या खिलाड़ी थे यह लोग ओर सबने देश का प्रतिनिधित्व किया और कॉलेज का नाम रोशन किया | कॉलेज के पहले कप्तान बने नूरआलम भाई का आना भी विशेष रहा । बाद के जो खिलाड़ी साथी उनका वो समय नही देख पाये उन्होंने वास्तव में कुछ खोया लेकिन आज वो हमारे साथ है उनका शुक्रिया हर बार आते रहे |
250/300 पूर्व खिलाड़ियो को एक छत के नीचे लाने की शुरुआत हुई एक व्हाट्सएप ग्रुप के बनने से ओर इसका सबसे अधिक श्रेय जाता है 1977/78 के टाइगर खिलाड़ी लवलेश माथुर को जी हाँ टाइगर अपने समय के शानदार क्रिकेट क्षेत्ररक्षक जिसकी वजह से यह नाम पड़ा था कवर में खड़े होकर मिडऑफ ओर पॉइंट तक अकेले गेंद को लपकने वाले को ओर क्या कहा जा सकता है ।
अब यह उन्ही का प्रयास है कि सब एकजुट है और कारवाँ बढ़ता ही जा रहा है। जयपुर में भी जिस तरह लवलेश भाई ने अकेले सभी इंतज़ामात किये उसके लिये उन्हें साधुवाद।
जब मैं 12 जनवरी की रात 8 बजे करीब जयपुर दिल्ली रोड पर स्थित कैम्बे रिसोर्ट पहुंचा तो रिसेप्शन से पहले पड़ने वाले रेस्टोरेंट में मैंने अपने हीरो भूपेंद्र पाजी को बैठे देखा जैसे अचानक 40 साल पहले पलक झपकते ही पहुंच गया मैदान में और बल्लेबाजी करने जाने तक विपक्षी टीम को लगता था यह बेहद सुस्त खिलाड़ी सबसे आसान निशाना होगा लेकिन बैटिंग क्रीज़ पर खड़े होते ही इस खिलाड़ी में क्या एनर्जी आ जाती थी उस समय आज का 20/20 का खिलाड़ी।
वो गले मिले बातें हुईं हाल चाल जाने आंखों के कोर भीग जाने से बचने के लिये उनको बोला पाजी कमरे में मिलते है । पाजी अपनी 14 वर्ष की बेहद मासूम और प्रतिभाशाली लेखिका बेटीअदित कौर और श्रीमती जी के साथ आये थे बाद में सबसे मिलकर बहुत अच्छा लगा।उनकी बेटी की पहली किताब का मज़मून तैयार है बस 15 साल की उम्र में असली ज़ामा पहनाना है।
रिसेप्शन से लवलेश भाई का कमरा पूछ कर जब घंटी बजाई तो सामने टाइगर को पाया हिमाचली टोपी लगाये अस्त व्यस्त कमरे के साथ समारोह का सारा सामान वही होने से कमरे और गोदाम में अधिक फर्क नही था उसी कमरे में शाम की चुस्कियों के साथ मुलाकात हुई 1979/80 के तेज गेंदबाज अजय यादव से भूपी पाजी भी चुस्कियाँ लेने वही आ गये अजय ने बताया उनका एक बेटा है स्केटिंग चेम्पियन मार्शल आर्ट्स का दीवाना बातों बातों में पता चला कि उनके पास बुलंदशहर में 350 बीघा जमीन है साथ ही गैस सिलेंडर की एजेन्सी भी बस फिर क्या लवलेश भाई और पाजी के सामने यादव जी से हामी भरवा ली कि जब दो साल बाद मैं मुम्बई जाऊँगा वो मेरी फिल्म के निर्माता होंगे इस तरह मुझे मेरा फ़िल्म निर्माता भी कॉलेज का साथी ही मिला।
थोड़ी देर बाद ही मेरे पसन्दीदा क्रिकेट गुरु कोच दीपक सर अपने तीन बेटे और गुरुआइन के साथ होटल पहुंचे और हमारी मुलाकात उनसे रात के भोजन के वक्त हुई वैसे मैं उनसे लगभग 4/5 साल पहले अपनी लखनऊ यात्रा के दौरान उनके घर पर सुबह के नाश्ते पर मिला था।
