Friday, August 28, 2020

शुक्र पर्वत का महत्व

हस्तरेखा ज्ञान 

शुक्र पर्वत का महत्व

हाथ में जितनी रेखाएँ है पर्वत है सब में बदलाव होते रहते है।

किसी का भी हाथ हो यह अवश्यम्भावी है। हथेली में सात पर्वत होते है। सूर्य पर्वत, चन्द्र पर्वत, मंगल पर्वत, बुध पर्वत, गुरु पर्वत, शुक्र और शनि पर्वत।

आज शुक्र पर्वत की बात करते है। शुक्र पर्वत अँगूठे के निचले भाग को कहते है। 


शुक्र पर्वत सुविकसित हो यानि न बहुत उभरा न बहुत दबा तो ऐसे व्यक्ति सुख सम्पन्नता, उत्तम स्वास्थ्य, स्त्री पुरुष के बीच समुधर संबंध होते है। संगीत कला में व्यक्ति की रुचि होती है। भावनात्मक संबंध, सरल मन विचार, दुसरो को मदद सहयोग करने वाला, भावुक होते है।

यदि शुक्र क्षेत्र विकसित न हो, सख्त हो तो व्यक्ति कठिन कार्य करने वाला होगा, साथ ही व्यभिचारी, कठोर, असंयमी और रूखा बोलने वाला होगा। ऐसे में यदि हथेली का रंग पीलापन लिए हो तो ऊपर लिखे अवगुण में इजाफा होता है।

यदि शुक्र क्षेत्र अत्याधिक विकसित हो तो व्यक्ति आराम तलब, आलसी, सैक्स के प्रति बहुत अधिक रुचि जिसके अंतर्गत वो गलत कदम उठाने से भी संकोच नही करेंगे। ऐसे में यदि हथेली का रंग लाल हुआ तो ऐसे व्यक्ति कामवासना के प्रति बहुत खतरनाक हो सकते है। 

आमतौर पर शुक्र पर्वत आकर्षक दिखने वाला व्यक्ति सौन्दर्य प्रेमी होता है किसी भी स्थान पर सौंदर्य खोज लेते है। सुविधा संपन्न जीवन प्रेमी होते है।

यदि शुक्र पर्वत पर स्पष्ट खड़ी रेखायें हो तो व्यक्ति कई विदेश यात्रायें अवश्य करेगा। आमतौर पर विदेश यात्रा के लिए चन्द्र पर्वत की रेखाओं को देखा जाता है पर मेरा अनुभव कहता है कि शुक्र पर्वत भी विदेश यात्रा के लिए महत्वपूर्ण है।


जन्मपत्री में मजबूत शुक्र हो तो व्यक्ति फैशन, पर्यटन, कम्प्यूटर, हस्तशिल्प, सिनेमा, संगीत, कला, ज्वैलर्स व्यापार, जनसंपर्क, रक्षा तकनीक जैसे क्षेत्रों में रोजगार या व्यापार में जाने की संभावना अधिक होती है।

Tip - सिर दर्द होने पर गर्म पानी पिये, नाक के एक छिद्र को दबाकर 15 बार फिर दूसरे छिद्र से 15 बार फिर 11 बार साधारण अनुलोमविलोम करे सिर दर्द गायब।

हरीश शर्मा

Tuesday, August 25, 2020

हस्तरेखा ज्ञान हाथ की रेखाएँ

हस्तरेखा ज्ञान 

हाथ की रेखायें

आज जानेंगे हाथ की मुख्य रेखाओं के विषय में। आमतौर पर हम सभी हाथ की चार रेखायें तो जानते ही है।

1 जीवन रेखा

2 मस्तिष्क रेखा

3 ह्रदय रेखा

4 भाग्य रेखा

इन चार महत्वपूर्ण रेखाओं के साथ 10 अन्य महत्वपूर्ण रेखाएँ होती है उनको भी जानना जरूरी है लेकिन आज हम चार रेखाओं की ही बात करते है।


1 जीवन रेखा को पितृ रेखा और कुल रेखा भी कहते है यह रेखा अँगूठे और हाथ की पहली उँगली जिसे तर्जनी कहते है के बीच से निकल कर अर्धचंद्राकार रूप लेकर हथेली के बीच से होती हुई हथेली की जड़ तक जाती है। जितनी अधिक गोलाई और साफ सुथरी जीवन रेखा उतना ही साफ सुथरा जीवन। विस्तार से फिर चर्चा करेंगे पहले रेखाएँ जान लेते है।


