Tuesday, May 28, 2024

I am not Guilty - Kasab. A book by Harish Sharma

I am not Guilty - Kasab 

CHAPTER ONE

On November 21, 2017, after a busy trip to China, Sweta returned to her office. She found a courier on her desk, containing a book titled I Am Not Guilty - Kasab. Seeing her name beneath the title, she smiled.

She quickly made a call. "Can I talk to HM? This is Sweta," she requested.

"Madam, please hold while I connect you," the assistant replied. Shortly, HM was on the line. "Hello, Sweta! How was your trip? Hope you found some exciting things in China."

"The trip was fantastic, sir, and I received your surprise courier," Sweta answered.

"Finally! After years of waiting and numerous challenges, the truth will be revealed through this book," HM said.

"I appreciate your faith in my memory, especially since we lack concrete proof of my conversation with Kasab. It’s essential this doesn’t come across as a fictional biography, though I trust our country will grasp its significance," Sweta responded.

"Best of luck with your first book. Let me know the launch date; I'll try to attend," HM offered.

"Thank you, sir. It means a lot that you’ll be there to face any controversy with me," Sweta replied.

After hanging up, Sweta browsed through the book, reminiscing about the incident from five years ago.

Later, she visited Kavita's office. "Well done, Sweta! The discussion went well, I presume?" Kavita asked.

"I hope there's no hidden camera here," Sweta half-joked.

"You can trust me," Kavita reassured her.

"The interview exceeded my expectations. If the book captures even 30 to 40% of our conversation, I'll be surprised. I plan to head home to Delhi tonight," Sweta said.

However, Kavita's phone rang, and she received new instructions. "Looks like you're staying another day," she told Sweta with a smile.

"No problem, but how about joining me for dinner tonight?" Sweta suggested.

"Sure, I'll come by at 8," Kavita agreed.

At 8 PM, they were having soup in Sweta’s room when they were interrupted by a knock. Sweta peered through the peephole to see four police officers.

CHAPTER TWO

Surprised, Sweta whispered to Kavita, "Quick, change into this shirt," handing her one. Confused but compliant, Kavita changed in the bathroom.

Sweta opened the door. "It's just a routine check," the officers explained.

Kavita reappeared, greeting the senior officer. "Hello, Amit! Everything okay?" she asked.

After a brief conversation, Kavita relayed to Sweta, "They're going to take everything for inspection but will return it by tomorrow."

Although annoyed, Sweta kept her composure. After the officers left, taking her possessions, they handed her a packet with new clothes and toiletries.

Once alone, Kavita signaled to Sweta to remain silent, suggesting the presence of a hidden recorder. Sweta nodded and whispered, "Let's continue with our dinner."

The next morning, Sweta returned home to find all her items had been returned as promised.

She then took two days off work to document her conversation with Kasab in detail, aware that memories might fade over time.

CHAPTER THREE

On the second day of writing, Sweta received a call from HM’s office, requesting her presence. At the meeting, HM congratulated her, "Your detailed recollections will make for an extraordinary biography."

Sweta, feeling somewhat resentful of the unexpected monetary offer, remained silent.

"I know you're upset, but it's a routine procedure. Try to take it easy," HM said, misunderstanding her silence.

"Thank you, sir. I must get back to work," Sweta replied, eager to leave.

As she exited, HM’s secretary handed her an envelope filled with money. Sweta immediately returned it, saying, "Please, if there’s any reward, let it come after the book is published."

She left the office with her principles intact, ready to face whatever reactions the publication of her book might provoke.

Harish Sharma 

harishsharma1@gmail.com

Spot fixing No Ball 2 crore my new book

Spot Fixing - "No Ball 2 Crore": A Tale of Triumph and Tribulation

At just 18, Siddh, an exceptionally talented cricketer, bursts onto the international scene, dazzling as he helps his team clinch victory against England, the world's top cricket team, in his first two test matches. His performances earn him the Man of the Match awards and ignite hope for a series sweep.

But Siddh’s rising star is abruptly tarnished. After the second test, allegations of spot-fixing thrust him into a scandal. England, fearing a blow to their prestigious cricket heritage and eager to protect their image after ruling his country for over 200 years, sees Siddh as a threat.

In a desperate move to safeguard their legacy, they orchestrate a plot that lands Siddh in a courtroom. Despite the gravity of his actions, the judge, swayed by Siddh's youth and potential, hands down an unusual sentence—exile to a remote island for a year.

Isolated and stripped of his career, Siddh faces the ultimate test of survival and redemption.

Will he find a way back to the sport he loves? Can he play for his nation once more?

Dive into this gripping saga of sport, betrayal, resilience, and redemption, where every emotion plays out against the backdrop of the game that defines nations.

Thursday, May 16, 2024

Law of attraction The real truth

Law of attraction The real truth 

बेटी पत्नी काफी समय से के रहे थे दूसरो के motivational videos देखते रहेगें अपने विडियो बनाकर लोगो को प्रेरित कर सकते हो तो करते क्यों नही। 

हिम्मत ही नहीं पड़ रही थी लेकिन सोचा जब लिखे की तारीफ मिल जाती है तो बोलने की भी कुछ तो मिल ही जायेगी।

अब लगा शुरुआत कभी तो करनी है तो आज से अच्छा दिन क्या हो सकता है 14 मई 1995 हमारी शादी की सालगिरह। न न शादी के 29 साल की बात नही कर रहा हूं ।

यह वीडियो पूर्णतया motivational है और topic है law of attraction चाहत का कानून, मैं इस विषय को कुछ अन्य नाम भी देता हूं art of attraction, love of attraction, ब्रह्माण्ड का आकर्षण, attraction of universe.

इस विषय पर लाखों नही तो हजारों वीडियो यूटयूब पर मिल जायेंगे । कम से कम 50 ऐसे expert मिल जायेंगे जिनको देख सुन पढ़कर मैंने जाना कि law of attraction क्या है । अब आसान तरीका तो ये था मैं सबको सुनकर उनकी best बातों को मिलाकर आसानी से एक वीडियो बना लेता ।

लेकिन मुझे वास्तविक वीडियो बनाना है अपने अनुभवो के वीडियो से शुरुआत करते है । जो लोग सुन रहे है देख रहे है उन्हे भी लगेगा अरे ये तो मेरा ही अनुभव है मेरे साथ भी तो ऐसा ही हुआ था हुआ है। 

तो सुनिए पढ़िए मेरे अनुभव आपके अनुभव बरेली में जन्मा पला बढ़ा । उस समय तो न पता था, उस समय क्या, यूटयूब आने के  8/10 बाद भी यह motivational ज्ञान आम लोगो को पता था अब ऐसा तो है नही कि उस समय law of attraction नही था लेकिन हम अनजाने में ब्रह्माण्ड से ईश्वर से वो पा जाते थे। जो ओशो को या उन जैसे ज्ञानियों को सुन पाते थे तो वो उनकी सुनी बातो को कैसे लेते थे पता नही, क्या ऐसे ही जैसे आज हम ओशो को सुनकर महसूस करते है।

आज सोचता हूं उस काल खण्ड में जाता हूं तो पता चलता है अरे यही तो law of attraction, बचपन में हम सरल होते है बिना किन्तु परंतु के, यही law of attraction का सबसे बड़ा नियम है । कुछ छोटी छोटी चाहत के नियम की बात बताता हूं।

पहला love of attraction था, cricket खेलते थे उस समय दिमाग में आता था मैं अपने स्कूल में मोहल्ले में सबसे बेहतरीन खिलाड़ी बन जाऊं करीब 400/500 लोग तो थे ऐसे थे जो साथ खेलते थे और खेलते खेलते मैं उनमें से बेहतर होता गया । 

8/10 साल का रहा होऊंगा जब बरेली स्टेडियम जाना शुरू किया वहां बड़ी उम्र के खिलाड़ियों को देखकर लगता यह मुझसे बेहतर है अपने best friend अभय को देखकर हमेशा दिल दिमाग कहता यह मुझसे बेहतर खिलाड़ी है तो वो हमेशा रहा।