चूंकि कल यानि 13 जनवरी को रीयूनियन के पहले ही कार्यक्रम में उन्हें मेरी पहली किताब I am not Guilty-Kasab का विमोचन करना था लिहाज़ा उनसे इसी विषय पर काफी बातचीत हुई । गुरु है ना इसलिये सबसे पहला प्रश्न था तुमने इतनी खतरनाक किताब लिखी है कोई धमकी या चिन्ता की बात तो नही है, मैंने कहा नही सर अभी तक तो ऐसा नही है पर कठिन स्थिति कभी भी हो सकती है लेकिन परवाह नही यह सब सोच कर तो हम कभी कुछ लिख ही नही पायेंगे।
उसी रात सड़क मार्ग से आये लखनऊ गैंग से भी मुलाकात हुई जिसमे कई साथी ऐसे थे जिनसे पहली बार ही मुलाकात हुई जो हमारे कॉलेज छोड़ने के बाद के खिलाड़ी रहे लेकिन इनमें से रुद्र पांडेय भाई जो शानदार रूआब वाले खिलाड़ी थे स्थानीय थे तो उनकी दबंगई के भी हम लोग कायल थे लेकिन वह अब भी तब भी साथियों का खूब ख्याल रखते थे- है।उसी ग्रुप में हॉकी के बेहतरीन खिलाड़ी रहे राकेश टंडन भाई से भी मुलाकात हुई | उसी गैंग में लम्बे चौड़े सुधीर सिंह भी थे जो इस समय इलाहाबाद हेडक्वाटर में डीएसपी है उनको देखकर ही लगता है वो पुलिस में ही होंगे |
हमारी रीयूनियन के कार्यकारी अध्यक्ष विनय सिंह, शानदार व्यक्तित्व तो खिलाड़ी भी जानदार सभी साथिओं को एकजुट रखने में और रीयूनियन को बेहतरीन बनाने में उनका महत्वपूर्ण साथ है| बाद में उनसे विस्तार से बात हुई कि आप अपनी किताब लखनऊ में विमोचित करे तो अग्रिम बतादे तो वो यूनिवर्सल बुक स्टोर पर कार्यक्रम का आयोजन कर सकते है उनका धन्यवाद जो उन्होंने प्रस्ताव दिया लखनऊ में अवश्य करेंगे विमोचन |
उसी ग्रुप में हेमचंद्र जोशी से भी मुलाकात हुई युवा जोशी बहुत ही कर्मठ कार्यकर्ता है इस बात को सब स्वीकार करते है।जोशी के प्रयासों से हमारी संस्था लखनऊ में फ़ुटबाल एकेडमी शुरू करने जा रही है | इसको लेकर सबमें बेहद उत्साह है
अगले दिन सुबह मेरी मुलाकात हुई साथी क्रिकेटर मथुरा के अशोक कैथवास से क्या गेंदबाज था अशोक हमारे सीमेंट विकेट पर भी स्विंग करते थे दो दिन वो और विकेटकीपर मित्र प्रदीप ओझा मेरे कमरे के साथी बने हमने दो ढाई दिन खूब मस्ती की 38/40 साल पहले की यादें ताज़ा की अशोक मथुरा रेलवे में अधिकारी है और ओझा बीसीसीआई की अकादेमी को संचालित करते है ।
13 जनवरी की सुबह कई साथियों से मुलाकात हुई लेकिन दोपहर में जब मेरे गुरु क्रिकेट कोच अरुण भारद्वाज,दीपक शर्मा और युवा कोच नवीन पंत ने मेरी किताब का विमोचन किया वो लम्हा मेरे लिए सबसे यादगार था उम्मीद है हॉल में रहे 100 करीब साथियों को भी मेरी सफलता में अपनी सफलता लगी होगी। नवीन सर ने कल ही समाचार भेजा कि किताब पढ़ ली है उन्हें अच्छी लगी दोनों गुरुओं और साथिओं की टिप्पढी का इन्तजार रहेगा |
विमोचन के बाद भारद्वाज़ सर ने कहा बैटिंग और बौलिंग करते करते कब यह बच्चे दूसरे क्षेत्रो में अपना नाम रोशन करते चले गये पता ही नही चला लेकिन ख़ुशी है कि सभी शिष्य जीवन में सुव्यस्थित है कुछ न कुछ बेहतरीन कर रहे है |