2 मस्तिष्क रेखा को शीर्ष और मानस रेखा भी कहा जाता है लेकिन मस्तिष्क रेखा ही प्रचलित है। यह रेखा अँगूठे और तर्जनी के बीच से जीवन रेखा के साथ निकल कर ह्रदय रेखा के नीचे और जीवन रेखा की तरफ थोड़ा सा झुकाव लिये होती है। 

जितनी सुन्दर साफ सुथरी और लम्बी मस्तिष्क रेखा होगी व्यक्ति उतना ही बुद्धिमान और शुद्ध मन होगा। विस्तार से चर्चा करेंगे


3 ह्रदय रेखा नाम से प्रचलित इस रेखा को आयु रेखा नाम भी दिया गया है। मुख्य रेखाओं में हथेली में सबसे ऊपर वाली रेखा जो सबसे छोटी उँगली के नीचे से निकल कर पहली उँगली तर्जनी के नीचे तक जाती है ह्रदय रेखा कहलाती है। रेखा की स्पष्टता देखकर आप अंदाज लगा सकते है कि हरेक ह्रदय कुछ कहता है। विस्तार से चर्चा करेंगे।


4 भाग्य रेखा जिसे शनि रेखा भी कहते है में हरेक व्यक्ति की रुचि सबसे अधिक होती है। शनि यानि कर्म, मेहनत, गाना है न जैसा  कर्म करेगा वैसा फल देगा भगवान यह है गीता का ज्ञान। भाग्य और कर्म एक दूसरे के पूरक है। लेकिन अच्छे कर्म बेहतर भाग्य बनाते है यह निश्चित है। 

विस्तार से चर्चा करेंगे प्रत्येक रेखा की उनके फल की। पहले आप सारी रेखाएँ तो समझ लीजिये।

Tip - ध्यान शुरू कीजिए बहुत आसान है सुबह उठने के बाद और रात सोने से पहले बिस्तर पर बैठ कर सिर्फ एक मिनट आँखे बंद कीजिये। आने दीजिये अच्छे बुरे विचारों को बस आँखे मत खोलिये, धीरे धीरे समय बढ़ता जायेगा विचार कम होते जायेंगे। 

शुरू कीजिये शीघ्र ही आनन्द आने लगेगा।

कल मिलते है।

नोट - सभी चित्र सौजन्य पुस्तक हस्तविचार से।

हरीश शर्मा

Sunday, August 23, 2020

हस्तरेखा ज्ञान

हस्तरेखा ज्ञान 

सामुद्रिक शास्त्र यानि हस्तरेखा वास्तव में समुद्र जितना गहरा है लिहाजा हमारा साथ लम्बा होने वाला है।

आज बात करते है हाथ की मुद्राओं की सरल आसान लाभदायक

अनामिका मुद्रा

अनामिका मुद्रा जिसे रवि मुद्रा भी कहते है। अनामिका यानि सबसे छोटी उँगली के बाद वाली उँगली उसको मोड़िये अँगूठे से दबाये हथेली के बीच मे जितनी देर आराम से दबा कर रख सके रखिये शेष उंगलियों को सीधा रखें । 


इसका लाभ होगा यदि आप tension, stress में है या मोटापा कम करना चाहते है आराम से बैठकर करिये जो लोग जमीन पर बैठ सकते है बैठकर करे नही तो जैसे कर सकते है करे जरूर, 1 मिनट 2,3,4,5,10 मिनट तक । कोशिश करे कि जिस स्थान पर करें गर्मी न हो। करने में दिक्कत महसूस हो तो न करे।

ईहा मुद्रा 

ईहा मतलब पृथ्वी भूमि जमीन मुद्रा, वज्रासन में करेंगे तो लाभ अधिक होगा नही बैठ पाये तो जैसे आसानी हो करे। अनामिका यानि सबसे छोटी के बाजू वाली उँगली और अँगूठे के tip को मिलाये बाकी उंगलियां सीधी रखे। जितनी देर आसानी से कर पाये करे लेकिन 15- 20 मिनट से अधिक न करे।


