Sunday, April 30, 2023

10 दिन का मौन


10 दिवसीय मौन ध्यान 

सोमवार 17 अप्रैल 2023 पहला दिन था 10 दिवसीय मौन का, प्रतिदिन की तरह 2.30 प्रातः उठा । ॐ ब्रह्मा मुरारी श्लोक कर ध्यान में बैठ गया 4 बजे तक चूंकि रात करीब 10.30 सोया था तो सोचा 15 मिनट सो लेता हूं थोड़ी देर बाद ही लगा अम्मा ने सिर पर हाथ फेराया बोली हरीश उठ जा पहला दिन है पूजा पाठ भी करना है। अम्मा दूर बहुत दूर गाजियाबाद में रहती है।उनके स्वास्थ के विषय में पूछने के बाद उठ गया।

पृथ्वी मां को प्रणाम  कर जैसे ही पैर जमीन पर रखा मौन से आवाज आई हरे कृष्ण तभी ध्यान आया क्या कर रहे हो मौन व्रत है माफी मांग दैनिक कार्य सम्पन्न कर ब्रह्माण्ड के नीचे हाथ ऊपर कर प्रतिदिन की पूजा की। 


भगवान को चरण स्पर्श कर प्रतिदिन की तरह मीनाक्षी ईहा कुल्फी अम्मा सुशील अक्षत गुड्डी परिवार दीदी परिवार बरेली ससुराल परिवार सभी रिश्तेदारों योग परिवार इस फ्लैट के मालिक दिवंगत नीलेश वर्तमान के मालिक गौरव और मीना चुग पूरे देश पूरे विश्व को प्रणाम कर सबके बेहतरीन होने की दुआ मांगी रोज की तरह।

रसोई में जाकर मां अन्नपूर्णा का आह्वान किया मां भण्डार भरा रहे सब स्वस्थ रहे। नहा कर पूजाकर मीनाक्षी के साथ पार्क जाने से पहले पार्किंग में कुत्तों को बिस्किट खिलाएं। पार्क पहुंचे। 

मनीषा ने exercise करवाई। एकादशी के पहले व्रत के कारण उसकी तबीयत गड़बड़ हुई तो दूसरा शब्द मौन से निकला पानी पिलाओ कोई सुन नही पाया मेरे अलावा ।

हमारी साथी श्री का जन्मदिन था वो खुशी मनाई खजूर जूस बिस्किट खाया पिया लिया देर से सुनीता भल्ला जी आई तो निशा को लगा उन्हे जन्मदिन का कुछ देना चाहिए तब मौन से निकला दो और हमारी साथी प्रतिभा जी ने बोलते सुना। 

घर आए कुल्फी को घुमाया घर आकर अखबार पढ़ा मैंगो शेक पिया पिछली रात बनाया था। नहाया, मीनाक्षी ने बताया मम्मी नाराज हो रही है गृहस्थी में रह कर अपनी ज़िम्मेदारी छोड़ कर साधु क्यों बन रहे है मेरे मौन से पुनः शब्द निकला क्या ? ईहा ने आकर प्रतिदिन की तरह प्रणाम किया उसे दिल से भरपूर आशिर्वाद दिया। 

अमूमन मैं दिन में सोता नही हूं लेकिन आज शरीर से आवाज आई नींद ध्यान करो मैंने किया करीब एक घण्टे के ध्यान में पांच घण्टे की नींद पूरी की । जब उठा तो जो ऊर्जा थी वो अद्भुत थी।

कंप्यूटर खोल कर किताब लिखने बैठ गया वर्ष 2001 की फिल्मों से सम्बन्धित चैप्टर लिखकर खत्म किया अब दूसरे दिन 2002/3 खत्म करना है । एक समय भोजन किया बहुत ही साधारण और स्वादिष्ट भोजन था आलू की सब्जी रोटी बूंदी रायता लाल मिर्च आचार। ऐसा लगा मीनाक्षी ने सारा लाड़ खाने में परोस दिया है । गुड्डी सुशील अम्मा से वीडियो पर बात हुई मैं सुनता रहा ।