दीपक सर ने इस मौके पर कहा हरीश की यह किताब मैंने थोड़ी पढ़ी है इस तरह की किताब लिखना आसान नही है लेकिन थोड़ा पढ़ने के बाद अपने आपको पढ़ने से रोकना मुश्किल है हरीश को बधाई और इनकी अगली किताब का भी बेकरारी से इन्तजार रहेगा क्योंकि वो क्रिकेट के इर्द गिर्द की कहानी है |
मेरे दोनों क्रिकेट गुरुओं से बेहतर कोच भी हो सकते है सोचना कठिन है आज हो तो हो लेकिन बीते कल के लिये तो मैं निश्चित हूँ |
१३ और १४ जनवरी कब निकल गई पता ही नही चला लवलेश माथुर भाई ने सारे कार्यक्रम ऐसे सुनिश्चित किये थे कि हम व्यस्त भी थे और सबके इर्द गिर्द भी, हाँ कॉलेज के एक साथी हरी लाल आज डीआईजी बीएसएफ श्रीनगर में है वो हम सबको चाय पर चर्चा के लिये जयपुर की बीएसएफ यूनिट में लेकर गये हम सबको उन पर नाज़ है |
बालीबॉल के हमारे कोच यादव सर स्वास्थ्य बहुत बेहतर न होने के बाद भी अपने खिलाड़िओ से मिलने का मोह छोड़ नही पाये उनका आना हम बहुत से लोगो को भावुक कर गया | सर आपको सलाम आप जल्दी पूर्णतया स्वस्थ्य हो जाये | ऐसे ही एथलेटिक्स के कोच रहे खन्ना सर और इतिहास के विद्वान गुरु जी टी एन पाण्डेय सर ने अपनी उम्र को दरकिनार कर लखनऊ में अत्याधिक सर्दी और रेल के अस्तव्यस्त समय के बावजूद रीयूनियन में आकर हम सबको अपना आर्शीवाद दिया फ़ुटबाल के कोच स्वप्न राय सर ने भी अपना समय निकाला आशीर्वाद देने के लिये धन्यवाद | लिखने में मेरे लिए जितना आसान है उससे कई गुना कठिन है इन सभी वरिष्ठ गुरुओं का आशीर्वाद देने आना |
जैसा कि पाण्डेय सर ने अपने अभिभाषण में कहा कि हमने जो ज्ञान आप बच्चो को दिया वो हमारा फ़र्ज़ था काम था लेकिन आप लोग जो सम्मान और प्यार हमें दे रहे है वो लाजवाब है और ऐसा बहुत कम गुरुओं को सम्भव हो पाता है |
रीयूनियन में सबसे अधिक प्रेरित किया युवा पुष्पेन्दर यादव ने उनका जज्बा देखते ही बनता है रीढ़ की समस्या के चलते व्हीलचेयर को अपना साथी बनाने की दिक्कत के बाद भी फिरोजाबाद से आना और सभी साथिओं में जोश भरना यादव की खूबी है पुष्पेन्दर ने हमें सिखाया कि इच्छा मजबूत हो तो कोई समस्या समस्या ही नही है| हमारी स्पोर्ट्स कॉलेज एक्स स्टूडेंट वेलफेयर सोसाइटी लखनऊ ने उनको बेहतर स्वास्थ्य सेवायें उपलब्ध कराने का बीड़ा उठाया है | पुष्पेन्दर आपके जज्बे को सलाम ऐसे ही मुस्कराते रहना |