इस मुद्रा से तुतलाना, हकलाना, बोलने में संकोच होता हो, weakness हो lazy feel कर रहे हो,पाचन सही न हो में लाभ मिलता है।

जीवन मुद्रा 

जीवन यानि प्राण, life इस मुद्रा में आराम से बैठ जाये जमीन पर या जहाँ सुविधा हो। कनिष्ठ यानि सबसे छोटी और अनामिका मतलब उसके बाजू वाली अब इन दोनों उँगली को मिला ले और अँगूठे से दोनों उँगली के नाखून वाले भाग को हल्के से दबाये, बाकी दोनों उँगली सीधी रखे।


Heart blockage, आँखों के रोग, concentration करने में परेशानी हो, भूख पर नियंत्रण न हो तो यह मुद्रा करे तो लाभ मिलेगा।

Tip - पहले दिन मैंने सलाह दी थी 11 बार ॐ और अनुलोम करने की उसमे यह जोड़ लीजिये कि रात को दोनों प्रक्रिया करते समय वज्रासन में बैठ कर करिये इससे अतिरिक्त लाभ होगा पाचन क्रिया सही रहेगी साथ ही एकाग्रता में विकास होगा।

हरीश शर्मा

Saturday, August 22, 2020

हस्तरेखा ज्ञान


हस्तरेखा ज्ञान 
आज बात करते है हाथ के अँगूठे की -

1- कुछ लोगो के अँगूठे पीछे नही मुड़ते है ऐसे लोग जो निश्चित कर लेते है वही final होता है वो किसी की नही सुनते। कुछ हद तक जिद्दी होते है।

ऐसे लोग अपने निर्णयों पर स्थिर रहते है अधिकतर इनके निर्णय सही भी होते है। यह लोग किसी से गुस्सा हो जाये तो बहुत समय तक नाराज रहते है। बहुत मुश्किल से माफ करते है। 

2- कुछ लोगो के अँगूठे लचीले होते है आसानी से पीछे मुड़ जाते है ऐसे लोग खुद को कही भी बहुत जल्दी adjust कर लेते है। किसी से नाराज हो जाये तो बहुत जल्द भूल जाते है। समझदार होते है लोग इनकी बात सुनते है अमल करते है।

ऐसे लोग किसी की सलाह आसानी से मान जाते है यानि दृण निश्चयी नही होते है भावुक होते है अपनी कमी और गलतियों को स्वीकारने वाले होते है।

3- कुछ लोगो के अँगूठे होते ही पीछे है लचीले इतने कि कितना ही मोड़ लो फ़ोटो में देखे । 

ऐसे लोगो का गुस्सा कपूर की तरह है तुरन्त उड़ जाता है। गुस्सा कम आता है लेकिन जब आता है तो कुछ मिनट इन्हें संभालना कठिन होता है लेकिन कुछ देर में यह शान्त हो जाते है और अपने गुस्से पर अफसोस जाहिर करते है।

यह लोग भावुक होते है इनके पास पैसा है तो बिना सोच विचार के किसी की भी मदद कर सकते है। दयालु होते है किसी तरह की कोई जोर जबरदस्ती नही करते।

काम के प्रति लापरवाह होते है लेकिन एक बार निश्चय कर लिया तो काम को अन्जाम देकर ही दम लेते है।


4- कुछ लोगो के अँगूठे बीच से पतले होते है और नाखून वाला हिस्सा चौड़ा होता है 

ऐसे लोग की बुद्धि तेज होती है। प्रतिभाशाली होते है। सीखने की प्रवृत्ति तेज होती है भविष्य के प्रति अधिक सजग होते है।

किसी को भी ईमानदारी से सलाह देते है और लोग इनकी सलाह को मानकर लाभ भी उठाते है। गुस्सा इनका खतरनाक होता है खुद को भी चोट पहुँचा सकते है। 

5- नाखून वाला भाग मोटा देखने मे अजीब लगता है यह लोग कम बोलते है गुस्से में क्या कुछ कर जाये कहा नही जा सकता। किस के प्रति क्या दुर्भावना लेकर बैठे है कहना मुश्किल है। 

यह लोग अपनी बात किसी से नही कहते न किसी की सलाह लेते न देते सिर्फ action में विश्वास करते है । लोग ऐसे लोगो से दूर रहना ही पसंद करते है।

