कहते है जो दिवंगत हो जाते है उनकी अच्छाइयों को ही जग जाहिर करना चाहिए। अमर सिंह कैसे थे इसको लेकर किस्से कहानियों की कोई कमी नही है । मेरी मुलाकाते उनसे अधिक नही 8/10 बार की होंगी ।
पहली बार शायद फ़िल्म हमारा दिल आपके पास है के प्रमोशन के लिए कलकत्ता में मेरी मुलाकात हुई थी दिल्ली से आकर कोई लड़का कलकत्ता के मीडिया को इतने बेहतर ढंग से मैनेज कर सकता है इससे वो प्रभावित हुए थे ।
प्रेस कॉन्फ्रेंस खत्म हुई तो बोले हरीश आप मेरे साथ चलिये, एक ही कार में करीब आधे घण्टे बातचीत हुई मैं हमेशा अच्छा श्रोता रहा हूँ उनसे पहली मुलाकात में ही वो खुलकर बोले इससे मैं यह तो जान गया कि इस व्यक्ति को किसी की कोई परवाह नही।
मेरे बारे में पूछा, बोले कैसी भी जरूरत हो बताइएगा आप बहुत तरक्की करने वाले है। उस बातचीत की एक बात मुझे नही भूलती उन्होंने बताया जया प्रदा उन्हें हमेशा बेहद पसंद थी फ़िल्म इंडस्ट्री में मेरा सपना था उनके साथ लंच करने का। समय का चक्र देखिये आज जया मेरे साथ है मेरे इर्दगिर्द।
उन्हें अपनी सफलता खासकर फिल्मी लोगो से ताल्लुकात होने का बड़ा गुमान था उन्हें कोई बात छुपाकर बोलने की आदत नही थी या यूं कहें कि वो जानबूझकर ऐसा बोलते थे।
एक दो हीरोइन की फ़िल्म थी जिसका म्यूज़िक लॉन्च इंटरकॉन्टिनेंटल दिल्ली में था अमर सिंह मुख्य अतिथि थे प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद दोनो अभिनेत्रियां मीडिया के लिए रुकी नही यह मुझे बहुत नागवार गुजरा मैंने कई फोन किये फ़िल्म से सम्बंधित लोगो को कोई फोन न ले।
जब मैं पीआर करता था मेरा एक ही उद्देश्य होता था सर्वश्रेष्ठ पब्लिसिटी मिले और मीडिया सन्तुष्ट रहे कि उनका प्रेस कॉन्फ्रेंस में आना सफल रहा कि उन्हें हीरो हीरोइन के इंटरव्यू मिल गये।
मुझे पता चला कि दोनों हीरोइन किस सुइट में है मैं सीधे कमरे में घुस गया दोनो हीरोइन सोफे पर बैठे अमर सिंह के कंधों पर झूल रही थी आप लोग कंधे ही पढ़े, उन्हें अपने हाथों से कुछ खिला रही थी। मुझे देख निर्माता हीरोइन अमर सिंह सेवादार सब कुछ सेंकेंड के लिये अनमने हुए लेकिन जब देखा यह अपना ही बन्दा है तो पूछा कैसे आना हुआ ।
मैंने कहा आधे घण्टे के लिए दोनो हीरोइन चाहिये इंटरव्यू के लिए । सबने अमर सिंह की तरफ देखा। मुझे देख मुस्कराकर बोले यह हरीश जी कहाँ मानने वाले है । मुझे भी जल्दी जाना है सम्भव हुआ तो देर रात आता हूँ और देर रात वो आये भी।
जब उनका रुतबा शबाब पर था शायद बाद में भी वो किसी को कुछ भी बोल सकते थे जिसे मुँहफट भी कह सकते है लेकिन वो सच ही बोलते थे ऐसा मेरा अनुभव है।
अक्स फ़िल्म की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक फोटोग्राफर ने मेरी शिकायत की आपका पीआर वाला अंदर आने ही नही दे रहा था मुझे पता था वो अमर सिंह का मुँह लगा है लेकिन अमर सिंह को व्यक्ति की परख थी मुझे एक शब्द नही बोले।
मैं एक बार ही उनके घर किसी मित्र के साथ गया था बिना काम के । मुझे जानते तो थे ही हालचाल पूछा बोले कोई खास बात मैंने कहा नही सर् इनके साथ चला आया। खुश हुए बोले चलो कोई तो है जो बिना काम के भी मिलता है।
उत्तर प्रदेश के चुनाव का समय था मेरे एक मित्र जो अमर सिंह के खास व्यक्ति थे से अचानक बात हुई मैंने कहाँ गायब है इतने दिनों से । मित्र बोले अमर सिंह ने काम पर लगा रखा था हेलीकॉप्टर में बोरे भरकर लखनऊ ले जाने में लगा था । अब आप लोग यह मत पूछना हेलीकॉप्टर में बोरे।
बात अमर सिंह की हो तो यह मान लीजिए जो भी उनसे दो तीन बार मिला होगा उसके पास भी उनके 8/10 किस्से तो मिल ही जायेंगे।
हरीश शर्मा
मेरी आने वाली किताब "20 इयर्स ऑफ एंटरटेनमेंट पीआर" के कुछ अंश।
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