उस समय भी आज भी स्पोर्ट्स कॉलेज लखनऊ में चुना जाना बहुत कठिन होता था पहले चार पांच शहर में ट्रायल होते थे जिसमे चार पांच हज़ार बच्चे आते थे उनमें से 25 / 30 का चुनाव होता था लखनऊ स्पोर्ट्स कॉलेज में ट्रायल के लिए और हमारे समय में 1977- 1980  बहुत खुर्राट यानि सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट गुरु थे अरुण भारद्वाज वो कोच नही होते तो टेस्ट खेलते पक्का खेलते। 

वो हमारा ट्रायल ले रहे थे ग्राउंड में अपने अपने शहर के 13/14/15 उम्र के 1000/1500 खिलाड़ी तो रहे होगें। मैं उस समय भी जानता था मैं सर्वश्रेष्ठ नही हूं लेकिन दिल दिमाग में एक बात बैठा ली selection तो कोई रोक नही सकता होकर रहेगा। अब ये बैठ गया तो बैठ गया ।

ट्रायल में गुरुजी ने मुश्किल से 3 गेंद बैटिंग कराई और 3 गेंद फिकवाई होगी तब भी पूरा भरोसा था मैं तो चुन लिया गया हूं।  और पहली list declare हुई तो उसमे पहले चार खिलाड़ियों में मेरा नाम था मजे की बात थी मैदान में उपस्थित पिताजी भी सिर्फ एक ही बात कह रहे थे हरीश तेरा चुना जाना पक्का है यानि आज के अनुसार एक ही चीज के लिए दो लोग अनजाने में law of attraction करने में लगे थे।

चुनाव के बाद अन्य खिलाड़ियों के साथ खेलने से किंतु परंतु आने लगा तो अनजाने में law of attraction के भरोसे पर प्रश्न चिन्ह लगने लगे । अभय भी एक साल सीनियर था वो बिना मेहनत किए best था परिस्थिति ऐसी बनी उसे कॉलेज छोड़ना पड़ा। हमारे batch में राजदीपक भारद्वाज बहुत मेहनती खिलाड़ी था दिल दिमाग ने स्वीकार कर लिया कि वो हम में से सर्वश्रेष्ठ है ।

यानि law of attraction का हम में किसी को नहीं पता था लेकिन हम राज के लिए अनजाने में law of attraction नियम का पालन कर रहे थे अपने लिए नहीं। बाद में राज ने स्कूल क्रिकेट की भारतीय टीम में जगह बनाई और वेस्टइंडीज खेलने गया जिस टीम में चेतन शर्मा सबा करीम जैसे खिलाड़ी थे जो बाद में भारत के लिए खेले। अभय और राज  दुर्घटना के कारण आज हमारे बीच नही है लेकिन उनकी अमिट छाप जीवन रहने तक रहेगी।

वीडियो बड़ा होगा लेकिन कोशिश रहेगी आप बोर न हो मुझे भारी भरकम वाक्य और वैज्ञानिक शब्दो की बहुत जानकारी नही है इसलिए जो शब्द वाक्य निकल रहे है वो दिमाग की जगह दिल से निकल रहे है। 
अब मैं law of attraction के ऐसे सच्चे किस्से पर आता हूं जो मेरी पत्नी को बहुत अच्छा न लगे लेकिन इस से बड़ा law of attraction, manifestation यानि मन की अभिव्यक्ति मन का भरोसा हो नही सकता। 

शादी की उम्र हो चली थी 27/28 वैसे अधिक नहीं होती लेकिन 1990 के दशक में अधिक होती थी । अम्मा पिताजी को चिन्ता अधिक थी मुझे कई लड़कियों ने reject कर दिया था वास्तव में जितनी भी लड़कियों ने देखा था मन दिमाग यही कहता था यह ही मना कर दे और वो मना कर देती थी क्योंकि किसी को भी देखकर मन की घंटी बजती ही नही थी । 

हां मन दिमाग को एक संदेश दे दिया था शादी करूंगा सिर्फ ऐसी लड़की से जो extraordinary खुबसूरत हो दिल दिमाग सीरत से, और मुझे पता था ऐसा होगा ही। यानि law of attraction अपना काम करने लगा था। 

करीब 1992/93 में पिताजी किसी माध्यम से बरेली की एक लड़की का फोटो लाएं मुश्किल से उंगली size ka फोटो था लेकिन उसे देख कर दिल दिमाग ने कहा यही लड़की तो है जिसकी तलाश है । मेरा फोटो मेरे विषम में उन लोगो को बताया गया ।

अब जैसा होता है हरेक परिवार और लड़की का और ऐसी लड़की का जो अधिक ही खुबसूरत हो का सपना होता है लड़का डॉक्टर हो अमीर हो जीवन में सफल हो दिखने में भी स्मार्ट हो । मेरे में तो इनमे से एक भी बात नही थी वही हुआ मुझे reject कर दिया गया ।

पहली बार थोड़ी देर के लिए दिल टूटा लेकिन घर वालो को ब्रह्माण्ड को ईश्वर को एक संदेश दे दिया शादी करूंगा तो इसी लड़की से और मन दिमाग में बैठा लिया शादी तो इसी से होगी।

आज के तरह मोबाइल तो होते नही थे होते भी तो हिम्मत नही होती मैं पूछ पाता कुछ कह पाता । मैंने तो सब कुछ तीसरी शक्ति पर छोड़ दिया। आज की पीढ़ी को लगेगा शादी के लिए लड़की के लिए कोई law of attraction का इस्तेमाल करता है क्या।

मुझे कहां पता था ऐसा कोई नियम होता है वो तो आज पता है इसलिए अंदाज लगाता हूं वो law of attraction, manifestation ही रहा होगा। इन्तजार करता रहा दिल दिमाग को कहता रहा पलट लड़की का दिल दिमाग ।

एक डेढ़ साल बाद पिताजी को बोला पता करे उस लड़की के बारे में । पता चला अभी उनकी शादी नही हुई है मन दिमाग ने कहा yes ये तो होना ही था। परिस्थिति किन्तु परंतु होने के बावजूद law of attraction ने अपना कमाल दिखाया। 14 मई 1995 को वो लड़की मीनाक्षी जीवन का भाग बन गई । 

हालांकि मुझे पाना मीनाक्षी का law of attraction न था न है उनका विश्वास भी इस सब में नही है she believes in practicality and I fully respect her decision but I know the power, law of attraction law of nature law of love.

आज के लिए इतना ही मेरी अपनी सभी कहानियां पूर्णतया law of attraction manifestation power of nature से भरी हुई है । तो तीन चार वीडियो में मेरी ही ऐसी कहानी होगी तब तक मुझे शायद इतना ज्ञान हो जाएं मैं भी दार्शनिक बन जाऊं मुझे भारीभरकम शब्दो वाक्यों का ज्ञान हो जाएं। वैसे law of attraction हम सब के इर्द गिर्द ही होता है हम कितना स्वीकार कर पाते है समझ पाते है यह भी तभी होता है जब ब्रह्माण्ड चाहता है हम उसे समझे।

Wednesday, April 24, 2024

मुझे अफ़सोस नही - कसाब

My personal connect with the story 

 26/11 के दिन मैं गोवा में था international film festival में शिरकत करने, रात को होटल पहुँच कर टीवी देखा तो shocked हो गया कुछ समझ ही नहीं आया हुआ क्या cst की फुटेज में कलावा बाँधे एक युवा लड़के को ak 47 से आग उगलते देख आँखों पर विश्वास नहीं हुआ कि हिन्दू भी ऐसा कर सकते है। तब तक पता नही चला था यह आतंकवादी है शुरूआती खबरें थी गैंगवार है। 

थोड़ी देर बाद ही clear हो गया यह सभी पाकिस्तानी आतंकवादी है लेकिन कसाब तथा सभी आतंकवादिओं के हाथ पर बंधे कलावे को मैं भूल नहीं पाया, हालाँकि आतंकवाद की कोई जाति नहीं होती यह बोलने में अच्छा लगता है । यदि कसाब भी मर जाता तो क्या होता सब कुछ जानते हुए भी क्या हम इसे हिन्दू आतंकवाद से जोड़ते या कुछ ताकते ऐसा करती। कुछ ने कोशिश भी की थी लेकिन वो सफल नहीं हो पाए। 