आज शाम का गीता जी पाठ नही हो पाया उसके लिए माफी, 8.45 पर कंप्यूटर बंद कर दैनिक कार्यों से मुक्त होकर शेक पिया भगवान जी को शुभरात्री कर मीनाक्षी रिनी कुल्फी को शुभरात्रि कर सो गया नींद की तो कोई दिक्कत होती नही सोने से पहले मन ही मन 11 बार ॐ नाद अनुलोम विलोम और 11 मिनट का ध्यान किया जैसा प्रतिदिन करता हूं। नींद आने में दो मिनट से अधिक लगते नही ।

2.30 बजे का अलार्म की पहली घंटी पर उठने का नियम है कभी आलस्य नही आता ध्यान कर कुछ पाठ कर यह लिखने बैठ गया नही लिखता तो कई चीजे भूल सकता था। शुभ प्रभात।


दूसरा दिन शुरु तो पहले दिन जैसे ही था लेकिन पार्क में 50/60 साथियों के बीच स्वयं को मौन रखना बहुत आसान नही है फिर भी 18 अप्रैल को पहले दिन की तुलना में मौन बेहतर रहा सिर्फ दो शब्द निकले। दोपहर बाद 4 बजे हमे अपने योग ग्रुप के लिए योग टी शर्ट बनवाने जाना पड़ा वहां एक शब्द निकला गर्मी ,उसके अलावा पूर्णतया शांति रही एक समय खाना खाया चूंकि सोम मंगल को व्रत होता है भोजन दोपहर में ही किया। 


टी शर्ट वाले के यहां बहुत अजीब लगा मीनाक्षी और हमारे ग्रुप की साथी वैशाली साथ थी स्वाभाविक था मैं सब बाते इशारे और लिखकर कर रहा था वो सोच रहा होगा प्रकृति ने कितनी नाइंसाफी की है अच्छे खासे व्यक्ति को गूंगा बना दिया। ऐसा ही सब्जी वाले ने समझा होगा । 

जैसा बोला था किताब लिखने का सिलसिला जारी है कल 2002 में राज फिल्म के पीआर के दौरान पहली बार महेश भट्ट से हुई थी जो खास सम्बंध 2010 तक उनके साथ बने उनकी 14/15 फिल्मों का पीआर किया वही सब लिखा आज, 8 वर्षो का व्यवसायिक और कुछ हद तक व्यक्तिगत सम्बंध बहुत लम्बा समय होता है तो इस विषय पर लिखा भी खूब जाना है । 

जल्द ही सो गया 2 - 3  मिनट में नींद आ गई । सपने मुझे आते नही, मुझे लगता है सपने आने का समय 2.30 बजे के बाद का होता है और मैं उस समय सोकर उठ जाता हूं। जो सपने में दिखना चाहिए वो सब meditation में एहसास हो जाता है।

Meditation के दौरान विचार शून्य होना अब मेरे लिए बहुत कठिन नही है, कठिन है गृहस्थ रहते हुए सब लोगो के बीच में मौन रहकर विचार शून्य होना । 

19 अप्रैल को सब कुछ सामान्य रहा आज पूर्णतया मौन रहा एक शब्द नही निकला। लगा आखिरकार मौन सफल होना शुरू हुआ । आज का दिन तो कुछ व्यक्तिगत कार्यों में व्यस्तता में व्यतित हुआ। आज बहुत अच्छा लग रहा है जैसे कुछ विशेष हुआ है।

आज छठा दिन है अब बदलाव मौन में यह आया है अब शब्द और विचार शून्य हो गए है, पहले तीन दिक्कत ये थी जीभ से शब्द निकलने को ललायित रहते थे शब्द न निकले सारा ध्यान इसी पर रहता था। अब शब्द निकलेंगे इसकी कोई संभावना नहीं है इसलिए ध्यान लगाने में अधिक आनन्द आ रहा है । 

यदि तुलना करूं मैं इगतपुरी के धम्मा गिरी विपासना से घर में रहकर सभी दैनिक कार्य करते हुए मौन में क्या अन्तर है। जैसा मुझे पता है वहां आपका मोबाइल लॉकर में रख दिया जाता है । हर तरफ मौन है वातावरण सभी साथी, एक दूसरे से नजर नहीं मिलाना, कोई योग व्यायाम नही करना लिखना पढ़ना या कोई नाद करना मना है। 4 बजे सुबह उठना 9 बजे करीब सोना सारे दिन करीब 9/10 घण्टे meditation करना। 

