Saturday, December 31, 2022

हमारा पार्क पलावा गैंग

हमारा पार्क पलावा गैंग 

जीवन में कुछ नया खोज रहा था बड़ी monotonous हो रही थी life, 2022 के शुरू में गोआ से shift हुए थे पलावा में अपने मित्र अजीत कोहली के suggestion पर, फरवरी से अक्टूबर अन्त तक बमुश्किल 10 लोगो से परिचय हुआ था।

                           मैं, मीनाक्षी अजीत

पलावा सिटी यूरोपियन या इटालियन type बहुत खूबसूरत township है बहुत खूबसूरत पार्क है बहुत बड़ा भी, ओस से भरी घास के करीब पांच छ मैदान है। प्रतिदिन सूरज को उगते देखते है पूजा करते है । सामने ही तालाब है तालाब के पार खेती करते किसान है।

अपने आप को fit रखने के लिए जिम का सदस्य हो गये हम मीनाक्षी सुबह जिम जाती मैं शाम को। छह महीने बाद सदस्यता खत्म हो गई तो हमने सोचा कुछ दिन जिम की बजाय पार्क में डेरा जमाते है। मीनाक्षी उस पार्क में गई थी उन्हे वो बहुत अच्छा लगा था। 

उनकी सलाह पर एक दिन सुबह उस पार्क में गया। अपनी भागादौड़ी के बाद exercise कर रहा था side में तीन महिलाएं exercise कर रही थी । मैंने उन्हें कुछ correction बताएं।

यह अक्टूबर end ki बात होगी। अगले दिन वो तीन महिलाएं लीला जी, कमला जी और पुष्पा जी पुनः मिली बोली भाई आप हमें exercise करा सकते है क्या । मैं तैयार हो गया। 

उस दिन से जो सिलसिला प्रारम्भ हुआ वो बदस्तूर चालू है। थोड़े दिनों में महिलाओं की संख्या 10 हो गई फिर 20 फिर 30 इस तरह यह numbers बढ़ते रहे। आज हमारे इस ग्रुप जिसे हमने नाम दिया पलावा पार्क गैंग। 

महिलाओं बेटियो की संख्या आज करीब 50 का आंकड़ा पार कर लिया है। यह संख्या बढ़ती जा रही है। 50/60 महिलाएं नही 50/60 परिवार मेरे से, आपस में जुड़ गए। नई जगह वो भी मुंबई में इतने लोगो का आना मिलना सरल बात नही है। हर जातपात के लोग विभिन्न भाषाओं को बोलने वाले लोग सरल लोगो का हिस्सा हूं मैं। 

लगातार running exercise योग करने का लाभ भी सबको मिला है। किसी के घुटनों का दर्द कंधो का दर्द मानसिक शारीरिक दिक्कतें दूर हुई है हो रही है। इन सबको लागतार अभ्यास करने से मुझे भी बहुत कुछ सीखने को मिला है। मैं physically पहले से अधिक चुस्त दुरूस्त हुआ हूं। Memory sharp हुई है। करीब सबके नाम मुझे याद है। इतने लोगो के नाम याद रखने का आश्चर्य मुझे भी होता है। 

इतने बड़े ग्रुप में कभी किसी का जन्मदिन शादी की सालगिरह होना। किसी का दादी नानी बनना स्वाभाविक है किसी को इतने सारे लोग happy birthday बोले गाए तो खुशी अद्भुत होती है रूबरू होकर और फेसबुक पर बधाई देने में बहुत फर्क है। 


हमने एक दिन शाम को उसी पार्क में पिकनिक भी मनाई। सब अपने अपने घरों से खाने पीने का सामान लेकर सजधज कर पार्क पहुंचे। सब इतना खाना लाए कि हम सबने जी भरकर खाया इतना खाया कि रात्रि भोज की जरूरत नही पड़ी।