सबसे बड़ी बात हमारी रीयूनियन की यह रही कि एक छत के नीचे आने के बाद सब बराबर है अपने अपने स्थान पर सब बेहतरीन नौकरी में है व्यवसाय में उच्च सरकारी पद पर है वर्तमान में भारतीय टीम के खिलाड़ी है लेकिन किसी में कोई मैं नहीं सब ठीक वैसे ही जैसे कभी स्पोर्ट्स कॉलेज में साथ साथ रहते थे खेलते थे इसी बात पर याद आया १४ जनवरी को पर्यटन स्थल आमेर घूमने का कार्यक्रम था और वही पर दोपहर के भोजन के पैकेट भी वितरित करने थे और उन पैकेटों को अपने कंधो पर रख कर लाये वर्तमान हॉकी टीम के खिलाड़ी दानिश मुर्तज़ा साथ ही भारतीय हॉकी टीम के खिलाड़ी रहे उनके भाई हमज़ा मुर्तज़ा, कमलेश और अभिनव उनके साथ ही दया और शाहिद ने भी सबको पैकेट वितरित किये | यहाँ यह उनकी बढ़ाई नही है बल्कि अपनापन है जो सबको प्रेरणा देता है बच्चों खूब तरक्की करो |
मेरी दानिश से विस्तार से बात हुई अभी वो अपनी चोट से उभर रहे है और जल्दी ही टीम में वापसी करेंगे उनकी एक बात ने मुझे उत्तर प्रदेश सरकार के प्रति बेहद पीड़ा दी कि वर्तमान में राष्ट्रीय टीम के सदस्य होने के बाद भी उन्हें यश भारती सम्मान से नही नवाज़ा गया है हमारे बहुत से साथी इस स्थिति में है जो इस मुद्दे को सरकार तक मजबूती से पहुँचा सकते है | सिर्फ दानिश ही क्यों अन्य बहुत से खिलाड़ी और गुरुजन है जिन्हे यह सम्मान मिलना चाहिये हम कोशिश तो कर सकते है वैसे वर्तमान सरकार यश सम्मान जारी रखेगी या नही या किसी और नाम से शुरू करेगी इस पर नज़र रखनी पड़ेगी |
हमारे समय के सर्वश्रेष्ठ फ़ुटबाल खिलाड़ी भैरो दत्त आज भी सर्वश्रेष्ठ काम कर रहे है बनारस में फ़ुटबाल एकेडमी चलाते है आप कहेंगे इसमें क्या ख़ास है बहुत से खिलाड़ी बाद में एकेडमी ही चलाते है लेकिन भैरो भाई श्रेष्ठ इसलिये है कि वो गरीब बच्चो के लिए फ़ुटबाल नर्सरी चलाते है जिसमे २०० गरीब बच्चे लड़के लड़कियाँ शामिल है | जिनमे से प्रतिभाशाली बच्चे हर साल विभिन्न स्पोर्ट्स कॉलेज व अन्य संस्थानों में भर्ती होकर भैरो भाई की मेहनत को गौरवान्वित करते है राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में खेलते है और बेहतर भविष्य की नींव रखते है भैरो भाई आपके निःस्वार्थ तपस्या के लिये साधुवाद आपके साथ आपके ३०० पूर्व साथी हमेशा साथ खड़े है |
हमारी संस्था बनारस के हरदिल अज़ीज़ रितेश इस बार नही आ पाये थे आपके पिताजी का देहान्त हाल ही में हुआ था हम सब की सहानुभूति आपके साथ है हमे बताया गया कि आपने अभी अभी आपने जीवन बीमा का काम शुरू किया है मुझे पता है कि सामूहिक जीवन बीमा और सामूहिक मेडिकल बीमा भी होता है क्यों ना हम सब उनसे सामूहिक बीमा कराये यह सम्म्भव है थोड़ी कोशिश करनी होगी बस |
सभी साथिओ को संस्था की तरफ से ट्रेकसूट का अपर दिया गया और वही ड्रेसकोड भी था सबने उस अपर में समारोह में चार चाँद लगा दिये आमेर में तो पर्यटक सोचने को मजबूर हो गये कि यह कौन से खिलाड़ी है सबने इसका खूब आनंद लिया कुछ शैतानों ने तो विदेशी पर्यटकों के साथ फोटो खिचवाने का मौका भी जाने न दिया |