वहां एक नियम है जिसे पालन करने में उन लोगो को शुरुआती दिक्कत आती होगी जो चार बजे नही उठते, जिन्हे लगातार ध्यान की आदत न हो। 

घर में रहकर लगातार ध्यान करना थोड़ा कठिन है असम्भव नही सुबह 4 बजे उठना 9 बजे सोना तो आसान है, खानपान भी दिक्कत वाली बात नही है। मुझे ऐसा लगता है इगतपुरी में भी अवसर मिलने पर विपासना करना चाहिए और जो लोग वहां विपासना करके आते है उन्हे गृहस्थी में रहकर भी सभी दैनिक कार्य करते हुए मौन ध्यान करना चाहिए। दोनो अनुभव अद्भुत होंगे।

अब अपनी बात करूं, शुरू के तीन दिन चुप रहना कुछ ना बोलना सबसे कठिन तब था जब सुबह 50 महिलाओं को व्यायाम योग कराने की कवायद होती थी। जबकि मेरे साथ मनीषा और लक्ष्मी भी सहयोग करती थी। 40/50 योग अभ्यार्थी भी शान्त रहने की कोशिश करती थी लेकिन ऐसा करना आसान भी तो नही था। मैंने भी इसे चुनौती के तौर पर लिया और सब कुछ आसान हो गया। 


रविवार को सुबह  meditation class ईहा और मनीषा ने ली मैं पूरे समय meditation में चला गया करीब 1.20 मिनट, रविवार सोमवार अजीब बात हुई पूरा शरीर दर्द कर रहा था लेकिन वो routine दर्द नही था। मुझे लगता है कोई चक्र अनजाने में खुल गया है अपने आप शांत होना चाहिए नही हुआ तो कुछ लाभ होगा। 

आमतौर पर मैं दिन में सोता नही हूं पहले बताया है रविवार को सोया सपना आया लाहौर के हनुमान जी के दर्शन हुए लिंक में पढ़िए http://harishsharma2017.blogspot.com/2023/04/blog-post.html

मौन को अब आठवां दिन है अब स्थिति ऐसी है कि कितने ही लोग इर्द गिर्द हो शब्द मौन है पहले दूसरे दिन शब्दों को रोकने के लिए संघर्ष करना पड़ा था अब शब्द शान्त हो गए है विचार शान्त है। आज शरीर में दर्द भी नही है। योग परिवार और परिवार मेरे पुनः बोलने का समय नज़दीक आने पर उत्साहित है लेकिन मैं शान्त हूं भगवान श्री कृष्ण के एक उपदेश को बहुत पहले आत्मसात् कर लिया समय कैसा भी हो एकसार रहना है। 

जीवन चक्र में अच्छा बहुत अच्छा सबसे अच्छा समय आयेगा और बुरा बहुत बुरा और बहुत बहुत बुरा समय आता है लेकिन हमेशा दोनों समय में एक भाव एक सार रहने से बेहतर कुछ नहीं।

आज मौन का अंतिम दिन है रात 8.45 पर ही सो गया था सुबह उठा तो सिर कंधो में बहुत दर्द था लगा BP तो कम नही है ध्यान में जाकर ह्रदय की धमनियों को देखा ह्रदय को देखा धड़कन सुनी सब normal था इसका मतलब वजह कुछ और थी। 

आधा घंटा ध्यान के बाद fresh n up के लिए गया मुंह आंखों पर करीब 25/30 बार पानी के छपाके मारे। मुंह पोछकर जीभ को निकालकर 30 बार right और 30 बार left घुमाया फिर 30 बार जीभ को बन्द मुंह में 30 बार right to left और 30 बार left to right चारो तरफ घुमाकर बाहर आया तबतक सिर और कंधों का दर्द गायब हो चुका था।


ब्रह्माण्ड और अन्य पूजा कर जब अपने कमरे में आकर ध्यान में बैठा तो वजह पता चल गई। वजह थी 10दिन से ॐ नाद ना करने के कारण वो दर्द हुआ था प्रति दिन 108 बार बोलकर ॐ नाद ना करने की एनर्जी तो निकल ही नही पा रही है ।