अब हाल यह है कि उन महिलाओं का गुरुजी,Sir और जैसे हर मर्ज की दवा मैं। अब जिम्मेदारी मिल गई तो निभानी तो पड़ेगी। यकीन मानिए जो लोग पहले दिन किसी exercise को नही कर पा रहे थे अब वो same exercises बिना किसी दिक्कत के कर रहे है।  अब हम तीन दिन योग और तीन दिन physical exercise running आदि करते है। 

कमला जी को पोता हुआ तो वो एक दिन खुशी में गाड़ी भरकरसुबह के नाश्ते के पैकेट ले आई। यह स्नेह मोहब्बत आशीर्वाद एक साथ कहां मिलेगा। 

अब सब महिलाएं इतनी चुस्त दुरुस्त हो गई है कि उनको उनकी fitness को देख दिल बाग बाग हो जाता है। मुझे नई नई exercises और योग ढूंढने पड़ते है जिससे सबको Verity मिले। 

मैं दिल से इन सभी महिलाओं का शुक्रगुजार हूं जो इन सबने मुझे मौका दिया कि समाज के लिए कुछ कर पाऊं। 

मुझे पूरी उम्मीद है नए वर्ष के पूर्वाध में ही हमारा यह ग्रुप 100 की संख्या पार कर लेगा। 100 लोग यानि 100 परिवार की शक्ति हमारे साथ होगी।

सबको नववर्ष की पूर्व संध्या पर बहुत शुभ कामनाएं। नववर्ष शुभम्


हरीश शर्मा


Monday, December 26, 2022

और वो लड़का गायब हो गया।


कार पार्किंग में वो लड़का गायब हो गया


आज 6.30 बजे थे सुबह के, जब मैं पार्किंग में कार लेने पहुंचा। Ear plugs के माध्यम से हनुमान चालीसा का पाठ मोबाइल यूट्यूब पर सुन रहा था।

मेरी गाड़ी 15/20 की दूरी पर थी जब मैंने एक लड़के को अपनी गाड़ी से पहले वाली गाड़ी साफ करते देखा। वो लड़का सांवला सा मैरून रंग का कुछ पहना था उसने एक कपड़ा सिर पर बांध रखा था। 

रोज ही एक दो लड़के कारे साफ करते है तो कोई नई बात नही थी मेरे लिए, लेकिन जब मैं मुुश्किल से अपनी गाड़ी से तीन चार सेकंड की दूरी पर, तभी खट की आवाज के साथ मैंने सुना कौन है की आवाज आई और मेरी आंखों के सामने वो लड़का गायब हो गया। मुझे आश्चर्य हुआ ।

मैं अपनी गाड़ी पर गया अपनी योग मैट, पानी रखा गाड़ी में। मन में विचार घुमड़ रहे थे। मैं रोक नहीं पाया उन तीन गाड़ियों के पीछे गया वो लड़का कहीं वहां हो लेकिन कोई नही था। 

उसी जगह जहां वो लड़का खड़ा था खड़े होकर प्रभु को याद किया। आत्मा मुक्ति की प्रार्थना की। 


अपनी कार लेकर चल दिया रास्ते में सोच रहा था यह अजीब घटनाए मेरे साथ ही क्यों होती है। खासकर जब से अध्यात्म के प्रति अत्याधिक रुझान हुआ है। अब इन सब घटनाओं से डर नही लगता। हैदराबाद के तो कई किस्से है कभी साझा करूंगा। 


एक तो बताता हूं वहां जिस पार्क में मैं दौड़ने जाता था मेरे साथ ही कभी एक कभी दो लोग दौड़ते थे दिखते नही थे। लेकिन उनके पदचापो की आवाज स्पष्ट सुनाई देती थी। मैं हल्के दौड़ता तो वो भी हल्के दौड़ते तेज दौड़ता तो तेज दौड़ते चूंकि मुझे उनसे और उन्हें मुझसे कोई दिक्कत नही थी मैंने वैसा होने दिया। 

ऐसे तमाम किस्से साझा करूंगा समय समय पर।

हरीश शर्मा