आप मेरे इस लिखे को सिरे से नकार सकते है या शुरू की कुछ लाइन पढ़कर मेरी कहानी को आसानी से रद्दी की टोकरी में डालकर मुझे मेल कर सकते है आपकी कहानी सौहार्द को बिगाड़ सकती है।  हो सकता है आप लोग सही हो लेकिन सही गलत का फैसला पूरी किताब पढ़े बिना नहीं ले सकते। 

मेरा connect वो सच्चा धागा ( कलावा ) है जिसने मुझे कसाब के दिमाग में जाने को मजबूर किया। वो कलावा बाँधा क्यों ? थोड़ी देर बाद तो पता चल जाना था कि यह पाकिस्तानी आतंकवादी है। हालाँकि पाकिस्तान ने उन्हें हिन्दुस्तानी साबित करने की तमाम असफल कोशिश की लेकिन उन बुद्धिहीनों को यह समझ नहीं आया कि आतंकवादी आई कार्ड लेकर क्यों चलेगा। 

मेरा कनेक्ट यह कि मैंने खुद को कसाब माना और जन्म से लेकर मरने तक कसाब के mind set को समझने की कोशिश की। 
मेरे लिये सबसे अधिक समस्या कसाब में एक भी चीज positive ना होने को लेकर थी इसके लिये मुझे इस कहानी को लिखने में चार साल लगे। बहुत  मुश्किल है एक इन्सान में एक भी positive चीज को दरकिनार करना। 

दूसरी समस्या थी पूरी फिल्म एक ऐसे चरित्र पर होना जो देश का सबसे बड़ा दुश्मन है और वो मुख्य भूमिका में है। जबकि उसके बारे में सारी दुनियाँ को पता है।  google कसाब से भरा पड़ा है। 

तब मैंने बतौर लेखक थोड़ी छूट ली और नाम दिया हिन्दी में मुझे अफ़सोस नहीं - कसाब अंग्रेज़ी में आई एम् नॉट गिल्टी - कासाब A fictional बायोग्राफी। मैंने कहानी में 30 % वो लिया जो सबको पता है बाकी 70 % मेरी दिमाग की उपज है। 

Story come from 

बहुत आसान है इस तरह की स्टोरी को बुनना। कोई हमारे मुल्क पर अटैक कर दे तब हम क्या करे वही जो हमनें किया ३ दिन कई सौ लोगों को बचाने के बाद के बाद हमें 2 घण्टे लगे उन्हें जहन्नुम पहुँचाने में। actual तो सबको पता ही है लेकिन मेरी कहानी वो है जो किसी को नहीं पता। 

पहले मैंने हिन्दी और English में book जो 2018 में release हुई बहुत लोगों ने नहीं पढ़ी लेकिन जिसने भी पढ़ी किसी ने भी negative comments नहीं दिये मैं उसी को एक debut writer की सफलता मानता हूँ। अपनी ही book से स्क्रिप्ट लिखी मुझे पता है आज नही तो १० साल २० साल बाद इस पर फिल्म बनेगी मैं होऊंगा या नही लेकिन फिल्म तो बनेगी ही।

यहां पूरी किताब अलग अलग chapter में आपके लिए पेश है अच्छी बुरी जैसी भी लगे बताएं जरूर।


पहले दो chapter 

मेरी पहली किताब आतंकवादी क़साब पर

चीन के व्यस्त दौरे के बाद स्वेता २१ नवंबर २०१७ को अपने ऑफिस पहुँची , उन्हें अपनी मेज़ पर एक कूरियर मिला जिसमे उनको दो किताबे मिली जिसका शीषर्क है आई ऍम नॉट गिल्टी- कसाब और दूसरी मुझे अफसोस नहीं - कसाब
बतौर लेखक उनका नाम लिखा है जिसे देख कर उनके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई | 
 
स्वेता ने अपने मोबाइल से ग्रहमंत्री के ऑफिस में फ़ोन मिला कर एच् ऍम से बात करने की गुज़ारिश की, उन्हें बताया गया मंत्री जी ने उनका फ़ोन आने पर बात कराने के आदेश पहले से ही दिए हुऐ है | दूसरी आवाज़ मंत्री जी की थी अभिवादन के बाद मंत्री जी ने स्वेता से पूछा उनकी चीन की यात्रा कैसी रही आप अवश्य कुछ विशेष रिपोर्ट लेकर आयी होंगी ।

स्वेता ने कहा सर धन्यवाद चीन की यात्रा बेहतरीन रही और कुछ अच्छे फ़ीचर मिले है | सर मुझे ऑफिस आते ही कसाब की किताबे मिली आख़िरकार आपकी कोशिश रंग ले ही आई आपका बहुत शुक्रिया आपके प्रयास से ही यह संभव हो पाया और पाँच वर्ष बाद आख़िरकार क़िताब के रूप में सच शीघ्र सबके सामने आ ही जायेगा | 

ग्रहमंत्री ने कहा मैं आपकी प्रखर स्मरणशक्ति का कायल हो गया हूँ आपने महत्वपूर्ण बातचीत को समय रहते कलमबद्ध कर लिया जिससे इस क़िताब को प्रकाशित करना संभव हो पाया लेकिन क़साब से हुई आपकी बातचीत का कोई साक्ष्य ना होने के कारण क़िताब क़साब की कल्पित जीवनी के तौर पर प्रकाशित की गई है जैसा हमारे बीच वार्ता हुई थी आपकी मेहनत को पूर्ण न्याय नही मिल पाया है | 

 मंत्री जी ने कहा लेकिन आप निश्चिंत रहे देश के पाठक बहुत समझदार उन्हें यह भान रहेगा कि इस क़िताब के मायने क्या है क़िताब शीघ्र बाज़ार में उपलब्ध होगी आप क़िताब का विमोचन कब करना चाहेंगीं आप चाहे तो मैं भी उसमे शामिल हो सकता हूँ |  

स्वेता ने कहा क्यों शर्मिंदा कर रहे है सर आपके बिना क़िताब का विमोचन सम्भव ही नही है फिर मुझे और आपको ही तो क़िताब के बाज़ार में आने के बाद होने वाले विवाद का सामना करना है | 

मंत्री जी से बात ख़त्म होने के बाद स्वेता ने क़िताब उठाई  पन्ने पलटने लगी और पाँच साल पहले के घटनाक्रम में खो गई|   

क़साब से उसकी जीवनी पर बातचीत सामाप्त होने के बाद स्वेता कविता के ऑफिस में पहुंची कविता ने उसका स्वागत किया और बधाई दी कि समयबद्ध समय में बेहतरीन बातचीत ख़त्म हुई स्वेता ने कविता को धन्यवाद कहा और पूछा मुझे उम्मीद है कि आपके कमरे में कोई गुप्त कैमरा नही होगा जो हमारी बातचीत को रिकॉर्ड कर सके |   

कविता ने कहा तुम मुझ पर यकीं कर सकती हो तब स्वेता ने कहा हाँ बात वास्तव में मेरी उम्मीद से कही बेहतर हुई है क़साब ने जो खुलासे किये है उसके अनुसार यदि क़िताब प्रकाशित होती है तो बवाल मचेगा पर मुझे लगता नहीं ऐसा होगा कम से कम ३०-४०% भाग क़िताब में नही होगा | 

ख़ैर अब मुझे जाना चाहिये आधी रात तक मैं घर पहुँच जाऊंगी उसी समय कविता के ऑफिस फ़ोन की घंटी बजी कविता ने फ़ोन पर बात सुनी सिर्फ ज़वाब में कहा जी सर | 

स्वेता ने कविता की आँखों में देख कर पूछा ग्रहमंत्रालय का क्या फ़रमान है कविता ने मुस्करा कर कहा अच्छा तुमने अन्दाज लगा लिया फ़रमान है तुम्हे कल सुबह जाना है | 

स्वेता ने कहा कोई बात नही,  कविता क्यों ना तुम मेरे साथ डिनर करो ज़वाब में कविता ने कहा ठीक है मैं ८ बजे तुम्हारे कमरे में पर आती हूँ |  