चार छह दिन तो शरीर ने बर्दाश्त किया आठवें नवे दसवें दिन ॐ ना बोलने ने अपनी शक्ति प्रदर्शित कर दी। दूसरी बात जैसा मैंने लिखा कोई चक्र open हुआ है मुझे लगता है कुछ दिन मुझे आज्ञा चक्र पर concentration करना चाहिए।

वैसे तो किसी भी चक्र के open होने से लाभ हानि होती है यह आपके शरीर और meditation की शक्ति और शान्ति पर निर्भर होता है चक्र कैसा reaction देते है । 

फिलहाल अब सिर शरीर में दर्द नही है । 10वें दिन सुबह पार्क में योग व्यायाम के लिए पहुंचे तो सभी साथी बहुत उत्साहित थे मैं कल बोलने लगूंगा। दिन में अम्मा बहनों भाई से बात हुई । 

अम्मा भी मौन से थोड़ा नाराज थी मीनाक्षी रिनी भी नाराज है परिवार के नाराज होने में कोई बुराई नही है। लेकिन मुझे तो मौन करना है आगे भी और परिवार को भी खुश रखना है। 

यह कैसे होगा, होगा, थोड़ा कठिन है लेकिन असम्भव नही। अब 10 दिन का मौन एक घण्टे में किया जा सकता है ध्यान से कुछ भी सम्भव है। 

हकीकत में 40 दिन का मौन करेगें जब तमाम भौतिक ज़िम्मेदारी निबट जाएंगी । फिर मुझे लगता है ईश्वर की मर्जी कुछ भी सम्भव हो सकता है।


इस 10 दिवसीय मौन ने मुझे गुरु मंत्र दिया है वजह कुछ भी हो शान्त रहो चुप रहो किसी को भी सुनो तो अच्छा ग्रहण कर लो। इंसान हो कभी गुस्सा दुख सुख सब साथ चलेगा । गुस्से को दरकिनार करने की कोशिश करते रहीए सुख दुःख को बराबर समझने का प्रयास करते रहीए। श्री मद भगवद गीता को समझने की कोशिश भी करते रहीए।

11वें दिन सुबह 2.30 ध्यान करने के बाद 3.30 से 4.30 बजे तक ॐ नाद किया तो यकीन मानिए पूरे शरीर में नई स्फूर्ति आ गई। शरीर का सारा दर्द फुर्र हो गया। यह शक्ति है मौन और ॐ नांद की। मेरा आज्ञा चक्र पर ध्यान केन्द्रित करने का प्रयास जारी है।


11वें दिन मीनाक्षी से हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे मंत्र के साथ मुलाकात हुई। पार्क में सबके साथ 10 दिन बाद बात करके बहुत अच्छा लगा। शाम को अम्मा, बहनों से बात हुई सभी आवाज सुनकर खुश हुई। 

जैसी उम्मीद थी माता ने कहा अब कोई मौन नही अपनी जिम्मेदारियां खत्म करो फिर करना जो करना है । मैंने हां कहा यहीं सही है। मिलने जाना है जल्दी मां से। 

फिर मिलते है जल्द। और हां किताब अभी खत्म नहीं हुई है। लिखना जारी है।


हरीश शर्मा 





Sunday, April 23, 2023

लाहौर के हनुमान

लाहौर के हनुमान जी

मैं मीनाक्षी ईहा लाहौर में है भारत से गए है किसी रेस्टोरेंट में हमने लंच किया है। जब हम होटल पहुंचे मीनाक्षी को गैस बन गई। 

उन्हे होटल के कमरे में छोड़कर मैं दवाई लेने निकला हूं। 

होटल के पोर्च पर सिक्योरिटी वाले से पूछता हूं गैस हो गई है दवा लेनी है कोई मेडिकल शॉप है। सिक्योरिटी वाला होटल के सामने इशारा कर बताता है 145 नम्बर में मेडिकल की दुकान है चले जाएं।