यह लोग किसी पर भरोसा कर ले तो उसके लिये कुछ भी कर सकते है कुछ भी मतलब कुछ भी।


Tip- सुबह उठ कर अवश्य बोले आज मेरा दिन शुभ हो।

कल मिलते है।



हस्तरेखा ज्ञान


आज से मैं हस्तरेखा के आसान से tips आप लोगों को दिया करूँगा जिससे आप भी खुद ही अपना हाथ पढ़ पाये।

हाथ के फ़ोटो में अँगूठे के नीचे के भाग को शुक्र पर्वत कहते है हाथ को अच्छे से धोकर साफ करके देखिए कोई नीलापन तो नही है यदि नही तो आपकी आर्थिक स्थिति सही है बशर्ते कि शुक्र पर्वत उभार लिए हो। (फ़ोटो में देखे लाल गोल)

यदि कोई नीलापन दिखे तो सतर्क हो जाये पैसों को संभाल कर रखे कम खर्च करे। 

नीलेपन के जाते ही आर्थिक स्थिति भी बेहतर होती जायेगी tention कम हो जायेगी पत्नी से सम्बन्ध मधुर होंगे।

सबसे छोटी उंगली को कनिष्ठ कहते है कनिष्ठा के नीचे वाले भाग को उच्च मंगल क्षेत्र कहते है (फ़ोटो देखें) यदि इसके आसपास नीलापन नजर आए तो सतर्क हो जाये आपका स्वास्थ्य सही नही है शरीर का routine checkup करा लें ecg, lft करा लें। ईश्वर करे कोई बीमारी न हो लेकिन checkup कराने में कोई हर्ज नही है।

Tip - सुबह उठने के बाद और सोने से ठीक पहले 11 बार ॐ नाद करे, 11 बार अनुलोम विलोम करे, बहुत सी बीमारियां आपसे दूर ही रहेंगी।

कल मिलते है

हरीश शर्मा

Tuesday, August 18, 2020

सुरेश रैना हमारे गुरु भाई -

सुरेश रैना हमारे गुरु भाई-

सुरेश रैना और मैं गुरु भाई है। स्पोर्टस कॉलेज लखनऊ में, मैं 1978 में था और रैना 1999 बैच के।

रैना से मेरी पहली मुलाकात चंडीगढ़ में 2018 15 अगस्त को हुई थी मुझे ए बी पी चैनल के विशेष कार्यक्रम के लिये कैलाश खेर को वाघा बॉर्डर पर लेकर जाना था। चैनल से मेरे पुराने मित्र संजय पांडेय थे । 

संजय पांडेय ने मुझे बताया कैलाश जी के अलावा सुरेश रैना भी इस कार्यक्रम का हिस्सा है। मैंने संजय को बताया मुझे सुरेश रैना से मिलना है हम गुरु भाई है। जब संजय उनसे मिलने जा रहे थे उनके रूम में मुझे अपने साथ ले गये।

रैना को मैंने बताया हम गुरु भाई है मेरे और आपके गुरु दीपक शर्मा जी है तो वो खुश हो गए खड़े होकर हाथ मिलाया गले लगे प्यार से अपनी बगल में बैठाया और कमरे में उपस्थित एक अन्य व्यक्ति का परिचय कराते हुए बोले यह है नीरज चौरसिया एक ओर गुरु भाई हम दोनों एक ही बैच में थे स्पोर्ट्स कॉलेज में। अब नीरज मेरे साथ ही रहते है कोई भी काम हो आप इनसे संपर्क में रहे।

हम तीनों की थोड़ी देर बात हुई हमने स्पोर्ट्स कॉलेज की बात की अपने गुरु क्रिकेट कोच साहब दीपक शर्मा जी की बात की।

चूँकि हम सबको तैयार होकर वाघा पहुँचना था इसलिए हम वाघा पर दोबारा मिलने के वायदे के साथ विदा हुए। 

मैं कैलाश जी को लेकर वाघा पहुँचा थोड़ी देर में रैना और नीरज भी आ गये। मैंने कैलाश जी की मुलाकात रैना और नीरज से करायी और उन्हें बताया हम एक ही कॉलेज से है। 
कार्यक्रम लाइव था हमारे पास काफी समय था चित्रा त्रिपाठी चैनल की प्रस्तोता थी। उस दौरान हमारी काफी बातचीत हुई फ़ोटो खींचे गये। 