ठीक ८ बजे कविता स्वेता के कमरे में थी स्वेता ने घड़ी देखी कविता बोली जी हाँ हमे देख कर लोग अपनी घड़ी मिलाते है स्वेता बोली अच्छा जी तभी मैंने सूप मंगा लिया था दोनो सूप पीने ही लगे  तभी कमरे की घंटी बजी स्वेता ने दरवाज़े की आँख से देखा दूसरी तरफ ४ पुलिस अधिकारी थे | 

स्वेता को आश्चर्य हुआ तभी उसका पत्रकार वाला दिमाग चालु हुआ उसने कविता को इशारा किया चार पुलिस अधिकारी है उसने कविता को एक कमीज़ दी और धीमी आवाज़ में कहा कृपया अपनी शर्ट बदल लो क्यों का ज़वाब बाद में जाओ जल्दी मैं दरवाज़ा खोलती हूँ 

कविता जब बाथरूम में चली गई तब स्वेता ने दरवाज़ा खोला, स्वेता ने कहा जी बताये कैसे आना हुआ मैडम आप अन्यथा ना ले यह एक नियमित जाँच है और ऐसा अक्सर होता है एक अधिकारी ने ज़वाब दिया उनमे से एक हाथ में बड़ा सा एक पैकेट भी था , ठीक है आइयें तभी कविता बाथरूम से निकल कर आयी।

 एक अधिकारी ने उसे पहचान लिया कविता ने पूछा अरे अमित आप लोग,जी कविता जी फिर दोनों कमरे के कोने में बात करने लगे बात करने के बाद कविता ने स्वेता को बताया इनको आदेश मिला है आपके कमरे की हर चीज यह अपने साथ ले जायेंगे लेकिन कल सुबह तुम्हारे घर पहुँचने से पहले सारा सामान वहाँ पहुँच जायेगा |   

स्वेता के चेहरे पर सेकण्ड भर के लिये तनाव आया फिर अपनी चिपरिचित मुस्कान के साथ बोली अच्छा है मुझे वज़न नहीं लाद कर ले जाना पड़ेगा| 

पुलिस अधिकारी उसका सारा सामान यहाँ तक कि साबुन तक लेकर चले गये और जाते जाते बड़ा पैकेट स्वेता को दे गये उसमे दो जोड़ी कपड़े जूते चप्पल और अन्य दैनिक इस्तेमाल में आने वाली चीजे थी 

पुलिस अधिकारीओ के जाने के बाद स्वेता मुस्कराई, कुछ कहने के लिये मुँह खोला ही था तभी कविता ने अपने होठों पर उंगली रख चुप रहने का इशारा किया और इशारे से ही समझाया सम्भव है रिकॉर्डिंग चिप लगा दी गई हो स्वेता ने कविता की समझ पर उसे सलाम किया  तभी दरवाज़े की घंटी फ़िर बजी स्वेता ने देखा इस बार खाना आया था स्वेता ने कहा चलो डिनर करते है | 

अगले दिन ११. ३० सुबह स्वेता अपने घर पहुँची उसकी माँ ने बताया कि उसका सामान सुबह ९ बजे आ गया था तभी मैं समझ गई थी कि तू आने वाली है | स्वेता ने माँ से गले लगने के बाद सामान में कविता की शर्ट देखी शर्ट सामान में थी जिसे देख कर स्वेता के चेहरे पर रहस्यमय मुस्कुराहट आई | 

उसने माँ से कहा माँ जल्दी से अपने हाथ के परांठे खिला कब से इसी इंतज़ार में हूँ माँ ने कहा तेरे परांठे तैयार है आजा फटाफट | 

स्वेता ने अपने ऑफिस में फ़ोन कर अपने बॉस को बता दिया वो वापस आ गई है, दो दिन बाद ऑफिस आना शुरू करेगी | दो दिन स्वेता ने लगातार कसाब से हुई बातचीत को अपने लैपटॉप  पर लिखा उसे पता था कि अभी उसने सब नही लिखा तो वक्त बीतने के साथ बहुत सी बातचीत वो भूल सकती है साथ ही तीन चार पेनड्राइव में लेकर लैपटॉप से उड़ा दिया 

अगले ही दिन ग्रहमंत्रालय से फ़ोन आ गया मंत्री जी से मिलने के लिये स्वेता मंत्री जी से मिली उन्होंने उसकी बहुत तारीफ की कहा तुमने कमाल की बात की कसाब से कितनी नई जानकारी निकलवाई उससे अब कसाब की क़िताब कमाल की बनेगी, स्वेता खामोश रही इसपर मंत्री जी बोले तुम नाराज़ हो, सुरक्षा के लिहाज़ से यह जरुरी था इसलिये अन्यथा ना ले 

स्वेता ने कहा सर बहुत सा काम बाकी है मंत्री जी मुस्कराये बोले ओह हाँ कई दिन तो बातचीत में निकल गये ठीक है तुम चलो संपर्क में रहना क़िताब की प्रगति के विषय में मंत्रालय आपको सूचित करता रहेगा नमस्कार | स्वेता को इस बात की तसल्ली थी कि उन्होंने उसके लैपटॉप ज़मा करने की बात नही की |    
   
 स्वेता जब एच् एम् ऑफिस से बाहर निकली सेक्रेटरी ने उसे एक पैकेट दिया कि साहेब ने आपको देने का हुक्म दिया है स्वेता ने पैकेट खोला तो उसमे एक हज़ार रुपये की दो गड्डियां थी जिन्हे देख कर उसने एच एम् से फिर से मिलने के लिये बोला,कुछ ही देर में वो एच एम् के सामने थी उसने कहा सर मैंने यह काम पैसो के लिये नही किया था फिर भी आप देना ही चाहते है तो क़िताब के प्रकाशित होने के बाद दीजियेगा पैकेट वही छोड़ नमस्कार कर वो ऑफिस से बाहर आ गई | 
Day of the Hang-क़साब पार्ट दो 

स्वेता चार दिन के दौरे के बाद देर रात आयी थी और घोड़े बेच कर सो रही थी जबकि उसका शांत अवस्था में पड़ा मोबाइल फ़ोन ८/१० बार बज चूका था उसकी माँ ने आकर उसे जगाया और अपना फ़ोन देते हुऐ कहा ऑफिस से है कितनी देर से तुम्हे मिला रहे है कोई जरुरी बात है स्वेता अभी भी उनींदी से थी उसने अनमने ढंग से मोबाइल कान पर लगाया दूसरी तरफ से जो कहा गया उससे उसकी नींद रफूचक्कर हो गई उसके मुँह से एक ही बात निकली क्या ?

स्वेता को परेशान देख माँ भी परेशान हो गई स्वेता चिल्लाई माँ परेशान न हो बस जल्दी से टीवी चला दे | अभी सुबह के ८ बजे है स्क्रीन पर उपस्थित न्यूज़ रीडर कह रही थी आज २१ नवम्बर २०१२ का दिन आप लोग कभी भी नही भूल पायेंगे आज सुबह ७.३० बजे देश के सबसे बड़े गुनहगार पाकिस्तानी आतंकवादी अज़मल क़साब को फांसी दे दी गई | 

स्वेता अवाक से बैठी रह गई अभी १५ दिन पहले ही तो वो लगातार कुछ दिन जेल में बायोग्राफी लिखने के वास्ते क़साब के साथ थी लेकिन इसकी चर्चा वो किसी से भी नही कर सकती थी ऐसा ही कुछ करार उसका था एच एम् के साथ | रह रह कर उसके सामने क़साब का चेहरा आ रहा था | 
      
स्वेता ने बधाई देने के लिये ग्रहमंत्री को फोन लगाया लेकिन घंटी जाती रही थोड़ी ही देर में मंत्रालय से फोन आया साहेब व्यस्त है आपसे बात करेंगे | दिन महीने निकलते गये लेकिन ना मंत्री जी का फ़ोन आया ना मंत्रालय से, स्वेता सोच रही थी कितना कठिन है इन नेताओ से मिलना यदि आप चाहे लेकिन कितना आसान है यदि वो चाहे |  