सामने दरअसल ऐसा लगता है कोई बैरक रही होगी जिसके ऊपरी भाग में और नीचे छोटे छोटे कमरे है जिनमें अब दुकानें है । उस बाजार में जाने के लिए छोटे सफेद मटमेले रंग के तंबू है करीब 20 वहां पर हरेक entry पर एक दो सफेद सलवार सूट में सिक्योरिटी वाले है।

एक गेट से मैं अन्दर गया उस तम्बू से बैरक के बीच में करीब 25/30 मीटर की दूरी है बहुत खूबसूरत घास का मैदान और गुलाब के फूलों के पेड़ है।

जब 145 नम्बर पर जाने के लिए नीचे खड़े सिक्योरिटी वाले से कहता हूं वो इंटरकॉम पर दवाई पूछता है पता चलता है कोई दवाई गैस की नही है खत्म हो गई है। 


जब वापस मुड़ता हूं तो right side में एक खूबसूरत इमारत है जिसके ऊपरी भाग में तिकोने बनी शेप है। दूर से देखता हूं वहां जाने का गेट है दरवाजे पर जय बजरंगबली लिखा है। मुझे आश्चर्य होता है। मेरी इच्छा वहां जाने की होती है उधर के लिए चलता हूं तो देखता हूं उस इमारत के ठीक सामने थोड़ी दूरी पर काले संगमरमर का चार पांच फीट का लम्बा और चौड़ा पत्थर लगा उस पत्थर पर हनुमान जी की उड़ते हुए वाली चित्रकारी उकेरी हुई है और उसे बहुत सहेज कर रखा गया है चमक ऐसी है की अभी अभी तेल से उसे चमकाया गया है ।

 मैं आश्चर्य में मन ही मन प्रणाम करता हूं । मोबाइल से फोटो खींचना चाहता हूं तभी मुझे अपनी पिछली लाहौर यात्रा याद आ जाती है जब मैंने बाघा बार्डर पर पाकिस्तान वाली साइड में चिल्लाया था हिन्दुस्तान जिन्दाबाद। वो scene मैं create नही करना चाहता उस दिन तो कैलाश खैर साथ थे तो बच गए थे वरना अभी तक लाहौर जेल में होता।


अब मैं बाहर निकलने के लिए एक तंबू की तरफ जाता हूं तो देखता हूं तीसरे तम्बू पर रुहूहफजा जैसा शर्बत पीला रहे है ।मेरा मन उसे पीने का होता है उस तरफ जाता हूं उससे पहले वाले तम्बू के अंदर side में दो सिक्योरिटी वाले मोबाइल पर कुछ देख रहे है पास जाने पर देखता हूं उसमे एक को तो मैंने कपिल शर्मा के शो और अन्य कुछ शो में कॉमेडी करते देखा है। मैं उससे कहता हूं कैसे हो भाई जान वो बिना सिर उठाए हाथ हिलाकर कहता सब ठीक। बाद में गूगल में search करने पर पता चलता है वो मालिक नसीम विक्की है।

जब शरबत वाले तम्बू पर पहुंचता हूं तो एक सिक्योरिटी वाला पूछता है शर्बत पीना है मैं हां बोलता हूं तो वो कहता है मैं आपको दो शर्बत का कूपन दे रहा हूं क्योंकि आप उस इशारा कर कॉमेडी वाले के तरफ कर जोकर को जानते हो। 

मैं कूपन लेकर तम्बू के गेट पर देता हूं वो मुझे एक गिलास में लाल सा शर्बत देता है मैं गिलास को देखता हूं पीने के लिए मुंह की तरफ बढ़ाता हूं तभी मेरे मोबाइल का अलार्म चीख मार देता है मेरी आंख खुल जाती है । शर्बत पीना रह जाता है। हाथ मुंह धोकर लिखने बैठ जाता हूं क्योंकि सपनो की मियाद बहुत लम्बी नही होती। 

आमतौर पर मैं दिन में सोता नही हूं लेकिन आज श्रीमद् भागवत गीता पाठ सुनकर आने के बाद शरीर बोला एक घण्टा सो लो और मैं सो गया अमूमन मुझे सपने भी नही आते लेकिन यह सपना आया याद भी रहा। 

हरीश शर्मा