समारोह में ख़ास रहा, १३ जनवरी को जावेद असलम का जन्मदिन मनाया गया वही १५ जनवरी को दीपक शर्मा सर का जन्मदिन था १४ की देर रात उनके जन्मदिन का जश्न मनाया गया | एक साथी खिलाड़ी प्रशांत फौजदार आ तो नही सके लेकिन उनके पिताजी ने एक परम्परा शुरू की इस बार से कॉलेज के पूर्व साथिओं के जिन बच्चो ने किसी भी क्षेत्र में विशेष योग्यता हासिल की है उसे उनके सौजन्य से पुरस्कृत किया गया और हर बार पुरस्कार उनके सौजन्य से उपलब्ध होंगे |
२५०/३०० पूर्व सभी साथी अपने अपने क्षेत्र के हीरो है लेकिन सब का जिक्र करना यहाँ सम्भव नही क्यों कि मैंने ऐसा किया तो लेख नही किताब लिखनी पड़ेगी हां यह वायदा रहा देर सबेर मैं किताब भी लिखूंगा साथ ही एक वृत्तचित्र भी निश्चित बनानी है जिसके लिये विशेष प्रयास करने पड़ेंगे १५ मिनट की फिल्म ३०० साथिओ में से सर्वश्रेष्ठ को चुनना उनकी और गुरुओं की उपलब्धिओं को पिरोना कुछ दृश्य तीन रीयूनियन के भी सम्मिलित करना बहुत आसान नही है लेकिन आयेगा आनन्द बनाने में कोशिश करूँगा की अगली रीयूनियन में इस वृत्तचित्र को दिखाने में सफल हो पाऊं |
बहुत से साथिओं को लेख में स्थान नहीं दे पाया हूँ कोई भी अन्यथा न ले क्योकि मेरे लिखने या ना लिखने से किसी की उपलब्धि कम नही हो जायेगी आप सब विशेष है तभी तो खिलाड़ी बने खिलाड़ी बने तभी बेहतर इन्सान बने | यह ठीक है कि जो इण्डिया खेला या ओलम्पिक खेला वो तो सर्वश्रेष्ठ है ही लेकिन जो नही भी खेला वो कैसे भी कमतर नही है क्योकि सब लाजवाब बने बेहतर इंसान बने उसी का नतीजा है कि ३०/३५/४० साल बाद आज हम सब एक छत के नीचे है और रोज़ सबके सुखदुःख के साथी है | बस यह ज़ज्बा और मोहब्बत कम नही हों चाहिये |
साथी एवं गुरुजन जो तीसरी रीयूनियन में सम्मिलित हुए हो सकता है किसी का नाम रह गया हो या नाम हो लेकिन ना आ पाया हो उसके लिये माफ़ी |
हरीश बंगारी,गणेश काला,प्रदीप शर्मा,के.जी. मिश्रा,सुकेश चौहान,रंजीत सिंह,नूर आलम,रुद्र प्रताप पांडेय,राकेश टंडन,विश्व ज्योति,भैरव दत्त,चंद्रकांत मिश्रा,भुवन कापड़ी,पुष्पेंद्र वर्मा,प्रदीप जीना,महेंद्र यादव,घनश्याम यादव,हरीश शर्मा,अजय यादव,लवलेश माथुर,संजय बहुगुणा,अमित सिंह,विवेक सिंह,हारून अखगर,सरबजीत सिंह,जॉन पाल सिंह,सर्वप्रिये दुबे,जावेद असलम,अख्तर खान,सुधाकर शाह,श्रीकांत,विनोद शर्मा,मृत्युंजय,विनय सिंह,सुधीर सिंह,आकाश गुप्ता,अर्जुन यादव,वीरेंद्र रावत,राजेन्द्र यादव,गुरबक्श सिंह,रविन्द्र गोसाईं,अनुज शाही,गुरजोत सिंह,नाज़िम पटेल,इम्तियाज़,दिनेश शर्मा,मोहम्मद कमर,गुलाम खुवाज़ा,अनिल सिंह,रामप्रताप ,राकेश सिंह,प्रभाकर दुबे,नरेंद्र सिंह,राकेश गुप्ता,दया शंकर,शाहिद कमल,हमजा मुर्तजा,दानिश मुर्तजा,दानिश इक़बाल,शेख जावेद,नौशाद,हेम चंद जोशी,विवेक गुप्ता,कमलेश परिहार,खुर्शीद,हेमंत,कौस्तुभ,अरविंद सिंह,पुष्पेंद्र यादव,भूपेंद्र सिंह,के एल तेजवानी,प्रदीप ओझा,अशोक कैथवास,धर्मवीर सिंह,नीरज सिंह,हरीलाल,प्रशान्त यादव
दीपक सर,खन्ना सर,पांडेय सर,भारद्वाज सर,स्वपन सर,एम डी यादव सर,नीरज पन्त सर,
लिखने का सिलसिला जारी रहेगा
हरीश शर्मा