करीब एक साल निकल गया एक दिन रिसेप्शन से उसको बताया गया कोई कविता आपसे मिलना चाहती है स्वेता को कुछ ही समय लगा यह समझने में कि यह कौन सी कविता है उसने रिसेप्शन में बोला रुकिये मैं उन्हे लेने बाहर आ रही हूँ | 

जब स्वेता और कविता मिले तो सबको लगा कोई बहुत पुराने दोस्त मिले है स्वेता उसे अपने केबिन में ले गई स्वेता ने ऑफिस में हिदायत दी कि उसे एक घंटे तक ना कोई फ़ोन करे न कोई मिलने आये साथ ही उसने अपना मोबाइल भी बंद कर दिया | 

कविता ने कहा ज़र्रानवाज़ी का शुक्रिया | 

क़साब से बातचीत के बाद कविता कही गायब हो गई, स्वेता ने उसको कितने ही फ़ोन किये पर मोबाइल हमेशा बन्द ही मिला ऑफिस में फ़ोन किया तो पता चला मैडम ऑफिस नहीं आ रही है कुछ समय बाद उसे पता चला कि मैडम ने नौकरी छोड़ दी है स्वेता को आश्चर्य हुआ इतनी शानदार नौकरी भी कोई छोड़ सकता है और वही कविता अब उसके सामने बैठी है स्वेता के दिमाग में कितने ही सवाल उमड़ घुमड़ रहे थे |  

स्वेता ने दो कॉफी लाने के लिये बोला और कविता से कहा मेरी बिना इज़ाज़त के कोई मेरे केबिन में नही आ सकता इस बात पर दोनो मुस्कराई | कविता ने स्वेता के केबिन का ज़ायज़ा लिया स्वेता ने उसकी नज़रो को पढ़ते हुऐ कहा कैमरा कोने में लगा है लेकिन यह तभी काम करता है जब मेरी इज़ाज़त हो इसलिये निश्चिंत रहे और खुलकर बात करे | कविता ने मुस्करा कर एक पैकेट से शर्ट का कॉलर निकल कर स्वेता को दिया कहा यह है आपकी अमानत मैंने बहुत संभाल कर रखी है शर्ट का तो क्या करना था लेकिन मतलब की चीज़ निकाल ली है |   
स्वेता ने कहा इसके लिये बहुत धन्यवाद लेकिन मैं इसके लिये तुम्हे नही तलाश रही थी मेरी चिंता तुम्हे लेकर थी अचानक कविता कहाँ गायब हो गई ?

कविता ने गहरी सांस ली बोली मेरे महकमे के साथिओं ने मेरी शिकायत की मैं उस रात तुम्हारे कमरे में थी और तलाशी के दौरान मैंने उनके काम में व्यवधान डाला लिहाजा अनुशासनिक सजा के तौर पर मेरा तबादला कर दिया गया मुझे वहाँ जाने में कोई आपत्ति नही थी पर मेरे घर और ऑफिस की गहन तलाशी ली गई मुझे ज़लील किया गया आरोप लगाया गया मैंने अपने पद का गलत इस्तेमाल करते हुऐ तुम्हे फायदा पहुंचाया है अब मैं सज़ा के लिये तो जाने से रही सो मैंने नौकरी को अलविदा कह दिया, अपना फ़ोन बंद कर दिया क्योंकि मुझे पता था मुझे परेशान करना बंद नही होगा |  

ओह यानि मेरे कारण तुम्हे अपनी नौकरी गँवानी पड़ी स्वेता की आवाज़ में बेहद पीड़ा थी तुम्हारे साथ इतना कुछ हो गया और तुमने मुझे बताना भी उचित नही समझा इसका बहुत अफ़सोस रहेगा मुझे | 

स्वेता तुम्हे मायूस होने की बिल्कुल भी जरुरत नहीं है मैंने तुम्हे कुछ भी इसलिये नहीं बताया कि मुझे पता है तुम्हारे सारे फ़ोन टेप हो रहे होंगे रही नौकरी जाने की बात वो तुम्हारी वज़ह से नही बल्कि बात मेरे सम्मान की थी जिससे मैं समझौता नहीं कर पायी | उस रात मैंने जो कुछ किया तुम्हारे कमरे में वो सब मैंने सिर्फ तुम्हारे लिये नही किया बल्कि मुझे लगा कि तुमने बिल्कुल ठीक किया आप सरकारी तंत्र पर पूर्ण रूप से भरोसा नही कर सकते जब आपको लगे आपका इस्तेमाल किया जा रहा है | 

स्वेता ने राहत की सांस ली उसने कहा कॉलर ना भी मिलता तो कोई बात नहीं थी मैंने तुम्हारे पास से आने के बाद सारी बातचीत को लिख लिया था जिससे मैं कुछ भूल ना जाऊं |  
 
कविता ने पूछा लेकिन तुम्हारी क़िताब का क्या हुआ? 

कुछ नही स्वेता ने निराशा से कहा क़िताब का प्रकाशित होना बड़ा मुश्किल है क्योंकि जो राज़ क़साब ने बताये थे वो छाप नही सकते उस सबके बिना क़िताब में कुछ बचता नही, सिर्फ वही सब  है जो सारी दुनियाँ को पता है कैसे उसने सब किया और फाँसी पर लटका दिया गया | 

ख़ैर कविता इस कॉलर के लिये धन्यवाद यह भविष्य में बहुत काम आयेगा हमारे पास केवल यही एक सबूत है जो यह साबित करता है कि मैंने क़साब से बातचीत की थी लेकिन कविता स्वेता को ध्यान आया तुम क्या कर रही हो कहाँ रह रही हो | 

कविता की मुस्कान बड़ी साजिशभरी थी उसने कहा मैं दिल्ली में ही हूँ ग्रह मंत्रालय में जिसे सुनकर स्वेता हड़बड़ा कर अपनी कुर्सी से खड़ी हो गई | कविता ने जोर से ठाहका लगाया बोली आराम से बैठिये मैडम मैं मज़ाक कर रही हूँ ।

मैं एक निजी नौकरी कर रही हूँ साथ ही अपना मुक़दमा भी लड़ रही हूँ मुझे पता है मैं वो जीत ही जाऊँगी तुम्हे गवाह के तौर पर पेश नही किया जायेगा यदि ऐसा किया गया तो सब कुछ दुनियाँ को पता चल जायेगा फिर बात बहुत दूर तक जायेगी | 

अब मुझे चलना चाहिये मैंने तुम्हारा बहुत कीमती समय लिया कविता बोली, ऐसा बिल्कुल नही है तुमसे मिलकर मुझे बहुत सुकून मिला तुम अपना अता पता और नंबर दो स्वेता ने कहा | अभी मेरे पास कोई नंबर नही है पर मैं तुमसे मिलती रहूँगी तुम्हारा नंबर तो वही है ना मीडिया वाले अपना नम्बर कहाँ बदलते है कविता ने कहा | 

स्वेता कविता को छोड़ने बाहर तक आयी उसने उससे कहा मैं तुम्हारे लिये गाड़ी का इंतज़ाम करती हूँ लेकिन कविता ने कहा नही मेरे पास कार है धन्यवाद वैसे मैं तुम्हारा  विशेष शो लगातार देखती हूँ मुझे उसे देख कर बहुत अच्छा लगता है थैंक्स कविता स्वेता ने कहा हम फिर जल्दी ही मिलेंगे | 
 
स्वेता अपने केबिन में आयी उसने सबसे पहले आकर कॉलर से चिप निकाली और अपने लैपटॉप में चलाकार देखी क़साब की आवाज़ सुन कर उसे सुकून हुआ रिकॉर्डिंग सही सलामत है रोमांचित होकर उसने ख़ुशी में जोर से बोला लव यू कविता 

ठीक तभी उसका इण्टरकॉम बजा उसने फोन उठाया उम्मीद है तुम्हारी चिप सही सलामत होगी और दोनों की रिकॉर्डिंग भी यह कविता की आवाज़ थी स्वेता ने एक बार फिर उसको शुक्रिया कहा कविता ने कहा ठीक है अब मैं चलती हूँ और फ़ोन कट गया | 
   