मैंने यह ख्याल रखा कि कैलाश जी के अलावा रैना को भी कोई दिक्कत न आये। स्पोर्ट्स कॉलेज में सीनियर और जूनियर का बहुत मसला हमेशा रहा है बात सिर्फ सम्मान की होती है। 

रैना भी इस बात का पूरा ख्याल रख रहे थे और मुझे भाई जी या भाई साहब कह कर ही संबोधित कर रहे थे । 15 अगस्त के कार्यक्रम बहुत सुंदर थे। ए बी पी चैनल, संजय पांडेय और चित्रा त्रिपाठी ने दोनों मेहमानों का बहुत खयाल रखा।

कार्यक्रम के बाद सेना के अधिकारियों के साथ चाय नाश्ते का विशेष कार्यक्रम था जिसमें कैलाश जी और रैना के साथ कम से कम 200 फ़ोटो खींचे होंगे लेकिन दोनों मुस्कराकर सबको खुश करते रहे।

एक बात जो रैना की मुझे नही भूलती चाय नाश्ते के दौरान मैं रैना और नीरज एक साथ खड़े बातें कर रहे थे रैना ने कुछ मजाक किया नीरज ने रैना को टोका तो रैना ने मुस्करा कर कहा भाई साहब बड़े है लेकिन थोड़ा मजाक तो कर सकता हूँ ।

मैंने कहा रैना यह आपका बड़प्पन है जो स्पोर्ट्स कॉलेज का रिश्ता अभी तक निभा रहे है। रैना ने कहा क्या भाई जी अपने लोगो के साथ क्या बड़प्पन। 

वाघा बॉर्डर से होटल वापस पहुँचते हुए नीरज ने मुझे कहा हम लोग  स्वर्ण मन्दिर जाना चाहते है मैंने अपने स्थानीय मित्रो को फोन कर सारा इन्तजाम कर दिया। लेकिन वो लोग किसी कारण से नही जा पाये। मैंने बोला भी अमृतसर आकर स्वर्ण मंदिर न जाना मतलब पुनः आना पड़ेगा यहाँ। पता नही जा पाये या नही।

रैना से एक दिन की मुलाकात हमेशा यादगार रहेगी। नीरज के सम्पर्क में हूँ रैना के बारे में बातचीत होती रहती है। 

रैना पर हम सब कॉलेज वालो को गर्व है वो एक दिवसीय और टी 20 के शानदार खिलाड़ी रहे है उम्मीद है आईपीएल में वो अभी तीन चार वर्ष आराम से खेलते रहेंगे और हमें उनके चोक्के छक्के देखने को मिलते रहेंगे।

उनको शुभकामनाएं नये मुकाम के लिये।

हरीश शर्मा

Monday, August 17, 2020

धोनी को फिल्में दिखाने की जिम्मेदारी थी मेरी -

धोनी को फिल्में दिखाने की जिम्मेदारी थी मेरी-

कल कप्तान कूल ने सन्यास की घोषणा की तो मेरे ज़ेहन में विश्वकप का हेलीकॉप्टर शॉट सबसे पहले आया। सचिन की तरह यदि उन्होने भी घोषणा की होती तो मैच के बाद पूरा स्टेडियम पूरा भारत धोनी धोनी के शोर से गूँज जाता। लाखों करोड़ों लोगों की आँखे नम होती।

लेकिन धोनी तो हमेशा कुछ अलग ही करते है मैदान के अंदर भी मैदान के बाहर भी। इस बार भी इंस्टाग्राम पर अलग ही अंदाज में उन्होने आई पी एल के अतिरिक्त सभी किन्तु परन्तु पर विराम लगा दिया।

सन्यास की घोषणा के बाद लाखों लेख लिखे जा चुके है मैं ऐसा क्या लिखूं जो अलग हो जिसकी चर्चा कम हुई हो। तब मुझे लगा मुझे अपनी मुलाकातें लिखनी चाहिए जो अलग ही थी।

धोनी के बारे में सबसे पहले लगभग 2002/3 में मेरे साथी मित्र दीपक गुप्ता ने मुझे बताया था उनके पापा गोपाल गुप्ता इंडियन एयर लाइन्स की क्रिकेट टीम से जुड़े हुए थे उन्होंने बिहार टीम से खेलने वाले युवा धोनी की बल्लेबाजी के किस्से पढ़े और सुने थे 