स्वेता को पता है कि क़िताब का प्रकाशित होना आसान नही है लेकिन मैं हार नही मानूँगी लगातार कोशिश करती रहूँगी इस विचार के साथ ही उसने बिना कुछ सोचे एच एम् को फ़ोन मिला दिया उसका फ़ोन तो नही मिला पर कुछ देर में उसके पास फ़ोन आ गया कल एच एम् आपसे मिलना चाहते है दोपहर ३ बजे क्या आपके लिये संभव है कविता ने धन्यवाद कहा और ३ बजे मिलने के लिये हामी भरी | 

ठीक ३ बजे कविता एच एम् के सामने थी उन्होने कहा स्वेता आपने कमाल का कार्य किया है इसमें कोई दोराय नही लेकिन क़िताब को प्रकाशित होने में थोड़ा समय लगेगा पैनल निर्णय लेगा क़िताब में क्या जायेगा स्वेता ने उनको धन्यवाद कहा और बोली मैं तो सोच रही थी कि क़िताब गई रद्दी की टोकरी में। | 

स्वेता ने अपनी बात ज़ारी रखते हुऐ कहा सर आप अन्यथा ना ले मेरा ऐसा मानना है आने वाले लोकसभा चुनाव २०१४ से पहले क़साब की बायोग्राफी का बाज़ार में आना मुश्किल है आप लोगो के लिये भी चुनौती का दौर है मेरे ख़्याल से क़िताब चुनाव के बाद ही संभव है देखना अब है आपकी सरकार या नई सरकार यह जिम्मेवारी उठायेगी | 
 
स्वेता ने आगे कहा मैं जानती हूँ आप या आपकी सरकार कोई भी जोख़िम नही लेगी वैसे भी क़साब ने कुछ ऐसे राज़ खोले है जिसका सीधा असर सरकार पर पड़ सकता है ख़ासकर गोधरा ट्रैन पर उसका खुलासा, एच एम् स्वेता की बात सुनकर कुछ क्षण ख़ामोश रहे फिर मुस्करा कर बोले आप निश्चिंत रहे आपकी क़िताब हमारी सरकार ही प्रकाशित करायेगी ।

थैंक्यू सर अब मैं चलती हूँ उम्मीद है आपका सेक्रटरी मुझे कोई पैकेट नहीं देगा स्वेता ने मुस्करा कर कहा | 

२०१४ के चुनाव हो चुके थे नई सरकार को बने करीब साल होने को आया था एक दिन एक अनजाने नंबर से उसे फ़ोन आया हैलो मैडम स्वेता आप कैसी है स्वेता को मुश्किल से १० सेकेण्ड लगे आवाज़ पहचानने में उसने कहा मैडम कविता आप इतने दिनों बाद फ़ोन करेंगी तो क्या हम आपकी आवाज़ नही पहचानेंगे ।

कैसी हो फिर कहाँ गायब हो गई कब मिल रही है | कविता ने कहाँ थोड़ी सांस लेलो मैंने तुम्हे इसलिये फ़ोन किया कि यह मेरा नंबर है अब मेरी नौकरी दिल्ली में ही लग गई है सरकारी नौकरी समझी हम बहुत जल्दी मिलने वाले है | 

यह तो बड़ी खबर है कविता बधाई हो इसका मतलब तुम मुकदमा जीत गई हो स्वेता ने पूछा कविता ने कहा जी मेम जीत हमारी ही हुई है | मैं तुम्हारे लिये बहुत खुश हूँ लेकिन बिना पार्टी दिये तुम बचने वाली नही हो स्वेता ने हँस कर कहा, हाँ जब हम मिलेंगे तभी पार्टी भी करेंगे लेकिन तुम्हारी क़िताब का क्या हुआ कविता ने पूछा |  

मैं उस क़िताब को भूल चुकी हूँ सरकार बदल चुकी है ऐसा कोई रिकॉर्ड भी नही है क्यों कि चुनाव से कुछ दिन पहले एच एम् ऑफिस में आग लगी थी जिसमें बहुत नुकसान हुआ था मुझे पक्का यक़ीन है उसमे मेरी भी सारी रिकॉर्डिंग और फुटेज ख़ाक हो चुकी होगी।

स्वेता ने कहा,ओह मुझे बहुत अफ़सोस हुआ जानकर खैर स्वेता चिन्ता मत करो सब अच्छा ही होगा अपना ख्याल रखो हम जल्दी ही मिलने वाले है कह कर कविता ने फोन काट दिया | 

स्वेता को कभी कभी बुरा लगता था पर वक्त हर घाव को भर देता है वो अपने प्रसिद्ध प्रोग्राम विशेष में व्यस्त होती गई और क़िताब उसके दिमाग से निकल चुकी थी एक साल करीब और निकल चुका था एक दिन सुबह ९ बजे उसके चैनल से बॉस का फोन आया ।

उन्होंने कहा स्वेता आज ६ बजे शाम तुम्हे ग्रहमंत्री से मिलना है प्लीज् समय से पहुंच जाना, पर सर ६ बजे तो मेरा विशेष का नया एपिसोड जाना है स्वेता ने प्रतिरोध किया लेकिन मुझे किस लिये मिलना है मंत्री जी से | 

तुम अपने विशेष की चिन्ता मत करो ग्रहमंत्री ने तुमसे मिलने की इक्छा जताई है वज़ह तो मुझे भी नही मालुम पर हमे उनकी बात का सम्मान तो करना ही चाहिये मैं उन्हें हाँ कह चूका हूँ क्या पता कुछ विशेष ख़बर वो हमें ही देना चाहते हो बॉस ने कहा स्वेता को हाँ कहना पड़ा |  
 
६ बजे स्वेता नये ग्रहमंत्री के सामने बैठी थी और उनसे उसकी पहली मुलाक़ात थी ग्रहमंत्री का साज़ोसामान बिलकुल बदल चुका था | ग्रहमंत्री बहुत ही सरल थे हिंदी में ही बात कर रहे थे 

मंत्री जी ने उससे उसके हाल चाल पूछे उसे बताया  बाकी जनता की तरह वो भी उसके विशेष प्रोग्राम के मुरीद है आपसे पहली बार मिलने का मौका मिला है हमें | स्वेता ने धन्यवाद कहा और बोली सर आपसे मिल कर बहुत अच्छा लगा आपकी सरल बातचीत से ऐसा लग रहा है जैसे मैं आपको पहले से जानती रही हूँ |  

स्वेता उनसे मिलने की वज़ह पूछने ही जा रही थी कि उन्होंने पूछा स्वेता जी आप यह बताये कितने समय में आप अपनी क़िताब पूरी लिख पायेंगी | स्वेता चौंकी कौन सी क़िताब सर यह पूछते ही उसके दिमाग में प्रश्न कौंधा ओह आप क़साब की बायग्राफी के बारे में पूछ रहे है, उसने पूछा लेकिन सर आप कैसे जानते है इस बारे में | 
 
एच एम् ने दरवाज़े की तरफ इशारा किया जहाँ से कविता अंदर आ रही थी उसे देखते ही स्वेता सारा माज़रा समझ गई दोनो मिले मुस्कारहाटो का आदान प्रदान हुआ दोनो गले मिलना चाहते थे पर मंत्री जी की वजह से संकोच में पड़ गये और दोनो ने हाथ मिलाया | 

मंत्री जी ने कहा संकोच न करे इतने दिनों बाद मिल रहे है अच्छे से गले मिलिये आगे बोले कविता ने मुझे पूरा किस्सा विस्तार से बताया आपने बहुत कमाल का काम किया है हालांकि हमारे पास आपकी और क़साब की बातचीत का कोई सबूत नही है आग ने सब कुछ भष्म कर दिया |   

सर मेरे पास हमारी बातचीत की फुटेज है दो दिन की लेकिन पूर्व एचएम से मेरा क़रार था मैं इस बातचीत के विषय में किसी को ना बताऊँ स्वेता ने कहा , मैं आपके साफ़गोई की कद्र करता हूँ लेकिन आप याद करे कोई आधिकारिक पत्र या ई-मेल आपको मिला इस बायोग्राफी लिखने या क़साब से मिलने का मंत्री जी ने पूछा , 

नही सर मेरे पास ऐसा कुछ भी नही है कुछ फ़ोन आये थे उस समय पर वो तो करीब पांच साल हो गये वो रिकॉर्ड भी मैं हटा चुकी हूँ पूर्व मंत्री जी ने पत्र और क़रारनामा मुझे दिया था लेकिन वो मेरी ज्यादा होशियारी में ख़ुद मंत्री ने मेरे सामने वो सारे पेपर फाड़ दिये थे फिर मैं इसलिये भी निश्चिंत थी इसी ऑफिस में हमारी सारी रिकॉर्डिंग सीसीटीवी में कैद हो रही थी स्वेता ने कहा | 

एच एम् ने पूछा कविता आपको कोई पत्र या मेल इस बारे में, जी सर कई मिले थे लेकिन मुझे विश्वास है अब ऐसा कोई रिकॉर्ड नही बचा होगा कविता ने कहा | 

सर स्वेता ने उत्साहित होकर कहा मुझे याद आया मंत्री जी ने मुझे कहा था कि कोर्ट के आदेश की वजह से क़साब की बायोग्राफी लिखने का निश्चय किया गया था | एच एम् ने मुझे कहा स्वेता आप इतने समय से मीडिया में है क्या आपने खुद ऐसी कोई रिपोर्ट पढ़ी मुझे तो ऐसा कुछ पढ़ने में नही आया न हमारे रिकॉर्ड में कुछ है | 

ऐसी परिस्थिति में मेरी नेक सलाह मानिये आप किसी से यह मत बताईएगा कि आपके पास कोई रिकॉर्डिंग है वर्ना आप परेशानी में पड़ सकती है मेरी सलाह मानिये उस रिकॉर्डिंग को भी हमारे ऑफिस की आग में भष्म मानिये मंत्री जी ने कहा |          
स्वेता और कविता इस नई परिस्थिति से असमंजस में थी स्वेता को अपने आप पर गुस्सा भी आ रहा था उसने कोर्ट के ऐसे कोई आदेश की जांच पड़ताल क्यों नहीं की,

उसने कहा सब कुछ इतनी जल्दी जल्दी हुआ था कुछ सोचने समझने का मौका ही नही मिला फिर मैं सबसे खतरनाक आतंकवादी से मिलने के रोमांच में सब कुछ भूल गई| 

सर आपका बहुत धन्यवाद अब आप आदेश करे हमें आगे क्या करना है |  

मंत्री जी ने मुस्करा कर  कहा चिंता मत करिये हर समस्या का समाधान होता है अब मुझे यह बतायें कि आपको क़साब की काल्पनिक बायोग्राफी लिखने में कितना समय लगेगा।

 स्वेता चौंकी बोली सर क्या बात कर रहे मैंने वास्तव में उससे बात की है और यह उसकी सच्ची जीवनी है स्वेता कहते कहते बहुत भावुक हो गई | मंत्री जी ने कहा स्वेता मैं आपकी मेहनत और भावुकता की कद्र करता हूँ लेकिन वास्तविक सच्चाई यही है कि तुम्हारे पास दो ही विकल्प बचे है या तो क़िताब को पूर्ण रूप से भूल जाओ या जैसी परिस्थिति है उसके अनुसार क़िताब को बाज़ार में आने दो | 

मेरी सलाह तो यही है किताब को आने दो जिसके लिए आपने इतनी मेहनत की है और आगे भी रास्ता लम्बा है भूलना अक्लमंदी नही है, पाठक बहुत अक्लमंद होता है उनको सब पता होता है कि क्या सच है आप जो भी लिखे वो सच होना चाहिये याद रखे सच हमेशा सच होता है मंत्री जी ने कहा | 

स्वेता ने कहा सर आप सही कह रहे है आपकी नेक सलाह के लिये बहुत धन्यवाद मुझे लगता है तीन चार महीने में मैं क़िताब पूरी लिख सकुंगी मैं चाहती हूँ क़िताब हिंदी इंग्लिश और गुजराती भाषा में प्रकाशित हो |  

बहुत सुन्दर स्वेता आप क़िताब आराम से लिखे जहाँ इतना इंतज़ार किया है वहाँ एक दो अतिरिक्त माह देर होने से कोई समस्या नही है पर क़िताब जबरदस्त होनी चाहिये जब आप लिख कर स्वयं संतुष्ट हो तब मुझे बताये मैं आपको सलाह दूंगा कैसे आपकी क़िताब प्रकाशित होगी मंत्री जी ने कहा | 

सर मैं आपको लिख कर पहले ही भेज दूंगी जिससे आप पढ़ कर कुछ सलाह देना उचित समझें स्वेता ने कहा | स्वेता आपका शुक्रिया लेकिन मैं प्रकाशित होने के बाद ही आपकी क़िताब पढ़ना चाहूंगा आपकी मेहनत में मेरी कोई ना सलाह ना कोई चिंता अब आप दोनों जाये और हाँ मेरे ऑफिस में कोई रिकॉर्डिंग नही होती मंत्री जी ने मुस्करा कर अपनी बात ख़त्म की | 

मैडम क्या मैं अंदर आ सकता हूँ मेकअप मैन ने स्वेता की तन्द्रा भंग की,स्वेता ने कहा राजेश मैं मेकअप रूम में आती हूँ, नही मैम यही करता हूँ मेकअप रूम अभी खाली नही है|  ठीक है कितना समय लगेगा राजेश स्वेता ने पूछा लगभग ४५ मिनट मैम राजेश ने कहा ओके स्वेता ने कहा और अपना मोबाइल फ़ोन बंद कर उसने अपनी आँखे मूंद ली........

इन्तजार कीजिए अगले chapter का 
Thank you

हरीश शर्मा 




Friday, April 5, 2024

पर्पल फायर महिला कार रैली के विजेता: दिल्ली • देहरादून • जिम कॉर्बेट


पर्पल फायर महिला कार रैली के विजेता: दिल्ली • देहरादून • जिम कॉर्बेट

पर्पल फायर महिला कार रैली ने रविवार को जिम कॉर्बेट में अपना तीसरा चरण पूरा कर लिया और कड़ी प्रतिस्पर्धा के बाद विजेता बनीं सभी महिलाएं-  डॉ. वाणीश्री पाठक, ललिता गौड़ा, प्रथम रनर-अप जसमीत कारू ज्योति अयंगर, द्वितीय रनर-अप दीपा चंदर, सविता रेड्डी ,कविता गोलेचा, नैना अब्रोल, इन्हें विजेता ट्रॉफियां देकर सम्मानित किया गया।
इससे पहले स्तन कैंसर जागरूकता और महिला सशक्तिकरण का एक शक्तिशाली प्रतीक, पर्पल फायर महिला कार रैली ने देहरादून से जिम कॉर्बेट तक अपना दूसरा चरण सफलतापूर्वक पूरा किया था।
उत्तराखंड के माननीय राज्यपाल, महामहिम लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त) ने रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। देहरादून से जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क तक की रोमांचक यात्रा, जिसका उद्देश्य स्तन कैंसर की रोकथाम और शीघ्र पता लगाने के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी फैलाना है।
47 कारों में लगभग 100 महिला ड्राइवर इस मुद्दे का समर्थन कर रही हैं और साथ ही मौजूदा लोकसभा चुनावों में नागरिक भागीदारी को भी प्रोत्साहित कर रही हैं।
29 मार्च की शाम को, राजभवन सभागार ने स्तन कैंसर जागरूकता के लिए समर्पित एक विशेष कार्यक्रम "वी कैन डिफीट ब्रेस्ट कैंसर" की मेजबानी की।
माननीय राज्यपाल, महामहिम लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त) ने महिला ड्राइवरों के साहस की सराहना की और जागरूकता और सशक्तिकरण में रैली के दोहरे महत्व पर जोर दिया।
डॉ. (श्रीमती) रमेश सरीन और डॉ. (कर्नल) सी.एस. पंत, वीएसएम, फोरम फॉर ब्रेस्ट कैंसर प्रोटेक्शन के अध्यक्ष, और पर्पल फायर महिला कार रैली के निदेशक ब्रिगेडियर हरिंदर पाल सिंह बेदी ने इस संगठन का नेतृत्व किया है।
ब्रिगेडियर बेदी ने रैली की व्यापक सहायता प्रणाली पर प्रकाश डाला, जिसमें दो एम्बुलेंस, डॉक्टरों की एक टीम और पूरी यात्रा में सहायता प्रदान करने के लिए तैयार 45 सहायक कर्मचारी शामिल हैं।
सबसे पहले आईपीएस सुश्री गीता रानी वर्मा ने दिल्ली के डीएलएफ एवेन्यू मॉल से रैली की शुरुआत को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