उन्होंने एयर इंडिया टीम मैनेजर जय सिंह को यह बात बताई उसके बाद धोनी एयर इंडिया टीम का हिस्सा बने। उसी टीम में धोनी के मित्र बाद में धोनी का तमाम व्यवसायिक कार्य देखने वाले अरुण पांडेय भी खेलते थे। 

गोपाल गुप्ता को लगता था यह लड़का अगले दो तीन साल में भारत के लिए न सिर्फ खेलेगा बल्कि एक दिन कप्तान भी बनेगा।

मुझे लगा अतिउत्साह में दीपक के पापा बोल गये है लेकिन 2004 में जब धोनी की खबरें आने लगी तो मुझे गोपाल गुप्ता की बात सही लगने लगी हालांकि गोपाल गुप्ता जी अब इस दुनियां में नही है लेकिन उनकी भविष्यवाणी सच साबित हुई।

दिसम्बर 2004 के बाद धोनी एक ऐसा सितारा बनकर उभरा जिसका कोई सानी नही। जिसने ऊंचाइयों की उन मंजिलों को छुआ जो कुछ ही लोगो के नसीब में होती है।


मेरी मुलाकात माही से जून 2006 में हुई थी पहली बार दर असल मेरे पास मेरे मित्र अतुल गंगवार का फोन आया माही को अपने कुछ दोस्तों के साथ फ़िल्म फिर हेराफेरी देखनी है क्या आप कुछ ऐसी व्यवस्था कर सकते है लोग अधिक न हो ।

मेरे पास इंदिरापुरम में मल्टीप्लेक्स जेम शिप्रा का पीआर का काम था मेरे मित्र राहुल शर्मा उस मल्टीप्लेक्स को मैनेज करते थे मैंने उनसे बात की यह भी बताया कि कोई मीडिया नही कोई प्रचार नही फिर भी वो तुरंत तैयार हो गए। 

राहुल शर्मा ने नये बने जेम लाउन्ज को हमारे लिए खोल दिया इस लाउन्ज में जाने का रास्ता अलग से ही था उसमें करीब 24 लक्जरी सीट थी। तय समय से धोनी अपने कुछ मित्रों के साथ आये। मैंने अपने फोटोग्राफर मित्र उमेश वर्मा को बुला लिया था।

पहले लाउन्ज में बैठाकर बातचीत हुई फ़ोटो हुए अरुण पांडेय भी साथ थे निशान्त भी थे जो स्पोर्ट्स मैनेजमेंट कंपनी चलाते थे धोनी और अरुण के मित्र थे। तीन चार मित्र ओर थे जिनके विषय में मुझे याद नही। 

धोनी उस समय भी शांत ही रहते थे अभिवादन का उत्तर भी मुस्कराहट से ही देते थे। मैंने पूछा था कैसी फ़िल्म पसंद करते है बोले हर तरह की फ़िल्म अच्छी लगती है लेकिन कॉमेडी की फ़िल्म देखना अधिक अच्छा लगता है। किशोर कुमार के गाने मुझे अच्छे लगते है जॉन अब्राहम की तरह मोटरसाइकिल चलाना उन्हें पसंद है जॉन के अच्छे मित्रों में है। हालांकि उस समय तक उनके पास बहुत बाइक नही थी।

जेम शिप्रा में मैंने माही को करीब चार फिल्म दिखाई थी वहाँ की सुरुचिपूर्ण व्यवस्था से वो बहुत खुश होते थे क्योंकि जिस दिन वो फ़िल्म देखते थे पूरा जेम लाउन्ज सिर्फ हमारे लिए होता था। आज भी जेम शिप्रा से उस समय जुड़े लोग धोनी के व्यवहार से बहुत प्रभावित थे है और रहेंगे।


राहुल शर्मा जो अब भोपाल में एक मॉल का प्रबंधन देखते है ने फ़ोन पर मुझे बताया जब माही तीसरी बार आये जब तक वो चेहरे और नाम से पहचानने लगे थे तब मैंने उनसे एक प्रश्न किया था कि आप मैदान के बाहर ही कूल रहते हो या मैदान में भी ऐसे ही शान्त रहते है जवाब में धोनी ने कहा राहुल जी व्यक्ति की फितरत थोड़ी बदलती है मैं जैसा हूँ वैसा ही हूँ मैदान में भी मैदान के बाहर भी।