अन्य विभिन्न श्रेणियों में विजेता हैं- प्रज्ञा विज चावला, असावरी जालान, विकास जालान, रूपाली जालान, प्रथम स्थान- समृद्धि खन्ना, शांतनु खन्ना, सिमी खन्ना, संजय खन्ना, दूसरे स्थान पर अदिति गर्ग, अभिनव गर्ग
महिला-एमेच्योर वर्ग में विजेता प्रियंका जेटली, आंचल मेहता हैं, प्रथम उपविजेता परवीन अहलावत, चशजीव साहनी, त्रिवेणी सहगल, शिवानी कपूर हैं, द्वितीय उपविजेता भावना शर्मा, श्वेता जसवाल हैं और मिश्रित-एमेच्योर वर्ग में विजेता वंदना भल्ला  मनोज भल्ला, प्रथम रनर-अप, मीरा गोयल, एनके गोयल, द्वितीय रनर-अप वंदना राव, ललित यादव।

सबको शानदार ट्राफी देकर सम्मानित किया गया।

Wednesday, April 3, 2024

purple fire Women car rally 2024


purple fire women car rally completed its 3rd leg on Sunday at Jim Corbett and after tough competition winners are All Women- Expert Dr Vanishree Pathak ,Lalita Gowda, 1st Runner-up Jasmeet Karu Jyothi Iyengar, 2md Runner-up Deepa Chander, Savita Reddy,Kavita Golecha,Naina Abrol, they are felicitated with winning trophies.

Earlier A powerful symbol of breast cancer awareness and women's empowerment, the Purple Fire Women's Car Rally successfully completed its 2nd leg from Dehradun to Jim Corbett. His Excellency Lt. Gen Gurmit Singh (Retd), Honorable Governor of Uttarakhand, flagged off the rally,
Now, the rally continues its exciting journey from Dehradun to Jim Corbett National Park, aiming to spread vital information about breast cancer prevention and early detection. Approximately 100 women drivers across 47 cars champion this cause while also encouraging women's civic participation in the ongoing Lok Sabha elections.
On the evening of March 29th, Raj Bhawan Auditorium hosted "We Can Defeat Breast Cancer," a special event dedicated to breast cancer awareness. The Honorable Governor, His Excellency Lt. Gen Gurmit Singh (Retd), commended the courage of the women drivers and emphasized the rally's dual importance in driving awareness and empowerment.
Dr. (Mrs.) Ramesh Sarin and Dr. (Col.) C.S. Pant, VSM, Chairpersons of the Forum for Breast Cancer Protection, and Brigadier Harinder Pal Singh Bedi, Director of the Purple Fire Women's Car Rally, have spearheaded the organization of this impactful initiative. 
Brigadier Bedi highlighted the rally's comprehensive support system, including two ambulances, a team of doctors, and 45 support staff ready to provide assistance throughout the journey. IPS Ms. Geeta Rani Verma had previously flagged off the rally's start from DLF Avenue Mall in Delhi.
Other winners in different categories are Mixed- Expert are Pragyaa Vij Chawla, Asavari Jalan, Vikas Jalan, Roopali Jalan, First Runners- Samriddhee Khanna, Shantanu Khanna,Simi Khanna, Sanjay Khanna, 2nd runners up, Aditi Garg, Abhinav Garg
In Women- Amateur category Winners are Priyanka Jaitely, Anchal Mehta, 1st Runner-up are Parveen Ahlawat, Chashjeev Sahni, Triveni Sehgal, Shivani Kapur, 2md Runner-up are Bhavna Sharma, Shweta Jaswal and in Mixed- Amateur category Winners are Vandana Bhalla, Manoj Bhalla, 1st Runner-up, Meera Goyle, NK Goyle, 2nd Runner-up Vandana Rao, Lalit Yadav.

अमेरिका में हिन्दी गानों का परचम फहराते भारत के गायक अयाज़ इस्माइल


अमेरिका में हिन्दी गानों का परचम फहराते भारत के गायक अयाज़ इस्माइल

मुंबई में जन्मे और अमेरिका में रह रहे गायक संगीतकार अयाज इस्माइल के नवीनतम एकल गाने तुझसे कहूं ने तेजी से दुनियां भर के दर्शकों के दिलों पर कब्जा कर लिया है

यूट्यूब पर तुझसे कहूं गाने को करीब 20 लाख से अधिक बार देखा गया है। यह मील का पत्थर न केवल गीत की व्यापक अपील को उजागर करता है बल्कि संगीत उद्योग में एक उभरते सितारे के रूप में अयाज़ की स्थिति को भी मजबूत करता है।


प्रेम के शाश्वत सार के साथ आधुनिक ध्वनियों का मिश्रण, तुझसे कहूं दुनिया भर के श्रोताओं के साथ गूंजता है, जो भौगोलिक सीमाओं से परे संगीत बनाने के लिए अयाज़ की प्रतिभा को प्रदर्शित करता है।

गाने की सफलता अयाज़ की अनूठी संगीत दृष्टि का प्रमाण है, जिसमें उन्होंने मुंबई में अपनी जड़ों को संयुक्त राज्य अमेरिका में अपने अनुभवों के साथ जोड़कर एक ऐसी ध्वनि तैयार की है जो ताज़ा और गहराई से प्रासंगिक दोनों है।

दृश्यात्मक रूप से आश्चर्यजनक संगीत वीडियो, जो तुझसे कहूँ की गीतात्मक कथा का पूरक है, ने ट्रैक की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जो दर्शकों को एक मनोरम दृश्य कहानी पेश करता है जो गीत के भावनात्मक प्रभाव को बढ़ाता है।



अयाज़ का अपने प्रशंसकों के प्रति आभार और गाने के पीछे सहयोगात्मक प्रयास स्पष्ट है। कुछ ही हफ्तों में इस मुकाम तक पहुंचना एक सपने के सच होने जैसा है। यह हमारी टीम की कड़ी मेहनत और हमारे श्रोताओं के अविश्वसनीय समर्थन को दर्शाता है।

अयाज़ ने कहा, 'तुझसे कहूं' मेरे दिल का टुकड़ा है और मैं इसे इतने सारे लोगों के साथ जुड़ते हुए देखकर रोमांचित हूं। जैसे-जैसे तुझसे कहुं गति पकड़ रहा है, अयाज़ इस्माइल पहले से ही अपने अगले संगीत प्रयासों की योजना बना रहा है।

गाने की सफ़लता ने अगले गाने और संगीत को अधिक प्रभावशाली और लय बद्धता को खुद चुनौती दी है, अयाज़ अगले गाने कोअधिक कर्णप्रिय और सीमा पार भी पसंद आने वाले ट्रैक देने का वादा करते है।
तुझसे कहूँ की सफलता सिर्फ अयाज़ के लिए एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि हर जगह के संगीत प्रेमियों के लिए जश्न का क्षण है, जो यह साबित करता है कि संगीत हम सभी को जोड़ने की ताकत रखता है, चाहे हम दुनिया में कहीं भी हों।

तुझसे कहुं यूट्यूब पर देखने के लिए उपलब्ध है, जो अधिक दर्शकों को अयाज़ इस्माइल की सफलता का जश्न मनाने संगीत और भावनाओं के आकर्षक मिश्रण का अनुभव करने के लिए आमंत्रित करता है जिसने करीब 20 लाख से अधिक दर्शकों का ध्यान खींचा है।