राहुल ने मुझे कहा तब मुझे नही पता था कि भविष्य में इसी शान्त स्वभाव की वजह से वो विश्व क्रिकेट में कैप्टेन कूल के नाम से प्रसिद्ध होंगे। 

जेम शिप्रा के अतिरिक्त एक बार हमने धोनी और मित्रों के लिए सितम्बर 2006 में फ़िल्म खोसला का घोंसला फन सिनेमा वैशाली में दिखाई थी रात 9 बजे का शो था भीड़ थी लेकिन ऊपर की 4 पंक्तियाँ सिर्फ हमारे लिए रोकी गई थी। हमें बताया गया धोनी और साथी आधे घण्टे देर से आयेंगे तो मैंने खुद हॉल में उपस्थित लोगों को सच बताया क्या आप लोग इन्तजार कर सकते है धोनी का। 

मैंने कहा मिलवा तो नही सकता लेकिन धोनी सबको हाथ हिलाकर अभिवादन करेंगे। करीब 60 लोग इंतजार करने को तैयार हो गये। धोनी अपने मित्रों के साथ जिनमें दो तीन लड़कियाँ भी थी हमें नही पता उनमें साक्षी भी थी या नही,

हमें इस बात से कोई लेना देना भी नही था। हम तो दो लोगो धोनी और अरुण पाण्डेय को ही जानते थे। चूंकि अतुल गंगवार अरुण और मेरे मित्र थे तो वो साथ होते ही थे।

धोनी उस रात 9.30 बजे पहुँचे जब उन्हें बताया आप लोगो के कारण 60 लोग आपका इंतजार कर रहे है तो सबसे पहले उन्होंने उन सब लोगो से कहा हमारे कारण आपको देरी हुई है we are sorry अब सब साथ साथ फ़िल्म देखते है। मध्यांतर में धोनी ने कुछ लोगो के साथ फोटो भी खिंचवाये और फ़िल्म खत्म होने के बाद फन सिनेमा के सभी स्टाफ के साथ फोटो खिंचवा कर सबको खुश कर दिया।

उसके बाद माही व्यस्त हो गए क्रिकेट में ऊँचे और ऊँचे होते चले गये। फिर हमारी मुलाकात नही हुई लेकिन अरुण पाण्डेय से कभी कभार बातचीत हो जाती थी। 

2012 में कभी मैं मुम्बई से दिल्ली जा रहा था जब एयरपोर्ट लाउन्ज में अरुण पाण्डेय और माही से मुलाकात हुई। माही आई पैड में व्यस्त थे मैंने अरुण से हाथ मिलाया। माही ने मुझे देख अरुण से पूछा कौन तब उन्हें बताया तो उन्हें याद आया। वो और हम एक ही फ्लाइट में थे हैलो हाय बाय हुई। उसके बाद हमारी मुलाकात नही हुई लेकिन मुझे खुशी है भारत के इस महान कप्तान और खिलाड़ी से मेरी छोटी सी ही सही लेकिन अच्छी मुलाकातें रही। 

मुझे उम्मीद है माही सन्यास लेने के बाद भी कुछ अतरंगी काम ही करेंगे सभी रिटायर्ड खिलाड़ियों से एकदम अलग।

हरीश शर्मा

Tuesday, August 4, 2020

अमर सिंह चतुर सच मुंहफट


कहते है जो दिवंगत हो जाते है उनकी अच्छाइयों को ही जग जाहिर करना चाहिए। अमर सिंह कैसे थे इसको लेकर किस्से कहानियों की कोई कमी नही है । मेरी मुलाकाते उनसे अधिक नही 8/10 बार की होंगी । 

पहली बार शायद फ़िल्म हमारा दिल आपके पास है के प्रमोशन के लिए कलकत्ता में मेरी मुलाकात हुई थी दिल्ली से आकर कोई लड़का कलकत्ता के मीडिया को इतने बेहतर ढंग से मैनेज कर सकता है इससे वो प्रभावित हुए थे । 

प्रेस कॉन्फ्रेंस खत्म हुई तो बोले हरीश आप मेरे साथ चलिये, एक ही कार में करीब आधे घण्टे बातचीत हुई मैं हमेशा अच्छा श्रोता रहा हूँ उनसे पहली मुलाकात में ही वो खुलकर बोले इससे मैं यह तो जान गया कि इस व्यक्ति को किसी की कोई परवाह नही। 

मेरे बारे में पूछा, बोले कैसी भी जरूरत हो बताइएगा आप बहुत तरक्की करने वाले है। उस बातचीत की एक बात मुझे नही भूलती उन्होंने बताया जया प्रदा उन्हें हमेशा बेहद पसंद थी फ़िल्म इंडस्ट्री में मेरा सपना था उनके साथ लंच करने का। समय का चक्र देखिये आज जया मेरे साथ है मेरे इर्दगिर्द।

उन्हें अपनी सफलता खासकर फिल्मी लोगो से ताल्लुकात होने का बड़ा गुमान था उन्हें कोई बात छुपाकर बोलने की आदत नही थी या यूं कहें कि वो जानबूझकर ऐसा बोलते थे।

एक दो हीरोइन की फ़िल्म थी जिसका म्यूज़िक लॉन्च इंटरकॉन्टिनेंटल दिल्ली में था अमर सिंह मुख्य अतिथि थे प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद दोनो अभिनेत्रियां मीडिया के लिए रुकी नही यह मुझे बहुत नागवार गुजरा मैंने कई फोन किये फ़िल्म से सम्बंधित लोगो को कोई फोन न ले।

जब मैं पीआर करता था मेरा एक ही उद्देश्य होता था सर्वश्रेष्ठ पब्लिसिटी मिले और मीडिया सन्तुष्ट रहे कि उनका प्रेस कॉन्फ्रेंस में आना सफल रहा कि उन्हें हीरो हीरोइन के इंटरव्यू मिल गये।

मुझे पता चला कि दोनों हीरोइन किस सुइट में है मैं सीधे कमरे में घुस गया दोनो हीरोइन सोफे पर बैठे अमर सिंह के कंधों पर झूल रही थी आप लोग कंधे ही पढ़े, उन्हें अपने हाथों से कुछ खिला रही थी। मुझे देख  निर्माता हीरोइन अमर सिंह सेवादार सब कुछ सेंकेंड के लिये अनमने हुए लेकिन जब देखा यह अपना ही बन्दा है तो पूछा कैसे आना हुआ ।

मैंने कहा आधे घण्टे के लिए दोनो हीरोइन चाहिये इंटरव्यू के लिए । सबने अमर सिंह की तरफ देखा। मुझे देख मुस्कराकर बोले यह हरीश जी कहाँ मानने वाले है । मुझे भी जल्दी जाना है सम्भव हुआ तो देर रात आता हूँ और देर रात वो आये भी।

जब उनका रुतबा शबाब पर था शायद बाद में भी वो किसी को कुछ भी बोल सकते थे जिसे मुँहफट भी कह सकते है लेकिन वो सच ही बोलते थे ऐसा मेरा अनुभव है।

अक्स फ़िल्म की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक फोटोग्राफर ने मेरी शिकायत की आपका पीआर वाला अंदर आने ही नही दे रहा था मुझे पता था वो अमर सिंह का मुँह लगा है लेकिन अमर सिंह को व्यक्ति की परख थी मुझे एक शब्द नही बोले।

मैं एक बार ही उनके घर किसी मित्र के साथ गया था बिना काम के । मुझे जानते तो थे ही हालचाल पूछा बोले कोई खास बात मैंने कहा नही सर् इनके साथ चला आया। खुश हुए बोले चलो कोई तो है जो बिना काम के भी मिलता है।

उत्तर प्रदेश के चुनाव का समय था मेरे एक मित्र जो अमर सिंह के खास व्यक्ति थे से अचानक बात हुई मैंने कहाँ गायब है इतने दिनों से । मित्र बोले अमर सिंह ने काम पर लगा रखा था हेलीकॉप्टर में बोरे भरकर लखनऊ ले जाने में लगा था । अब आप लोग यह मत पूछना हेलीकॉप्टर में बोरे।

बात अमर सिंह की हो तो यह मान लीजिए जो भी उनसे दो तीन बार मिला होगा उसके पास भी उनके 8/10 किस्से तो मिल ही जायेंगे।

हरीश शर्मा

मेरी आने वाली किताब "20 इयर्स ऑफ एंटरटेनमेंट पीआर" के कुछ अंश।